महिला आरक्षण बिल पर शिवानंद तिवारी से बातचीत पटना:आरजेडी उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने कहा कि महिला आरक्षण बिल पर केंद्र सरकार की नीति स्पष्ट नहीं है. उन्होंने कहा कि हम लोग महिला आरक्षण के विरोधी नहीं हैं लेकिन मेरी पार्टी का स्टैंड ये है कि पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति से आने वाले महिलाओं को भी आरक्षण का लाभ दिया जाए. उनका कहना है कि राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव ने भी इसी मुद्दे पर महिला आरक्षण बिल का कभी विरोध किया था.
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क्या बोले शिवानंद तिवारी?: शिवानंद तिवारी ने कहा कि मंडल कमीशन की रिपोर्ट में भी 51% आबादी पिछड़ों की बताई गई थी. अगर रिपोर्ट को आधार माना जाए तो आरक्षित सीटों में 51% पिछड़ी और अति पिछड़ी जाति से आने वाली महिलाओं के लिए आरक्षित होना चाहिए. उन्होंने कहा कि जब तक आरक्षण के अंदर आरक्षण की व्यवस्था नहीं की जाती है, तब तक महिला आरक्षण बेमानी होगी.
"हमलोगों के स्टैंड में कोई परिवर्तन नहीं आया है. जो बात पहले लालू यादव कहते रहे हैं, हमलोग उसी बात को आज भी दोहराते हैं. मंडल कमिशन के आधार पर पिछड़ों की आबादी 52 फीसदी है. ऐसे में हम चाहते हैं कि एससी-एसटी के आरक्षण को छोड़कर जो सीटें बचती हैं, उसमें पिछड़े वर्ग की महिलाओं को आरक्षण मिलना चाहिए"- शिवानंद तिवारी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आरजेडी
लालू ने दी थी UPA से समर्थन वापसी की धमकी: कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार ने साल 2008 में महिला आरक्षण बिल को 108वें संविधान संशोधन विधेयक के रूप में राज्यसभा में पेश किया और 9 मार्च 2010 को यह पारित हो गया. हालांकि इस बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया जा सका, क्योंकि सरकार की प्रमुख सहयोगी आरजेडी और समाजवादी पार्टी ने इसका विरोध कर दिया था. दरअसल आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव ने आरक्षण में आरक्षण की मांग को लेकर इस बिल का विरोध किया था. उन्होंने सरकार से समर्थन वापस लेने तक की धमकी दे दी. जिस वजह से कांग्रेस ने बिल को लोकसभा में पेश नहीं किया.
2010 में मुखर थे JDU के शरद यादव:उस दौरान राज्यसभा में जेडीयू सांसद शरद यादव ने विधेयक का विरोध किया, सदन के वेल में आकर जमकर हंगामा किया और बिल को फाड़ दिया था. संसद में शरद यादव ने सवाल पूछा था कि, ''परकटी महिलाएं हमारी महिलाओं के बारे में क्या समझेंगी, वो क्या सोचेंगी. हम संसद में जहर खा लेंगे, लेकिन बिल को पास नहीं होने देंगे."
महिला आरक्षण बिल पर जेडीयू का स्टैंड: यूपीए सरकार ने जब 2010 में राज्यसभा में महिला आरक्षण बिल को पास कराया था, तब उसे बीजेपी और वाम दलों के अलावे जेडीयू का भी समर्थन मिला था. इस बार भी जेडीयू ने महिला आरक्षण बिल के समर्थन की घोषणा की है. जेडीयू के वरिष्ठ नेता केसी त्यागी ने कहा है कि हमारे नेता नीतीश कुमार महिला आरक्षण के हिमायती हैं. हमारी मांग होगी कि महिला आरक्षण के अंदर दलित और कमजोर वर्ग की महिलाओं को कोटा भी मिले लेकिन महिला आरक्षण बिल पर हम किसी शर्त की बात नहीं कर रहे हैं.
''पार्टी की जो भी मांग होगी वह संसद में रखी जायेगी लेकिन महिलाओं को आरक्षण का विधेयक जिस भी प्रारूप में आ रहा है, उसका समर्थन किया जाएगा.''-केसी त्यागी, राष्ट्रीय प्रवक्ता, जेडीयू
महिला आरक्षण बिल पर क्या बोले मनोज झा?: राज्यसभा में आरजेडी के सांसद मनोज झा ने कहा कि हमलोग महिला आरक्षण बिल पर सरकार की ओर से स्पष्टता चाहते हैं. उन्होंने कहा कि आरजेडी अध्यक्ष लालू यादव के समय से ही हमारा मानना है कि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग से जुड़ी महिलाओं के लिए आरक्षण की जरूरत है. उन्होंने कहा कि कोटे के अंदर कोटे की आवश्यकता है. अगर ऐसा नहीं होता है तो हमें सामाजिक न्याय के लिए लड़ना होगा.
''कैबिनेट बैठक में कोई ब्रीफिंग नहीं हुई. महिला आरक्षण बिल को लेकर अगर सरकार की नीयत साफ है तो हम इसमें और स्पष्टता चाहते हैं. लालू यादव के समय से हमारी पार्टी का मानना है कि अगर आपका विचार प्रतिनिधित्व बढ़ाने का है तो यह तब तक संभव नहीं है, जब तक आप एससी, एसटी और ओबीसी की महिलाओं के लिए कोटा नहीं देते. कोटे के भीतर एक कोटा होना जरूरी है. अगर आप ऐसा नहीं करेंगे तो हमें सामाजिक न्याय पर लंबी लड़ाई लड़नी पड़ेगी.''- मनोज झा, राज्यसभा सांसद, आरजेडी
क्या है महिला आरक्षण बिल?: मंगलवार को केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने लोकसभा में 128वां संविधान संशोधन बिल यानी नारी शक्ति वंदन विधेयक पेश किया. इसके तहत लोकसभा और विधानसभा में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण का प्रावधान होगा. आसान भाषा में समझें तो लोकसभा की 543 सीटों में से 181 सीटें महिलाओं के लिए रिजर्व हो जाएंगी. महिलाओं के लिए आरक्षण की यह व्यवस्था 15 साल के लिए होगी, उसके बाद आरक्षण के लिए फिर से बिल लाना होगा. राज्यसभा और विधान परिषद में महिला आरक्षण लागू नहीं होगा.