कोल्लम (केरल): केरल की एक सत्र अदालत ने कोबरा/नाग से डंसवा कर पत्नी की हत्या करने के मामले उथरा हत्याकांड के दोषी को बुधवार को दोहरे उम्रकैद की सजा सुनाई. सजा सुनाते हुए कोर्ट ने कहा कि यह अपराध 'पैशाचिक, क्रूर, बर्बर और कायराना है' और यह 'अनूठी दुष्टता' के साथ किया गया है.
इतने कड़े शब्दों का उपयोग करने के बावजूद अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश-षष्ठम मनोज एम. के अनुसार यह अपराध दुर्लभतम से दुर्लभ की श्रेणी में नहीं आता जिसके लिए मौत की सजा सुनायी जाए. अदालत ने 25 वर्षीय पत्नी उथरा की कोबरा से डंसवा कर हत्या करने के दोषी सूरज एस. कुमार को उम्रकैद की सजा सुनायी. अदालत ने दोषी को दूसरी उम्रकैद की सजा इसी तरीके से पहले भी उथरा की हत्या करने के प्रयासों के जुर्म में सुनायी. बता दें, सूरज कुमार ने मई, 2020 में गहरी नींद में सो रही अपनी पत्नी उथरा को सांप से डंसवा कर उसकी हत्या कर दी थी. उथरा के परिवार ने तीन महीने के भीतर उसे दो बार सांप काटने को लेकर संदह जताया था, जिसके आधार पर पुलिस ने जांच की और इस मामले को सुलझाया.
अदालत ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि उम्रकैद की सजा सूरज को अन्य अपराधों के लिए सुनाई गई 17 साल की कैद की अवधि पूरी होने के बाद शुरू होगी. अदालत ने सूरज को पत्नी को जहर देने के जुर्म में 10 साल और साक्ष्य मिटाने के जुर्म में सात साल की सजा दी है. ऐसे में दोषी अपने जीवनकाल का ज्यादातर समय कारागार में ही रहेगा.
अदालत ने कहा, आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (हत्या) के तहत अपराध के मामले में उम्रकैद और 5,00,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनायी जाती है. आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 307 (हत्या का प्रयास) के तहत उम्रकैद और 50,000 रुपये जुर्माने की सजा सुनायी जाती है. आरोपी भारतीय दंड संहिता की धारा 328 (जहर देना) के तहत अपने अपराध के लिए 10 साल सश्रम कारावास की सजा भुगतेगा और उसपर 25,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाता है.
अदालत ने कहा, आरोपी को भारतीय दंड संहिता की धारा 201 (साक्ष्य नष्ट करना) के तहत अपराध के लिए सात साल सश्रम कारावास की सजा भुगतनी होगी और 10,000 रुपये जुर्माना भरना होगा. इसके साथ ही अदालत ने दोषी को तिरुवनंमपुरम स्थित केन्द्रीय कारागार भेजने का वारंट जारी किया जहां वह अपनी सजा काटेगा. अदालत ने कहा कि दोषी को भारतीय दंड संहिता की धाराओं 328 और 201 के तहत सुनाई गयी 10 और सात साल की सजा एक के बाद एक चलेंगी. यह 17 साल की सजा समाप्त होने के बाद दोषी को सुनाई गयी दोहरे उम्रकैद की सजा साथ-साथ चलेंगी.
अदालत ने कहा कि अगर दोषी से जुर्माने की राशि वसूल ली जाती है तो उसे पीड़ित के माता-पिता को मुआवजे के रूप में दे दिया जाए. अदालत ने कहा, इस मामले में उथरा के नाबालिग बेटे ने अपनी मां खो दी और अब वह अपने नाना-नानी के पास रह रहा है, जो अपराध हुआ है उसके बदले में उसे पुनर्वास की जरुरत है. इसलिए यह मामला ऐसा है जिसमें कोल्लम के जिला विधि सेवा प्राधिकरण से उथरा के बेटे को मुआवजे की राशि देने की सिफारिश की जा सकती है.