देहरादून :राजीव गांधी ने सियासत की दुनिया में कदम ही रखा था कि साल 1984 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद उनके कंधों पर एकाएक बड़ी जिम्मेदारी आ गई. ऐसे में राजीव ने अपने दोस्त सतीश को याद किया और वो अपनी पायलट की नौकरी छोड़ राजीव के साथ सियासत में हाथ बंटाने आ गए. एयरलाइंस कंपनी में कैप्टन रहने के दौरान सतीश शर्मा और राजीव गांधी की दोस्ती हुई थी. राजीव के निधन के बाद भी सतीश ने ये दोस्ती निभाई और अपने अंत समय तक गांधी परिवार का साथ नहीं छोड़ा. कैप्टन सतीश शर्मा के राजनीतिक जीवन और गांधी परिवार से नजदीकी का जिक्र तो अक्सर होता रहता है, लेकिन आज हम आपको उनकी जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें बताने जा रहे हैं...
दरअसल, राजीव गांधी के बेटे राहुल मसूरी के वुडस्टॉक स्कूल में पढ़ा करते थे, जिस वजह से कैप्टन सतीश शर्मा अभिभावक के तौर पर राहुल से मिलने अक्सर यहां आते रहते थे. क्योंकि नेहरू परिवार का भी उत्तराखंड में देहरादून और मसूरी से विशेष लगाव था, इसलिए अक्सर राजीव गांधी के साथ कैप्टन सतीश शर्मा उत्तराखंड आते थे. उन्हें ये स्थान इतना पसंद आया कि बाद में उन्होंने मसूरी स्थित धनौल्टी रोड पर अपना आशियाना बनाया.
यही नहीं, पंडित नेहरू की पसंदीदा जगह पर भी सतीश शर्मा का एक सुंदर आशियाना है. कैप्टन शर्मा के बेहद करीबी रहे बॉलीवुड सिंगर जुबिन नौटियाल के पिता रामशरण नौटियाल ने इस कहानी को ईटीवी भारत से साझा किया. उन्होंने बताया कि उत्तराखंड में अक्सर कैप्टन सतीश शर्मा और राजीव गांधी दौरे पर आया करते थे. उनकी पसंदीदा जगह हर्षिल थी. हर्षिल में भागीरथी नदी के किनारे विल्सन हाउस पंडित नेहरू की पसंदीदा जगह में से एक थी, जिसका जिक्र नेहरू ने अपनी किताब डिस्कवरी ऑफ इंडिया में भी किया है.