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लखीमपुर हिंसा मामला : सुप्रीम कोर्ट ने लिया स्वत: संज्ञान, आज होगी सुनवाई

लखीमपुर मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. चीफ जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस हिमा कोहली की पीठ इस मामले की सुनवाई करेगी.

लखीमपुर मामला सुप्रीम कोर्ट
लखीमपुर मामला सुप्रीम कोर्ट

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Published : Oct 6, 2021, 9:32 PM IST

Updated : Oct 7, 2021, 2:22 AM IST

नई दिल्ली :उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में हुई हिंसा (lakhimpur kheri violence) के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है. गुरुवार को इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस एनवी रमान की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ करेगी.

गौरतलब है कि लखीमपुर मामले में दो वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को भेजे गए पत्र में कहा है कि गृह मंत्रालय को निर्देश दिया जाए. इसके अलावा यूपी पुलिस को भी प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश देने की मांग की गई है. पत्र में अपील की गई है कि लखीमपुर खीरी कांड में शामिल मंत्रियों को दंडित करने के निर्देश दिए जाएं.

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पत्र में मांग की गई है कि लखीमपुर मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) को शामिल करते हुए सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में न्यायिक जांच होनी चाहिए. लखीमपुर खीरी मामले में पत्र लिखने वाले वकील शिव कुमार त्रिपाठी और सीएस पांडा ने कहा है कि किसानों की मौत एक गंभीर मामला है, और इस मामले में सुप्रीम कोर्ट को हस्तक्षेप करना ही चाहिए.

इससे पहले भाजपा सांसद वरुण गांधी ने भी लखीमपुर मामले में संलिप्त तमाम संदिग्धों को तत्काल चिह्नित कर आईपीसी की धारा 302 (हत्या) के तहत हत्या का मुकदमा कायम कर सख्त से सख्त कार्यवाही की मांग की थी. उन्होंने उत्तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ को लिखे पत्र में कहा, 'तीन अक्टूबर को खीरी में विरोध प्रदर्शन कर रहे किसानों को निर्दयता पूर्वक कुचलने की जो हृदय विदारक घटना हुई है, उससे सारे देश के नागरिकों में एक पीड़ा और रोष है.

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गांधी ने कहा, इस घटना से एक दिन पहले ही देश ने अहिंसा के पुजारी महात्मा गांधी जी की जयंती मनाई थी. अगले ही दिन लखीमपुर खीरी में हमारे अन्नदाताओं की जिस घटनाक्रम में हत्या की गई वह किसी भी सभ्य समाज में अक्षम्य है. उन्होंने पत्र में लिखा, आंदोलनकारी किसान भाई हमारे अपने नागरिक हैं.

इससे पहले गत 4 अक्टूबर को भी सुप्रीम कोर्ट ने लखीमपुर प्रकरण को लेकर परोक्ष टिप्पणी की थी. दरअसल, किसान महापंचायत ने शीर्ष अदालत से मांग की थी कि उन्हें दिल्ली के जंतर-मंतर पर सत्याग्रह करने की परमिशन दी जाए. इस अर्जी पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि जब ऐसी दुर्भाग्यपूर्ण घटनाएं होती हैं, तो कोई भी जिम्मेदारी लेने को तैयार नहीं होता है. प्रदर्शनकारी दावा करते हैं कि उनका प्रदर्शन शांतिपूर्ण है, लेकिन जब वहां हिंसा होती है तो कोई जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं होता है.

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गौरतलब है कि लखीमपुर खीरी जिले के तिकोनिया क्षेत्र में रविवार को उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य द्वारा केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा के पैतृक गांव के दौरे के विरोध को लेकर भड़की हिंसा में चार किसानों समेत आठ लोगों की मौत हो गई थी. इस मामले में मिश्रा के बेटे आशीष समेत कई लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है.

लखीमपुर खीरी जिले के तिकुनिया थाने में बहराइच जिले के नानपारा क्षेत्र बंजारन टांडा निवासी जगजीत सिंह की ओर से दर्ज कराई गई प्राथमिकी में आशीष पर 15-20 अज्ञात लोगों के साथ मिलकर किसानों के ऊपर जीप चढ़ाने और गोली चलाकर हत्या करने का आरोप लगाया गया है.

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तिकुनिया थाने में आशीष तथा 15-20 अज्ञात लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धाराओं 147 (उपद्रव), 148 (घातक अस्त्र का प्रयोग), 149 (भीड़ हिंसा), 279 (सार्वजनिक स्थल पर वाहन से मानव जीवन के लिए संकट पैदा करना), 338 (दूसरों के जीवन के लिए संकट पैदा करना), 304 ए (किसी की असावधानी से किसी की मौत होना), 302 (हत्या) और 120 बी (साजिश रचने) के तहत मामला दर्ज किया गया है.

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Last Updated : Oct 7, 2021, 2:22 AM IST

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