नई दिल्ली :कार्बन उत्सर्जन कम करने के लिये भारत ने महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं. यूरोपीय देश कार्बन उत्सर्जन और जलवायु परिवर्तन के निपटने के प्रयासों को लेकर गंभीर नहीं दिखते. यह कहना है केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव का. उन्होंने संसद के बजट सत्र के दौरान लोक सभा में नियम 193 के तहत चर्चा का जवाब दिया. जलवायु परिवर्तन से निपटने में सरकार के कदमों को रेखांकित करते हुए वन, पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने कहा कि दुनिया के समक्ष इस महत्वपूर्ण चुनौती से निपटने के लिये विकसित देशों द्वारा विकासशील देशों से किये वादों को पूरा करना चाहिए तथा अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों को समझना चाहिए.
विस्तार से हुई चर्चा के बाद केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव (Bhupendra Yadav Minister of Environment Forest and Climate) ने सांसदों की चिंता और उनकी ओर से उठाई गई बातों का जवाब दिया. उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने में 'जलवायु न्याय' एक महत्वपूर्ण तत्व है और इसे ध्यान में रखते हुए विकसित देशों को जलवायु परिवर्तन को लेकर अपनी जिम्मेदारी उठानी चाहिए. भूपेंद्र यादव ने कहा कि कोपेनहेगन में बैठक में दुनिया के विकसित देशों ने अपनी जिम्मेदारी को स्वीकार किया था. इन देशों ने शपथ ली थी कि इन प्रयासों में विकासशील देशों को 100 अरब डालर सहायता देनी चाहिए.
वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री ने कहा कि स्वभाविक रूप से जब विकसित एवं विकासशील देशों को मिलकर लक्ष्य हासिल करना है, ऐसे में विकसित देशों को विकासशील देशों को जलवायु वित्त पोषण और प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के माध्यम से सुविधाएं देनी चाहिए. उन्होंने कहा, 'विकसित देशों ने विकासशील देशों से जो वादे किये हैं, उन्हें पूरा करना चाहिए. उन्हें अपनी ऐतिहासिक जिम्मेदारियों को समझना चाहिए.' भूपेंद्र यादव ने कहा कि जलवायु परिवर्तन को लेकर चल रहे प्रयासों में पिछले 50 वर्षो में भारत की भूमिका हमेशा समाधानकारक देश की रही हैं .
एकल उपयोग प्लास्टिक पर रोक : उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वर्ष 2018 में प्लास्टिक को हटाओ का आह्वान किया और इसी दिशा में एकल उपयोग प्लास्टिक पर रोक लगाने की हाल ही में अधिसूचना जारी की गई है. मंत्री ने कहा कि जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते में दुनिया के देशों ने इस विषय पर साझा लेकिन एक दूसरे से अलग जिम्मेदारियों के तहत अपनी राष्ट्रीय जरूरतों के अनुरूप लक्ष्य निर्धारित करने पर सहमति व्यक्त की थी.
भारत ने समय से पहले पूरा किया लक्ष्य : उन्होंने कहा कि इसमें इस बात पर जोर दिया गया था कि हम तापमान को नियंत्रित करने के लिये क्या पहल कर सकते हैं ? यादव ने कहा कि भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल था जिसने इन चुनौतियों के अनुरूप लक्ष्य घोषित किये और उन्हें समय से पहले पूरा किया. उन्होंने कहा कि भारत सरकार जमीनी स्तर पर काम कर रही है. दुनिया में हमारी आबादी 17 प्रतिशत जबकि ग्लोबल वार्मिंग में हमारी हिस्सेदारी केवल चार प्रतिशत है. इसके बावजूद ग्लास्गो में हमने विकासशील देशों की आवाज उठाई. विकसित देशों को अपना दायित्व समझना ही होगा.
'ग्रीन बजट' भावी जरूरतों के मुताबिक: भूपेंद्र यादव ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय सौर गठबंधन के जरिये प्रधानमंत्री मोदी ने एक ऐसी कार्ययोजना को आगे बढ़ाया है जिससे हम भविष्य में भारत के ऊर्जा क्षेत्र को अच्छे ढंग से अंतरराष्ट्रीय मंच पर ले जा सकते हैं. उन्होंने कहा कि वित्त मंत्री ने जो बजट रखा है वो 'ग्रीन बजट' है तथा यह भविष्य की आवश्यकताओं के अनुरूप है. उन्होंने कहा कि विकसित देशों ने अपने ऐतिहासिक जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं किया, ऐसे में हमें अपनी बात रखनी चाहिये . उन्होंने कहा कि देश की जैविक विविधता को बचाने की जरूरत है और सरकार इसको लेकर काम कर रही है. यादव ने कहा, 'हमारी सरकार विकास और आम लोगों के जीवन में परिवर्तन दोनों को साथ लेकर चल रही है.' उन्होंने कहा कि भारत की जीवनशैली दुनिया को यह बता रही है कि प्रकृति के साथ कैसे जीया जा सकता है.
इससे पहले भाजपा सांसद जलवायु परिवर्तन को देश एवं दुनिया के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती बताते हुए पूर्व केंद्रीय मंत्री एवं भाजपा सांसद जयंत सिन्हा ने कहा कि भारत ने वर्ष 2070 तक शून्य कार्बन उत्सर्जन का लक्ष्य निर्धारित करने सहित कई कदम उठाये हैं लेकिन अन्य देश इस विषय पर अपने प्रयासों को लेकर गंभीर नहीं दिख रहे जो चिंता का विषय है.
चर्चा की शुरुआत केरल के साथ : गौरतलब है कि लोक सभा में नियम 193 के तहत जलवायु परिवर्तन के विषय पर चर्चा की शुरुआत केरल से निर्वाचित कांग्रेस सांसद डीन कुरियाकोस ने की. उन्होंने पर्यावरण के मद्देनजर केरल में केंद्र सरकार की कुछ परियोजनाओं पर सवाल खड़े किए. बता दें कि पिछले कुछ समय से केरल की के रेल या सिल्वर लाइन परियोजना की आलोचना हो रही है.