नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने सोमवार को लोकसभा में कहा कि बाल और किशोर श्रम (निषेध और विनियमन) अधिनियम, 1986 के तहत पिछले तीन वर्षों में 1,861 मामले दर्ज किए गए, जिसमें 2019 में 772, 2020 में 476 और 2021 में 613 मामले दर्ज किए गए हैं. यह जानकारी श्रम और रोजगार राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने लोकसभा में एक लिखित उत्तर के माध्यम से भाजपा सांसदों विजय बघेल और उपेंद्र सिंह रावत द्वारा देश में दर्ज किए गए बाल श्रम के मामलों की संख्या पर पूछे गए एक प्रश्न का उत्तर देते हुए साझा की.
2019 में 314, 2020 में 147 और 2021 में 224 के साथ कुल 685 मामलों के साथ तेलंगाना से सबसे अधिक मामले सामने आए, इसके बाद 2019 में असम में 186, 2020 में 40 और 2021 में 78 मामले सामने आए. अरुणाचल प्रदेश, हिमाचल प्रदेश और त्रिपुरा में सबसे कम मामले दर्ज किए गए, जिनमें से प्रत्येक में केवल एक ऐसा मामला था, इसके बाद छत्तीसगढ़, मेघालय और दमन और दीव और अन्य में 2-2 मामले थे.