कोच्चि : लक्षद्वीप प्रशासन ने सोमवार को द्वीप के सांसद पी पी मोहम्मद फैसल की ओर से दायर की गयी एक याचिका का विरोध किया, जिसमें प्रस्तावित कानूनों के मसौदे को वापस लेने की मांग की गई थी.
लक्षद्वीप प्रशासन कार्यालय के प्रशासनिक अधिकारी अंकित अग्रवाल की ओर से दायर किए गए जवाबी हलफनामे में कहा गया कि जब तक तैयार किया गया मसौदा कानून नहीं बन जाता तब तक इसके खिलाफ किसी प्रकार की चुनौती को स्वीकार नहीं किया जा सकता.
फैसल ने पहले केरल उच्च न्यायालय का रुख कर प्रस्तावित कानूनों को वापस लेने का निर्देश देने की मांग की थी. फैसल ने अपनी याचिका में कहा था कि लक्षद्वीप के नागरिकों की ओर से आपत्तियां प्राप्त होने तक इन्हें लागू नहीं किया जाना चाहिए. फैसल ने अपनी याचिका में कहा कि कोविड-19 के मद्देनजर लागू पाबंदियों के खत्म होने के बाद इस मामले की सुनवाई होनी चाहिए. उन्होंने सार्वजनिक हित में लक्षद्वीप के लिए प्रस्तावित कानूनों के मसौदे के स्थानीय भाषा संस्करणों को प्रस्तुत करने के निर्देश देने की भी मांग की थी.
प्रशासनिक अधिकारी अंकित अग्रवाल की ओर से दायर किए गए जवाबी हलफनामे के मुताबिक यह भी निवेदन किया गया है कि संविधान के अनुच्छेद 345 के तहत मलयालम को लक्षद्वीप की आधिकारिक भाषा के रूप में नहीं अपनाया गया है. मिनिकॉय द्वीप को छोड़कर लक्षद्वीप के लोगों द्वारा प्रमुख रूप से बोली जाने वाली भाषा जेसेरी है, जिसकी कोई लिपि नहीं है और लक्षद्वीप के सभी स्कूलों में अंग्रेजी पढ़ाई जाती है.