मुंबई: महाराष्ट्र विधानसभा में (Maharashtra Assembly) में सोमवार को जारी मानसून सत्र के दौरान हंगामा करने के आरोप में भाजपा के 12 विधायकों को एक साल के लिए निलंबित कर दिया गया. ये विधायक कई मामलों पर सदन में चर्चा कराने की मांग कर रहे थे. जाहिर है इतने विधायकों का एक साथ निलंबित करने की कार्रवाई पर भाजपा शांत तो नहीं बैठेगी.
इस पर कानून के जानकार बताते हैं कि अगर सदन के भीतर हुई विधायकों की गतिविधि पर कार्यवाहक स्पीकर ने कार्रवाई की है, तो कार्रवाई को कोर्ट में चुनौती देने का विकल्प नहीं के बराबर है, क्योंकि सदन के भीतर विधायकों को निलंबित करने की कार्रवाई स्पीकर के अधिकार क्षेत्र (discretion) में है. जिसमें न्यायपालिका हस्तक्षेप नहीं कर सकती. लेकिन अगर सदन के बाहर विधानसभा परिसर में विधायकों की गतिविधि पर ये कार्रवाई हुई है, तो विधायकों के पास कोर्ट में चुनौती देने का अधिकार है.
सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील प्रताप चंद्रा विधायकों के निलंबन की इस कार्रवाई को चुनौती देने के कानूनी पहलू पर बताते हैं कि महाराष्ट्र विधानसभा में विधायकों के निलंबन की कार्यवाही को कानूनी तौर पर चुनौती देने के लिए ये ध्यान में रखना होगा कि विधायकों के निलंबन के पीछे की वजह क्या है? क्योंकि विधानसभा सदन में सत्र जारी रहने के दौरान अगर विधायक किसी भी तरह की अमान्य गतिविधि करते पाए जाते हैं, तो स्पीकर के पास विधायकों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई करने का अधिकार होता है.
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सामान्य तौर पर इस कार्रवाई को कोर्ट में चैलेंज नहीं किया जा सकता, क्योंकि स्पीकर यानी विधायिका के अधिकार क्षेत्र में कोर्ट हस्तक्षेप नहीं कर सकती. हां, अगर विधायकों पर ये कार्रवाई सदन के बाहर हुई गतिविधि पर की जाती है, तो विधायकों के पास कोर्ट में स्पीकर की कार्रवाई को चुनौती देने का विकल्प रहता है.