वाराणसी :बनारस आइए तो यहां का फेमस लौंगलता जरूर खाइए. चासनी में डूबी यह खास मिठाई आपका दिल खुश कर देगी. वैसे तो सूबे के कई जिलों में यह मिठाई मिल जाती है, लेकिन यहां जैसा स्वाद आपको कहीं और नहीं मिलेगा. अब इस मिठाई को जीआई टैग दिलाने की तैयारी की जा रही है. लौंगलता एक ऐसी मिठाई है जिसे बनारस आने वाला हर व्यक्ति जरूर खाना चाहता है. जिले में आप कहीं भी चले जाइए, चाहे लंका चौराहा हो, विश्वनाथ टेंपल हो, काशी विश्वनाथ धाम हो, हर जगह समोसा, कचौड़ी के साथ लौंगलता जरूर मिल जाएगा. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस मिठाई की तारीफ कर चुके हैं. बीते 24 मार्च को वाराणसी में जनसभा के दौरान उन्होंने कहा था कि बनारस आएं तो इस मिठाई का स्वाद जरूर चखिएगा.
वाराणसी की स्वादिष्ट मिठाई है लौंगलता.दुकानदार दिनेश यादव ने बताया कि ये मिठाई वैसे तो आपको यूपी के कई जिलों में खाने को मिल जाएगी, लेकिन वाराणसी की मिठाई का स्वाद और बनाने का तरीका इसे खास बना देता है. लौंगलता को धीमी आंच पर देर तक पकाया जाता है. खोया और खड़ी लौंग पड़ती है. इसे पकाने के बाद पांच मिनट के लिए चासनी में छोड़ा जाता है. चासनी गरम होती है. इसके बाद लौंगलता लाल रंग का हो जाता है. इसमें खोवा, इलाइची, लौंग पड़ती है. इसे मैदा के साथ लपेटकर बनाया जाता है.
कई अन्य मिठाइयों को जीआई टैग के लिए फाइल किया जाएगा :जीआई विशेषज्ञ डाक्टर रजनीकांत ने कहा कि आने वाले समय में जब मिठाइयों की श्रृंखला चलेगी तो कई नाम होंगे. अभी तीन मिठाइयां फाइनल हो चुकी हैं. बनारस का लाल पेड़ा, बनारस की तिरंगी बर्फी और जौनपुर की इमरती जीआई के लिए फाइल हो चुकी है. उन्होंने बताया कि जौनपुर को भी हम काशी का ही अंग मानते हैं. आने वाले समय में मलाई गिलौरी, पलंगतोड़, रस माधुरी, रबड़ी और लौंगलता का भी नाम जीआई के लिए भेजा जा रहा है. यहां पर जैसी रबड़ी बनती है वैसी कहीं और नहीं मिलती है. बनारस के टमाटर चाट, लाल भरवा मिर्च और आलू का पापड़ भी जीआई टैग के लिए फाइल किया जाएगा.