देहरादून:दुनिया के सबसे बेहतरीन सैन्य अफसर तैयार करना कोई आसान काम नहीं है. भारतीय सेना के लिए इसका बीड़ा उठाया है भारतीय सैन्य अकादमी ने. जंग लड़ने और फतह हासिल करने के लिए जिस बात की सबसे ज्यादा जरूरत है उस साहस, हिम्मत और शौर्य को जगाती है इंडियन मिलिट्री एकेडमी. भारतीय सैन्य अकादमी से शनिवार को 377 कैडेट पास आउट हो गए हैं, जिसमें अफगानिस्तान के 43 कैडेट्स का अंतिम बैच भी शामिल रहा.
भारतीय सेना को मिले 288 जांबाज: इस बार आईएमए में 11 जून को हुए पासिंग आउट परेड के बाद भारतीय सेना को 288 युवा अफसर मिले. इसके अलावा 8 मित्र देशों की सेना को भी 89 सैन्य अधिकारी मिले. अब तक आईएमए के नाम देश-विदेश की सेना को 63 हजार 768 युवा सैन्य अफसर देने का गौरव जुड़ा है. इनमें 34 मित्र देशों को मिले 2,724 सैन्य अधिकारी भी शामिल हैं.
भारतीय सैन्य अकादमी से शनिवार को 377 कैडेट पास आउट हो गए हैं, जिसमें 288 भारतीय सेना का हिस्सा बने, जबकि 89 विदेशी कैडेट हैं. भारतीय सैन्य अकादमी की पासिंग आउट परेड में लेफ्टिनेंट जनरल अमरदीप सिंह भिंडर (Lieutenant general Amardeep Singh Bhinder) रिव्यूइंग अफसर शामिल हुए. वह दक्षिण पश्चिमी कमान के कमांडर (जनरल आफिसर कमांडिंग-इन-चीफ) हैं. उन्होंने बतौर मुख्य अतिथि परेड की सलामी ली.
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अफगानिस्तान के अंतिम 43 कैडेट्स हुए पास: भारतीय सैन्य अकादमी 11 जून को हुए पासिंग आउट परेड के दौरान अपने भारतीय बैच के साथियों के साथ अफगानिस्तान के 43 कैडेट्स का अंतिम बैच पास आउट हुआ, लेकिन इनका भविष्य अधर में नजर आ रहा है. इसकी वजह ये है कि पिछले साल 15 अगस्त को अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया था. अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे के बाद अफगान राष्ट्रीय सेना का अस्तित्व समाप्त हो गया है. तालिबानी कब्जे के दौरान अफगानिस्तान के 83 जेंटलमैन कैडेट्स IMA में प्रशिक्षण ले रहे थे. इनमें से 40 कैडेट्स दिसंबर 2021 में अकादमी से स्नातक की उपाधि प्राप्त की और बाकी 43 कैडेट्स आज 11 जून को पास आउट हो गए हैं. IMA से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि जब से अफगानिस्तान में तालिबान सत्ता में आया है, कोई नया कैडेट प्रशिक्षण के लिए अकादमी नहीं आया.
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इससे पहले फरवरी में, तालिबान की ओर से अफगान राष्ट्रीय रक्षा सुरक्षा बलों के जवानों को बंधक बनाने और उन्हें कत्ल करने की खबरों के बीच रक्षा मंत्रालय ने विभिन्न भारतीय सैन्य प्रशिक्षण संस्थानों के करीब 80 अफगान कैडेटों को भारत में लंबे समय तक रहने की अनुमति दी थी. क्योंकि तालिबान की वापसी के बाद अफगान कैडेटों ने अपने देश लौटने से इनकार कर दिया था. उनमें से कुछ ने भारत के साथ-साथ संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों में शरण मांगी थी.
आईएमए से पासआउट होकर कहां जाएंगे?:अफगानिस्तानी कैडेट्स के सामने सबसे बड़ा सवाल यही है कि वे जिस सेना और देश को बचाने के लिए आईएमए में ट्रेनिंग ले रहे थे, उसका खुद का वजूद खतरे में पड़ गया है. अब वे किसके लिए काम करेंगे. यहां से ट्रेनिंग लेने के बाद वो कहां जाएंगे. उन्हें अभी भविष्य के सारे रास्ते बंद दिख रहे हैं.
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अफगानी कैडेट्स को लेकर आईएमए का बयान: अफगानिस्तान के जवान कहां जाएंगे, कैसे जाएंगे. इस बारे में भारत सरकार की तरफ से अभी तक हमारे पास कोई भी जानकारी नहीं आई है. जिस तरह से भारत के जवानों ने तैयारी की हैं, उसी तरह से अफगानिस्तान के भी जवान पूरी मेहनत से यहां तक पहुंचे हैं. आगे का फैसला भारत सरकार करेगा. इस बारे में फिलहाल हमारे पास कोई भी जानकारी नहीं है, जैसा भी कुछ होगा एक आधिकारिक बयान जारी किया जाएगा.