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UN में बोले PM मोदी- भूमि क्षरण ने दुनिया के दो-तिहाई हिस्से को प्रभावित किया

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कहा कि भूमि क्षरण ने दुनिया के दो-तिहाई हिस्से को प्रभावित किया. उन्होंने कहा कि यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह समाज, अर्थव्यवस्थाओं, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता व सुरक्षा की नींव को कमजोर कर देगा.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

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Published : Jun 14, 2021, 10:42 PM IST

संयुक्त राष्ट्र : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने सोमवार को कहा कि भूमि क्षरण (land degradation) ने दुनिया के दो-तिहाई हिस्से को प्रभावित किया. उन्होंने कहा कि यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह समाज, अर्थव्यवस्थाओं, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता व सुरक्षा की नींव को कमजोर कर देगा.

प्रधानमंत्री संयुक्त राष्ट्र (United Nations) में 'मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे' के बारे में उच्चस्तरीय संवाद को डिजिटल माध्यम से संबोधित कर रहे थे. उन्होंने मरुस्थलीकरण से निपटने में संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन (UNCCD) के सभी पक्षों के 14वें सत्र के अध्यक्ष के रूप में प्रारंभिक सत्र को संबोधित किया.

'भूमि हमारे जीवन, आजीविका का मूलभूत अंग'

मोदी ने कहा कि भूमि जीवन और आजीविका के लिए मूलभूत अंग है और सभी को इसे समझाने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि दुखद है कि भूमि क्षरण ने आज दुनिया के दो-तिहाई हिस्से को प्रभावित किया है. अगर इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो यह हमारे समाजों, अर्थव्यवस्थाओं, खाद्य सुरक्षा, स्वास्थ्य और जीवन की गुणवत्ता व सुरक्षा की नींव को कमजोर कर देगा.

पढ़ें :पीएम मोदी UN में 14 जून काे सूखे पर उच्च स्तरीय वर्चुअल कार्यक्रम को करेंगे संबोधित

उन्होंने कहा कि इसलिए हमें भूमि और इसके संसाधनों पर भयंकर दबाव को कम करना होगा. अभी आगे बहुत कुछ किया जाना बाकी है. हम साथ मिलकर इसे कर सकते हैं.

अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भूमि क्षरण बना मुद्दा

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत में भूमि को हमेशा से महत्व दिया जाता रहा है और इसे लोग अपनी माता भी मानते हैं. उन्होंने कहा कि भारत ने भूमि क्षरण को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर मुद्दा बनाया है.

प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले 10 वर्षों में भारत ने 30 लाख हेक्टेयर जमीन को जोड़ा है.

उल्लेखनीय है कि इस उच्चस्तरीय संवाद में मरुस्थलीकरण, भूमि क्षरण और सूखे से निपटने में किये गये प्रयासों में हुई प्रगति का आकलन किया जाना है. साथ ही इसमें मरुस्थलीकरण के खिलाफ संघर्ष करने और पारिस्थितिकी तंत्र को पुनर्जीवित करने के बारे में संयुक्त राष्ट्र की कार्य योजना भी तैयार की जाएगी.

(पीटीआई-भाषा)

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