अहमदाबाद : गुजरात उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि रेमडेसिविर इंजेक्शन की आवश्यक मात्रा के आवंटन में केंद्र और राज्य सरकार के बीच समन्वय की कमी प्रतीत होती है.अदालत ने उल्लेख किया कि केंद्र सरकार ने पिछले एक महीने से राज्य को प्रतिदिन करीब 16,000 शीशियों की आपूर्ति जारी रखी है जबकि मांग प्रतिदिन लगभग 25,000 शीशियों की थी.
न्यायमूर्ति बेला त्रिवेदी और न्यायमूर्ति भार्गव डी त्रिवेदी की एक खंडपीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे सहायक सॉलिसिटर जनरल देवांग व्यास से पूछा कि गुजरात की मांग क्यों नहीं पूरी की जा रही है.
अदालत से सवाल किया, 'उन रोगियों का क्या होगा जिन्हें इस (इंजेक्शन) की आवश्यकता है? क्या सरकार को रोगियों को रेमडेसिविर के अभाव में मरने देना चाहिए?'
अदालत ने केंद्र को निर्देश दिया कि वह राज्यों को कोविड-19 के गंभीर रोगियों के इलाज के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रेमेडिसविर के आवंटन के लिए नीति को रिकॉर्ड में रखे.
अदालत ने कहा कि उत्पादन पहले के 30,00,000 शीशी प्रति माह से बढ़कर एक करोड़ शीशी होने के बावजूद, गुजरात के लिए केंद्र का आवंटन 21 अप्रैल से लगभग 16,000 प्रतिदिन बना हुआ है.
अदालत कोविड-19 महामारी से संबंधित मुद्दों पर स्वत: संज्ञान लेकर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
राज्य सरकार का प्रतिनिधित्व कर रहे महाधिवक्ता कमल त्रिवेदी ने वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये अदालत को बताया कि 21 अप्रैल से 16 मई के बीच गुजरात को प्रतिदिन 16,115 शीशियों की दर से रेमेडिसविर की 4,19,000 शीशियां मिलीं, जबकि राज्य ने 25,000 से अधिक शीशियों की मांग की थी.