नाइजीरिया: अफ्रीका के नाइजीरिया सहित कुछ हिस्सों में हाल ही में लासा बुखार का प्रकोप देखा जा रहा है. महामारी से जूझ रही दुनिया इससे और भी अधिक परेशान हो रही है. यूके की स्वास्थ्य सुरक्षा एजेंसी के अनुसार, पश्चिमी अफ्रीका से एक दशक में पहली बार लासा बुखार ब्रिटेन में आयात किया गया है, जहां इस बीमारी को स्थानिकमारी के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
क्या है लासा बुखार?
लासा एक दुर्लभ, लेकिन गंभीर संक्रमण है जो लासा वायरस से संक्रमित चूहों की लार और मलमूत्र से दूषित चीजों के संपर्क में आने के कारण होती है. इसमें शरीर से खून बहने की जैसी समस्याएं देखी जाती हैं. और तो और यह बहुत तेजी से फैलने वाली बीमारी है.
इसके लक्षण
कुछ मामलों में लासा बुखार में मलेरिया के समान लक्षण होते हैं. वहीं चिकित्सा विशेषज्ञ इबोला से भी इसकी कुछ समानताएं बताते हैं. इस बीमारी के लक्षण आमतौर पर वायरस से संपर्क में आने के सात से इक्कीस दिनों बाद दिखाई देते हैं. लासा में फ्लू जैसे लक्षण होते हैं जिसमें ये सामान्यतः ये लक्षण देखे जाते हैं-
बुखार, सिरदर्द और गले में खराश दस्त एवं उल्टी
अधिक गंभीर मामलों में, सांस लेने में समस्या, छाती, पीठ और अन्य मांसपेशियों में दर्द और झटका संभावित लक्षण हैं.
चेहरे पर सूजन एवं कुछ मामलों में नाक और योनि से रक्तस्राव भी देखा गया है
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सबसे आम समस्याएं
एक आंकडा से यह भी पता चला है कि लासा के परिणामस्वरूप बहरापन सबसे अधिक देखी जाने वाली समस्या है. यह ठीक उसी प्रकार है जैसे कि कोरोना की पहली लहर में गंध की कमी थी. इससे हर तीन में से एक व्यक्ति को अलग-अलग डिग्री में बहरेपन का अनुभव होता देखा गया है. वहीं हर चार में से एक मामले में कुछ महीनों तक बहरापन बना रहता है.
विशेषज्ञों के अनुसार, लासा बुखार का संक्रमण आकस्मिक संपर्क (गले लगाना, हाथ मिलाना या आस-पास बैठना) से नहीं फैलता है
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इसका इलाज क्या है?
लासा बुखार के लिए फिलहाल कोई प्रभावी उपचार या टीका नहीं है. 2019 में दो टीकों को पहले चरण के परीक्षण के लिए रखा गया था जिसमें पिछले साल एक टीका मानव परीक्षण के लिए भेजा गया था. लेकिन एतिहात के लिए खाने-पीने की चीजों को चूहों की पहुंच से दूर रखना एक उपाय हो सकता है.
यह कितना खतरनाक है?
लासा बुखार को महामारी की संभावना के रूप में वर्गीकृत किया गया है. वहीं डब्ल्यूएचओ ने इसे अपनी प्राथमिकता रोगजनक श्रेणी में सूचीबद्ध किया है - जिसमें इबोला और डेंगू भी शामिल है. हालांकि विशेषज्ञों का कहना है की इसके कोरोना जितना खतरनाक होने की संभावना कम है.