नई दिल्ली :दी वेपंस ऑफ मास डिस्ट्रक्शन एंड देयर डिलिवरी सिस्टम (प्रॉहिबिशन ऑफ अनलॉफुल एक्टिविटी) अमेंडमेंट बिल 2022 (The Weapons of Mass Destruction and their delivery systems (prohibition of unlawful activities) Amendment Bill 2022) के माध्यम से 17 साल पुराने कानून में संशोधन की पहल की गई है. विदेश मंत्री ने वैश्विक चुनौतियों और बदलते सामरिक समीकरणों का हवाला देते हुए 17 साल पुराने कानून में संशोधन को जरूरी बताया और सांसदों से विधेयक पर चर्चा की अपील की. पक्ष-विपक्ष के 21 सांसदों ने चर्चा में अपनी बातें रखीं. इसके बाद लोक सभा से विधेयक सर्वसम्मति से पारित हो गया. जयशंकर ने कहा कि सरकार अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव संख्या 1540, सामूहिक संहार के हथियारों संबंधी 2005 के कानून, वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की विवेचना एवं अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए सामूहिक संहार के हथियारों एवं उनसे जुड़ी प्रणालियों के प्रसार के वित्त पोषण पर रोक लगाने के प्रावधान वाला विधेयक लायी.
विदेश मंत्री जयशंकर ने लगभग 30 मिनट के वक्तव्य में चर्चा का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि 21 सांसदों ने कानून में संशोधन को लेकर कई पहलुओं पर बात की है, लेकिन सबसे उत्साहजनक ये बात रही कि विदेश नीति के मामले में पूरा सदन सर्वसम्मति से एकस्वर में बात कर रहा है. सामूहिक संहार के हथियारों के प्रसार, वित्त पोषण को रोकने वाले विधेयक को मंजूरी से पहले हुई चर्चा के जवाब में विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान का नाम लिये बिना कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जो वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के दायित्वों के अनुरूप कार्य एवं नीतियां नहीं अपनाते हैं और इनमें से कुछ देश हमारे काफी पास हैं.
पाकिस्तान का नाम लिये बिना निशाना साधा : जयशंकर ने कहा कि हम एक ऐसे कानून को उन्नत बना रहे हैं जो 17 वर्ष पुराना है तथा यह सुशासन का उदाहरण है. उन्होंने कहा कि वर्ष 1947 में संसद ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद कानून बनाया था जिसमें यह दायित्व था कि सरकार सुरक्षा परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव को प्रभाव में लाने के लिये कोई कदम उठायेगी हालांकि इसमें बल प्रयोग नहीं शामिल होगा. विदेश मंत्री ने कहा कि कुछ ऐसे देश हैं जो वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) के दायित्वों के अनुरूप कार्य एवं नीतियां नहीं अपनाते हैं. उन्होंने पाकिस्तान का नाम लिये बिना कहा कि अधिकांश सदस्यों को मालूम है कि इसमें कौन देश शामिल हैं. 'इनमें से कुछ (देश) हमारे काफी पास हैं.'
सामूहिक संहार के हथियार पड़ने को लेकर गंभीर चिंता : जयशंकर ने कहा कि आजादी के बाद से ही हम संयुक्त राष्ट्र के अच्छे सदस्य देश रहे हैं और आज भी संयुक्त राष्ट्र के कदमों के तहत ही हम यह पहल कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि 9/11 के आतंकवादी हमले के बाद से ही आतंकवादियों, ऐसे तत्वों एवं अनधिकृत पक्षों के हाथों में सामूहिक संहार के हथियार पड़ने को लेकर गंभीर चिंता व्यक्त की गई . उन्होंने कहा कि इसका उल्लेख हालांकि 70 के दशक से ही किया जाने लगा था. विदेश मंत्री ने कहा कि इन्हीं चिंताओं को देखते हुए सुरक्षा परिषद ने प्रस्ताव 1540 पारित किया था जिसमें कहा गया था कि सभी देश यह सुनिश्चित करेंगे कि घरेलू स्तर पर सामूहिक संहार के हाथियारों का प्रसार न हो, इसमें जैविक, रसायनिक हथियारों का अप्रसार सुनिश्चित करने एवं इसके फैलने से रोकने की दिशा में कदम उठाने की बात कही गई. उन्होंने कहा कि प्रस्ताव 1540 में हालांकि इससे जुड़े वित्तीय आयामों एवं प्रभावों को नहीं जोड़ा गया था.
वित्तीय नीतियों को लेकर जवाबदेही : बकौल विदेश मंत्री जयशंकर, वर्ष 2005 में जब हमने कानून बनाया तब इसका आधार सुरक्षा परिषद का यह प्रस्ताव था, ऐसे में इसमें वित्तीय आयाम जोड़ने के लिये यह संशोधन विधेयक लाया गया है. जयशंकर ने कहा कि यह विषय वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (एफएटीएफ) की चिंताओं से जुड़ा रहा और सभी सदस्य एफएटीएफ के महत्व को समझते हैं. उन्होंने कहा कि एफएटीएफ इस बात का मूल्यांकन करता है कि क्या देश इस संबंध में अपनी वित्तीय नीतियों को लेकर जवाबदेह हैं ?
डिलिवरी सिस्टम की परिभाषा व्यापक हो : इससे पहले सामूहिक संहार के आयुध और उनकी परिदान प्रणाली (विधि विरूद्ध क्रियाकलापों का प्रतिषेध) संशोधन विधेयक, 2022 पर चर्चा की शुरुआत कांग्रेस सांसद उत्तम रेड्डी ने की. उन्होंने वैश्विक तकनीकी विकास और ड्रोन जैसी चैलेंजिंग टेक्नोलॉजी के विनाशकारी प्रयोग के मंसूबों के संदर्भ में सरकार को कई अहम सुझाव दिए. उन्होंने कहा कि वे सशस्त्र बल में काम कर चुके हैं और अनुभवों पर आधारित सुझाव के तहत वे अपील करना चाहते हैं कि डिलिवरी सिस्टम की परिभाषा को और व्यापक बनाना चाहिए. इसके बाद भाजपा सांसद राज्यवर्धन सिंह राठौर ने चर्चा में भाग लिया.