नई दिल्ली : तमिलनाडु के एक शैक्षणिक संगठन ने उच्चतम न्यायालय (Supreme Court) का रुख कर केंद्र को यह निर्देश देने का अनुरोध किया है कि शैक्षणिक संस्थानों को चलाने में लाभ देने के लिए धार्मिक जैसे भाषाई अल्पसंख्यकों की पहचान करने को लेकर वह एक अधिसूचना जारी करे.
तमिलनाडु और कर्नाटक में मलयालम भाषी अल्पसंख्यक छात्रों के लिए स्कूल चलाने वाली सिटीजन एजुकेशन सोसाइटी ने पंजाब और मिजोरम सहित 10 राज्यों में हिंदुओं को अल्पसंख्यक का लाभ देने पर लंबित जनहित याचिका में एक पक्ष के रूप में हस्तक्षेप करने की अनुमति मांगी है.
शीर्ष अदालत ने पिछले साल अगस्त में वकील और भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दाखिल एक जनहित याचिका पर केंद्र को नोटिस जारी किया था. याचिका में राज्य स्तर पर अल्पसंख्यकों की पहचान करने वाले दिशा-निर्देश तैयार करने के लिए निर्देश का अनुरोध किया गया.
हिंदू 10 राज्यों में अल्पसंख्यक
याचिका में दावा किया गया कि हिंदू 10 राज्यों में अल्पसंख्यक हैं लेकिन उन्हें मुस्लिम, सिख और ईसाई जैसे अल्पसंख्यकों को शिक्षण संस्थान चलाने में उपलब्ध लाभों का फायदा नहीं मिलता है. तमिलनाडु की संस्था ने अपनी याचिका में कहा है, 'टी एम ए पई फाउंडेशन के मामले में इस अदालत द्वारा घोषित कानून के अनुरूप संबंधित राज्यों में भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक समुदायों को एक इकाई के रूप में अधिसूचित करने वाले राष्ट्रीय अल्पसंख्यक शैक्षणिक संस्थान अधिनियम, 2004 के 2 (एफ) के तहत केंद्र को एक अधिसूचना जारी करने का निर्देश दें.'