नई दिल्ली : देश के मौसम पर 2020 में ला-नीना का असर स्पष्ट नजर आया जब लगातार दूसरे वर्ष देश में सामान्य से ज्यादा बारिश हुई, सर्दियों में सामान्य से कम तापमान रहा और गर्मियों में भी लू के थपेड़े कम महसूस हुए. इस साल पूर्वी और पश्चिमी तरफ समुद्री इलाकों में पांच चक्रवात भी आए. इन पांच में से चार 'गंभीर चक्रवाती तूफान' या उससे भी ज्यादा श्रेणी के थे.
ला-नीना स्थितियां उत्तर भारत के इलाकों में अच्छे मानसून और भीषण सर्द स्थितियों के लिये महत्वपूर्ण कारक होती हैं.
ला-नीना प्रशांत महासागर के जल के ठंडा होने से संबंधित है, जबकि अल-नीनो इसके विपरीत स्थिति है. आम तौर पर यह देखा गया है कि ला-नीना वर्ष में अच्छी बारिश होती है और सर्दियों में तापमान सामान्य से कम होता है.
देश में दिसंबर से फरवरी तक प्रमुख रूप से सर्दी का मौसम रहता है. भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के महानिदेशक एम मोहपात्रा ने कहा कि दिसंबर 2019 में उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में शुरू हुई भीषण सर्दी की स्थिति इस साल जनवरी में भी बरकरार रही.
उन्होंने कहा कि सर्द से भीषण सर्द दिनों वाली स्थितियां बाद में अक्टूबर, नवंबर और दिसंबर में भी बरकरार रहीं. उत्तर भारत के कुछ हिस्सों में अक्टूबर से दिसंबर तक सामान्य से कम तापमान दर्ज किया गया.
मोहपात्रा ने कहा कि दूसरी तरफ गर्मियों में भी इस बार लू के कम मामले सामने आए, जो देश के बड़े हिस्सों को आम तौर पर अप्रैल से जून के बीच प्रभावित करती है. उन्होंने इस बार लू की आवृत्ति कम होने की वजह अक्सर आने वाले पश्चिमी विक्षोभों को दिया.
इस साल पश्चिमी विक्षोभों के मामले असामान्य रूप से ज्यादा थे और गर्मियों के दौरान भी यह जारी रहे. 2020 बीते 30 सालों के दौरान तीसरा सबसे ज्यादा बारिश वाला साल भी रहा.
केरल में दक्षिण-पश्चिम मानसून एक जून को पहुंचा था जो इसकी सामान्य तारीख है. मानसून का आधिकारिक मौसम एक जून से शुरू होता है और 30 सितंबर तक रहता है.
देश में दीर्घावधि बारिश औसत (एलपीए) की 109 प्रतिशत बारिश हुई. आम तौर पर देश में जुलाई और अगस्त में अधिकतम बारिश होती है. मानसून की मुख्य विशेषताओं में इस बार अगस्त में हुई बारिश थी. इस महीने कम दबाव के पांच क्षेत्र बने, जिनकी वजह से मध्य भारत में काफी बारिश हुई.