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NEET UG 2021 : ऑटो चालक की बेटी बनेगी गांव की पहली डॉक्टर, नाजिया को मिले हैं 668 अंक

झालावाड़ जिले के पचपहाड़ निवासी नाजिया अपने गांव की पहली डॉक्टर बनेगी. नाजिया के पिता लोडिंग ऑटो चालक और मां खेत मजदूर हैं. एक मजदूर और ऑटो चालक की बेटी ने मेडिकल कॉलेज (NEET UG 2021) तक का कैसे तय किया सफर, पढ़िए इस खबर में...

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Published : Nov 18, 2021, 9:38 PM IST

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कोटा : शिक्षा नगरी कोटा कई परिवारों में रोशनी लेकर आती है. छोटे-छोटे परिवारों को भी यह शिक्षा का उजियारा पहुंचाती है. इस उजाले में ऐसी प्रतिभाएं भी उभर रही हैं. जिनके माता-पिता सक्षम नहीं थे. इन गुदड़ी के लाल में ऐसी ही एक बालिका नाजिया है. जिसके पिता इसामुद्दीन ऑटो चलाते हैं और वह अब नीट यूजी 2021 में सेलेक्ट हुई है. नाजिया मूलतः झालावाड़ के पचपहाड़ (Pachpahar first doctor) की रहने वाली है. नाजिया अपने गांव की पहली डॉक्टर होगी.

नाजिया का परिवार झालावाड़ जिले के भवानीमंडी के निकट पचपहाड़ गांव में रहता है. पिता भवानीमंडी में लोडिंग टेंपो चलाकर परिवार का खर्च उठाते हैं. टेम्पो लोन पर लिया हुआ है. परिवार की अच्छी स्थिति नहीं होने पर मां अमीना बी दूसरे के खेतों में मजदूरी करती हैं. तीन भाई-बहन हैं. छोटी बहन ने अभी 12वीं पास की है, भाई 10वीं में है. नाजिया ने 8वीं तक गांव में पढ़ाई की, इसके बाद 9 से 12वीं तक भवानीमंडी के सरकारी स्कूल में पढ़ाई की.

नाजिया ने नीट (NEET) की तैयारी के साथ बीएससी की पढ़ाई भी की. राज्य सरकार की दी गई स्कॉलरशिप का भी लाभ मिला. नाजिया ने परिवार और गांव का नाम रोशन किया है.

सरकारी कॉलेज में मिलेगा एडमिशन, गायनोकोलॉजिस्ट बनने का लक्ष्य

नेशनल टेस्टिंग एजेंसी (National Testing Agency) द्वारा जारी किए गए नीट के परिणामों में नाजिया ने 668 अंक प्राप्त किए हैं. ऑल इंडिया रैंक 1759 है और ओबीसी कैटेगिरी रैंक 477 है. नाजिया को उसकी ऑल इंडिया रैंक के मुताबिक सरकारी कॉलेज में एडमिशन मिलेगा. नाजिया ने बताया कि एमबीबीएस पूरी मेहनत से करना चाहती है और आगे चलकर महिला एवं प्रसुति रोग विशेषज्ञ (गायनोकॉलोजिस्ट) के रूप में स्वयं को स्थापित करना चाहती है. बच्चों को पढ़ाने में भी नाजिया की रुचि है, अभी भी नीट परीक्षा के बाद काउंसलिंग (NEET Counselling) के समय तक गांव के ही सरकारी स्कूल में नियमित रूप से जाती है. वहां छोटे बच्चों को पढ़ाती है.

पिता ने पूरे परिवार से विपरीत जाकर पढ़ाया

नाजिया का कहना है कि उसका परिवार काफी गरीब है. साथ ही परिवार में कोई भी ज्यादा पढ़ा लिखा नहीं है. उसके पिता इसामुद्दीन ने अपने घर के सभी सदस्यों से विपरीत जाकर मुझे पढ़ने के लिए प्रेरित किया. मेरे पिता ने ही मेरी पढ़ाई को तवज्जो दी और अपनी क्षमता के अनुसार पूरा सहयोग भी किया. कोटा के एक कोचिंग संस्थान के फैकल्टी ने भी पूरा सहयोग किया. पिछले 4 सालों से मिनिट के लिए प्रयासरत थी, हर साल मैंने ज्यादा अंक प्राप्त किए और गत वर्ष 602 अंक थे, लेकिन कॉलेज नहीं मिल पाया. इस बार ज्यादा मेहनत की. जिसके चलते ही मुझे सफलता मिली है.

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