हैदराबाद :राजस्थान में जनजातियों की आय (Tribals Income) और बांस आधारित अर्थव्यवस्था को बढ़ावा देने के लिए खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने अनोखी परियोजना 'सूखे भू-क्षेत्र पर बांस मरु-उद्यान' (बोल्ड) शुरू की है.
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (केवीआईसी) ने मरुस्थलीकरण को कम करने और आजीविका प्रदान करने के लिए यह बहुउद्देश्यीय ग्रामीण उद्योग सहायता शुरू की है. 'सूखे भू-क्षेत्र पर बांस मरु-उद्यान' (Bamboo Oasis on Lands in Drought) नाम की अनूठी परियोजना राजस्थान के उदयपुर जिले के निकलमांडावा के आदिवासी गांव में शुरू की जाने वाली देश में अपनी तरह की पहली परियोजना है.
खादी और ग्रामोद्योग आयोग (KVIC) क्या है?
यह खादी और ग्रामोद्योग आयोग अधिनियम, 1956 के तहत स्थापित एक वैधानिक निकाय है. यह ग्रामीण क्षेत्रों में खादी और अन्य ग्रामोद्योगों के विकास के लिए कार्यक्रमों के नियोजन, प्रचार, संगठन और कार्यान्वयन के लिए बनाया गया है. यह सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम मंत्रालय के अधीन कार्य करता है.
परियोजना के प्रमुख बिंदु
- परियोजना के तहत विशेष रूप से असम से लाए गए बांस की विशेष प्रजातियों- बंबुसा टुल्डा और बंबुसा पॉलीमोर्फा के 5,000 पौधों को ग्राम पंचायत की 25 बीघा (लगभग 16 एकड़) खाली शुष्क भूमि पर लगाया गया है. इस तरह केवीआईसी ने एक ही स्थान पर एक ही दिन में सर्वाधिक संख्या में बांस के पौधे लगाने का विश्व रिकॉर्ड बनाया है.
- यह भारत में अपनी तरह का पहला अभ्यास है. प्रोजेक्ट बोल्ड जो शुष्क और अर्ध-शुष्क भूमि क्षेत्रों में बांस आधारित हरे पैच बनाने का प्रयास करता है, भूमि क्षरण को कम करने और मरुस्थलीकरण को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान के साथ जुड़ा हुआ है.
- यह खादी ग्रामोद्योग आयोग द्वारा देश के 75वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में आयोजित खादी बांस महोत्सव (आजादी का अमृत महोत्सव) का हिस्सा है.
तेजी से बढ़ता है बांस इसलिए चुना