जोधपुर.आखिरकार सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड (Sidhu moose wala murder case) में लॉरेंस के साथ-साथ जोधपुर का नाम आ ही गया. दिल्ली पुलिस की छानबीन में यह बात सामने आई है कि मूसेवाला को मारने के लिए हथियार जोधपुर (Weapons sent from Jodhpur for Moose wala Murder) से भी गए थे. यह हथियार लॉरेंस के इशारे पर उसके गुर्गों ने पहुंचाए थे. अब पुलिस के सामने यही चुनौती है कि जोधपुर में लॉरेंस के किस गुर्गे ने हथियार अपने पास रखे और आगे डिलीवर किए. इसके लिए संभवत पुलिस की टीमों को जोधपुर भी आना पड़ेगा.
यह भी सामने आया है कि ये हथियार विजय, राका और रणजीत नाम के 3 बदमाश जोधपुर से लेकर गए थे. इसके लिए बोलेरो गाड़ी भी राजस्थान से गई थी. बदमाशों को इसके लिए लॉरेंस का भाई अनमोल उर्फ जैक डील कर रहा था. जांच में यह भी सामने आया कि हमलावरों के लिए बोलेरो गाड़ी भी राजस्थान से लाई गई थी. इस दौरान राजस्थान, हरियाणा और पंजाब के मानसा तक हर जगह उसके गुर्गे सक्रिय थे. यह जानकारी लॉरेंस ने दिल्ली पुलिस को पूछताछ में बताई है. पुलिस का शक भी इसलिए हुआ, क्योंकि जिन आठ शूटर की पहचान हुई, उनमें उनमें एक सुभाष बानूड़ा का नाम भी शामिल है. सुभाष बानुड़ा सीकर जिले का रहने वाला है. वह इन दिनों आनंदपाल गैंग ऑपरेट कर रहा है और लगातार लॉरेंस के संपर्क में भी है. लॉरेंस के इशारे पर काम करता है. बताया जा रहा है सभी आठों शूटर अनमोल के इशारे पर ही कहीं छुपे हुए हैं, लेकिन स्थानीय पुलिस ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है. सूत्रों का कहना है कि जोधपुर ग्रामीण पुलिस लॉरेंस के गुर्गों का पता लगा रही है और लगातार सिद्धू मूसेवाला हत्याकांड से जुड़े अधिकारियों के संपर्क में है.
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जोधपुर में लॉरेंस गैंग के संपर्क में कई बदमाश - जोधपुर जिले के ओसियां लोहावट देचू और फलोदी क्षेत्र में सक्रिय तस्करों की गैंग के ज्यादातर बदमाश अपने आपको लॉरेंस (Lawrence gang in Jodhpur) से जुड़ा हुआ बताते हैं. सिद्धू मूसे वाला की हत्या के लिए जोधपुर से हथियार जाने की बात सामने आने के बाद इन इलाकों के बदमाशों पर ही शक हो रहा है. इन्हीं लोगों ने लॉरेंस के लिए हथियार पहले तो अपने पास रखे और उसके बाद अनमोल के इशारे पर विजय, राका और रणजीत को हैंडओवर किए थे.
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मारवाड़ और शेखावाटी के बदमाशों का गठजोड़ - आनंदपाल अपनी गैंग शेखावाटी क्षेत्र में ज्यादा ऑपरेट करता था. बीकानेर जेल में जब वह बंद था तो उसके साथी बलवीर बानूड़ा की हत्या हुई थी. सुभाष बानूड़ा बलवीर का ही बेटा है, जो बाद में आनंदपाल गैंग में शामिल हो गया. आनंदपाल के एनकाउंटर के बाद पूरी गैंग की कमान लगभग सुभाष बराल के पास थी और सुभाष बानूड़ा उसके लिए काम करने लगा. इस दौरान कई मामले उस पर दर्ज हुए. उसने खुद आईपीएस दिनेश एनएम के सामने सरेंडर किया. उसके बाद जेल में उसका संपर्क लॉरेंस के गुर्गों से हुआ, जिसके बूते वो आगे बढ़ गया. सिद्धू मूसेवाला की हत्या (Sidhu moose wala murder case) के बाद साफ हो गया है कि शेखावाटी के बदमाशों के साथ-साथ मारवाड़ (Alliance of Gangs of Marwar and Shekhawati) के बदमाश जो लॉरेंस के गुर्गे हैं उनका आपस में गठजोड़ बन गया है.
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