अलवर :राजस्थान केसरिस्का टाइगर रिजर्व (Sariska Tiger Reserve) में शिकार के बढ़ते खतरे के बीच बाघों का कुनबा बचाना किसी बड़ी चुनौती से कम नहीं है. हालांकि सरिस्का में बीते कुछ सालों के दौरान बाघों के कुनबे में बढ़ोतरी हुई है. एक बाघ की मॉनिटरिंग पर हर माह मोटी राशि खर्च होती है. 24 घंटे एक टीम बाघ कि हर मूवमेंट पर नजर रखती है. सरिस्का में कई सालों की विरानी के बाद जब वापस बाघों की दहाड़ गूंजी तो उसके साथ ही विभाग के सामने कई तरह की चुनौतियां भी खड़ी हो गई.
साल 2005 में सरिस्का बाघ विहीन हो गया था. सभी बाघों का शिकार हो गया था. शिकार का मामला सामने आने के बाद रणथंभौर और मध्य प्रदेश से बाघों को एअरलिफ्ट करके सरिस्का लाया गया. यहां पर बाघों को बसाया गया. उसके बाद लगातार यहां बाघों के कुनबे में बढ़ोतरी हो रही है. सरिस्का में इस समय 23 बाघ हैं. इसमें 10 बाघिन, 7 बाघ व 6 शावक हैं. प्रत्येक बाघ की मॉनिटरिंग एक टीम लगातार करती रहती है. इस टीम में एक वन कर्मी और एक स्थानीय ग्रामीण शामिल होता है.
प्रत्येक टीम को वन विभाग की तरफ से एक मोटरसाइकिल दी गई है, जो लगातार बाघ की मॉनिटरिंग में रहते हैं. प्रत्येक टीम में एक वन कर्मी और एक ग्रामीण शामिल होता है. वन कर्मी का वेतन 35 से 40 हजार रुपए रहता है. जबकि सरिस्का प्रशासन की तरफ से स्थानीय ग्रामीण को 10 हजार रुपए वेतन दिया जाता है. प्रत्येक बाघ की मॉनिटरिंग पर एक माह में 50 हजार खर्च होते हैं. सरिस्का में 20 टीमें बनी हुई है. इस हिसाब से हर महीने में करीब 10 लाख रुपए टाइगर की मॉनिटरिंग (Tiger monitoring in Sariska) पर खर्च होते हैं. इसके अलावा तीन अधिकारियों की टीम सरिस्का में गश्त पर रहती है. साथ ही डीएफओ व सीसीएफ सहित अन्य वन विभाग के उच्च अधिकारी भी लगातार दिन-रात मॉनिटरिंग में व्यस्त रहते हैं. इनके लिए अलग से जिप्सी व वाहन लगाई जाती है. इसे भी शामिल करें तो हर माह बाघों की मॉनिटरिंग पर करीब 12 से 13 लाख रुपए का खर्च होते हैं.
किस प्रकार वन विभाग को करनी होती है मॉनिटरिंग
बाघ की मॉनिटरिंग पर एक टीम होती है. यह टीम प्रतिदिन अलग-अलग समय बाघ की लोकेशन लेती है. यह लोकेशन वन विभाग के अधिकारियों को भेजी जाती है. बाघ की मूवमेंट पर भी हमेशा नजर रहती है. प्रत्येक बाघ का एरिया निर्धारित है. अगर बाघ उस एरिया को छोड़कर दूसरे क्षेत्र में जाता है तो वन विभाग की टीम भी उसके पीछे पीछे रहती है. पग मार्क, रेडियो कॉलर व कैमरा ट्रैप के माध्यम से बाघ पर नजर रखी जाती है.
इस टाइगर रिजर्व में एक बार हो चुका है बाघों का सफाया