नई दिल्ली:वर्ष 2018 में खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission) ने एक उत्पाद मूल्य समायोजन खाता (Product Price Adjustment Account) तैयार करने का फैसला किया था, जो बाजार आधारित घटनाओं से निपटने के उद्देश्य से उसके 5 सेंट्रल स्लिवर प्लांट्स (Central Sliver Plants) के लिए एक आरक्षित कोष है. ये सीएसपी कपास खरीद रहे हैं और खादी संस्थानों को आपूर्ति के लिए उन्हें स्लिवर और रोविंग में तब्दील कर रहे हैं, जो उनसे यार्न और फैब्रिक बनाते हैं.
इन सीएसपी द्वारा बेचे गए कुल स्लिवर/रोविंग से प्रति किलोग्राम सिर्फ 50 पैसे का हस्तांतरण करके पीपीए कोष तैयार किया गया था. तीन साल बाद भी जब पूरा वस्त्र क्षेत्र कच्चे कपास की आपूर्ति में कमी और कीमतों में बढ़ोतरी से जूझ रहा है, तब केवीआईसी ने कपास की कीमतों में 110 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी के बावजूद अपने स्लिवर प्लांटों से खादी संस्थानों को आपूर्ति होने वाले स्लिवर/रोविंग की कीमत नहीं बढ़ाने का फैसला किया है. इसके बजाय केवीआईसी बढ़ी हुई दरों पर कच्चे कपास की बेल्स की खरीद पर 4.06 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत का वहन पीपीए कोष से करेगा.
यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि कच्चे कपास की कीमत पिछले 16 महीनों के दौरान 36000 रुपये प्रति कैंडी से बढ़कर 78000 रुपये प्रति कैंडी (हर कैंडी का वजन 365 किलोग्राम होता है) हो गई है. इसका देश भर में बड़ी टेक्सटाइल कंपनियों के सूती वस्त्रों के उत्पादन पर सीधा असर पड़ा, जिन्होंने हाल के महीनों में उत्पादन 30 से 35 फीसदी तक घटा दिया है. केवीआईसी का पहली बार रिजर्व फंड बनाने का फैसला 2700 पंजीकृत खादी संस्थानों और खादी इंडिया के 8000 से ज्यादा आउटलेट्स के लिए एक बड़ी राहत के रूप में सामने आया है जो पहले से कोविड-19 महामारी के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों के चलते उत्पादन और विपणन चुनौतियों से जूझ रहे हैं.
केवीआईसी अपने कुट्टूर, चित्रदुर्ग, सिहोर, रायबरेली और हाजीपुर स्थित अपने 5 सीएसपी के लिए भारतीय कपास निगम (सीसीआई) से कपास की बेल खरीदता है, जिससे कपास की विभिन्न किस्मों को स्लिवर और रोविंग में बदला जाता है. केवीआईसी द्वारा खरीदी जाने वाली कपास की किस्मों में बीबी मोड, वाई-1/एस-4, एच-4/जे-34, एलआरए/एमईसीएच, एमसीयू 5 और डीसीएच 32 शामिल हैं. इन दिनों इन किस्मों की कीमतों में प्रति कैंडी 13000 रुपये से 40000 रुपये तक प्रति कैंडी का अंत आ चुका है.
केवीआईसी को 31 मार्च 2022 तक विभिन्न किस्मों की 6370 कपास की बेलल की जरूरत होगी, जिनकी मौजूदा दर पर कीमत 13.25 करोड़ रुपये पड़ेगी जबकि पुरानी दरों पर यह कीमत 9.20 करोड़ रुपये होती. कीमत में 4.05 करोड़ रुपये के अंतर की भरपाई केवीआईसी द्वारा बनाए गए पीपीए रिजर्व से की जाएगी. रिजर्व फंड से सुनिश्चित हुआ है कि देश में खादी संस्थान कीमतों में बढ़ोतरी से अप्रभावित रहे हैं और खादी में सूती वस्त्रों की कीमतें भी नहीं बढ़ी हैं.