नई दिल्लीः शरीर में रक्त का संचरण धमनियों (आर्टरीज) के माध्यम से होता है. जब इन धमनियों में ब्लॉकेज आ जाती है और रक्त का संचरण सुचारू रूप से होना बंद हो जाता है, तब हार्ट अटैक की स्थिति बनती है. इस ब्लॉकेज को दूर करने के लिए अक्सर ऐसे मरीजों मेंं स्टेंट डालने पड़ते हैं. लेकिन, अब स्टेंट डाले बिना भी धमनियों की ब्लॉकेज को दूर किया जा सकता है.
इसके लिए गुरूग्राम स्थित मेदांता अस्पताल सहित देश के अन्य कई अस्पतालों में लेजर थेरेपी तकनीक अपनाई जा रही है. मेदांता अस्पताल में इंटरवेंशनल एंड स्ट्रक्चरल हार्ट कार्डियोलाजी विभाग के चेयरमैन डॉ. प्रवीण चंद्रा ने बताया कि लेजर थेरेपी तकनीक स्टेंटिंग की प्रक्रिया से सरल है. कई बार जब एंजियोप्लास्टी करके स्टेंट डाला जाता है तो वह काम नहीं करता. इस स्थिति को स्टेंट फेल होना कहा जाता है. कई बार कुछ मरीजों में स्टेंट के काम करने की संभावना कम होती है. ऐसे मरीजों में लेजर तकनीक का इस्तेमाल करके पहले धमनियों को साफ कर दिया जाता है. फिर मेडिकेटेड गुब्बारे की मदद से धमनियों में दवाई छोड़ दी जाती है, जिससे धमनी की ब्लाकेज पूरी तरह खत्म हो जाती है. इस तकनीक से ब्लाकेज दूरे होने के बाद दोबारा ब्लाकेज की संभावना नहीं रहती है. साथ ही नस पूरी तरह से प्राकृतिक स्थिति में आ जाती है.
तकनीक के फायदे
- लेजर थेरेपी तकनीक अधिकतर ब्लॉकेज में कारगर है.
- इससे दोबारा ब्लॉकेज के की संभावना न के बराबर रहती है.
- लेजर थेरेपी से ब्लॉकेज दूर करने पर मरीज को उसी दिन छुट्टी मिल जाती है.
- इसमें बिना किसी एनेस्थीसिया, बिना किसी चीर-फाड़ के इलाज हो जाता है.
- लेजर थेरेपी तकनीक से अधिक समय तक कारगर रहने वाला इलाज होता है.
- इसमें अचानक ब्लॉकेज होने की कोई संभावना नहीं होती है.
- जबकि स्टेंट डालते समय कई बार अचानक ब्लॉकेज होने का खतरा बना रहता है.
इस तकनीक से हो चुका है 300-400 मरीजों का इलाज
डॉ. प्रवीण चंद्रा ने बताया कि पिछले एक साल में मेदांता अस्पताल में लेजर थेरेपी तकनीक से 300 से 400 मरीजों का इलाज हो चुका है. इस तकनीक से इलाज कराने में मरीज ज्यादा सहज महसूस करता है. जिस दिन मरीज अस्पताल में आता है, उसी दिन उसकी ब्लॉकेज को दूर करके छुट्टी दे दी जाती है. मरीज के मन में बिना चीर-फाड़ इलाज होने के कारण कोई नकारात्मक विचार या डर भी महसूस नहीं होता है. जबकि स्टेंट डालने पर मरीज को अस्पताल से छुट्टी मिलने में दो दिन लग जाते हैं.