नई दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने नामीबिया से लाए गए आठ चीतों को शनिवार को मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (Kuno National Park) में छोड़ा. लेकिन आपको शायद ही पता हो कि इस प्रोजेक्ट पर पहले सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी थी.
2012 में सुप्रीम कोर्ट के न्यायमूर्ति केएस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति सीके प्रसाद की खंडपीठ ने अफ्रीका से भारत में चीतों को लाने के सरकार के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था, क्योंकि वन्यजीव विशेषज्ञों के मुताबिक ऐसा करना उचित नहीं था. उस प्रस्ताव में शेरों को भी लाया जाना था. इस पर एक याचिका आने के बाद शीर्ष अदालत ने प्रस्ताव को ठुकरा दिया था.
भारत में चीते 1950 के दशक में विलुप्त हो गए थे. पर्यावरण मंत्रालय ने 2010 में बाहर से चीते लाने का प्रस्ताव दिया था. सरकार अफ्रीकी चीतों को लाकर उनकी आबादी को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रही थी. हालांकि, एससी ने योजना पर रोक लगा दी थी. बताया जाता है कि सरकार ने तब राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड के साथ चर्चा नहीं की थी. विशेषज्ञों द्वारा किए गए अध्ययनों से पता चला था कि दो अलग-अलग महाद्वीप आनुवंशिक रूप से भिन्न हैं, ऐसे में अफ्रीकी चीतों को यहां जिंदा रहने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है.