रांची :राज्य का सबसे बड़ा अस्पताल रिम्स का पेइंग वार्ड करीब 3 वर्षों तक सुर्खियों में रहा. इसके पीछे कारण यही है कि यहां बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव भर्ती थे. दिसंबर 2017 में चारा घोटाला मामले में सजायाफ्ता होने के बाद लालू यादव को रांची के होटवार जेल जाना पड़ा जहां उनकी तबीयत धीरे-धीरे खराब होती गई. कुछ दिनों बाद हाई कोर्ट के आदेश पर उन्हें रिम्स में भर्ती कराया गया. रिम्स के पेइंग वार्ड के फर्स्ट फ्लोर का A-11 कमरा उन्हें अलॉट किया गया था, जहां उन्होंने करीब ढाई साल का समय बिताया. लालू यादव की रसूख और पद को देखते हुए रिम्स प्रबंधन के लिए भी उनके हिसाब से सुविधा मुहैया कराना एक चुनौती थी.
हर शनिवार पेइंग वार्ड के बाहर जुटती थी भीड़
रिम्स में करीब ढाई साल रहने के दौरान कई तरह की चर्चाएं भी जोरों पर रही. कई बार जेल नियमों के उल्लंघन के मामले सामने आए. कई बार पुलिस कस्टडी में रहने के बावजूद भी लालू पेइंग वार्ड में घूमते फिरते नजर आए और इसको लेकर कई सवाल भी खड़े हुए. लालू जब तक रिम्स के पेइंग वार्ड में रहे तब तक हर शनिवार उन्हें तीन लोगों से मुलाकात करने की अनुमति दी जाती थी. इसमें कई बार देश के बड़े नेता या फिर बड़े लोगों का नाम शामिल होता था. शनिवार को रिम्स के पेइंग वार्ड के बाहर मेला जैसा माहौल रहता था.
लालू यादव ने रिम्स के पेइंग वार्ड को कर दिया मालामाल पेइंग वार्ड के बाहर पहुंचकर तस्वीरें खिंचवाते थे लोग
लालू यादव जब तक रिम्स में भर्ती रहे तब तक अन्य मरीजों को भी राहत मिलती थी. कुछ दिन तक तो लोग पेइंग वार्ड को लालू यादव की वजह से ही जान पाते थे. एक प्रत्यक्षदर्शी बताते हैं कि शनिवार को पेइंग वार्ड के बाहर में भीड़ होने की वजह से आने-जाने वाले सभी लोगों को जानकारी हो जाती थी कि पेइंग वार्ड में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री लालू यादव भर्ती हैं. रिम्स के पेइंग वार्ड के कर्मचारी आनंद कुमार बताते हैं कि लालू यादव जब यहां भर्ती थे तो यहां का माहौल काफी खुशनुमा था. लालू यादव से मिलने के लिए हर शनिवार को लोग आते थे जिसमें कई दिग्गज शामिल थे. उन्होंने बताया कि कई कर्मचारी उनसे मिलने वाले लोगों के साथ पेइंग वार्ड के बाहर फोटो भी खिंचवाते थे.
9 लाख रुपए का किया भुगतान
रिम्स में लालू यादव की देखरेख की जिम्मेदारी रिम्स के अधीक्षक और उपाधीक्षक की थी. अधीक्षक विवेक कश्यप बताते हैं कि लालू यादव वीआईपी कैदी में शुमार थे. उनकी सुरक्षा भी जरूरी थी और इसलिए उन्हें पेइंग वार्ड का वीआईपी कमरा मुहैया कराया गया था. बता दें कि उस कमरे का प्रतिदिन एक हजार रुपये के हिसाब से ढाई साल का लगभग 9 लाख रुपये का भुगतान किया गया था. उनका फिलहाल कोई बकाया नहीं है और उनके लोगों की तरफ से पेइंग वार्ड के A-11 कमरे की चाभी रिम्स प्रबंधन को सौंप दी गई है.
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