दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

कपास की बढ़ती कीमतों के बीच KVIC ने खादी संस्थानों को कीमतों में बढ़ोतरी से बचाया

खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission) द्वारा 2018 में बाजार के उतार-चढ़ाव और अन्य घटनाओं से निपटने के लिए लिया गया एक विशेष आरक्षित कोष बनाने का दूरदर्शी फैसला देश भर के सभी खादी संस्थानों के लिए एक रक्षक के रूप में सामने आया है. वह भी तब, जब पूरा वस्त्र उद्योग कच्चे कपास की कीमतों में बढ़ोतरी से जूझ रहा है.

KVIC
कपास

By

Published : Mar 13, 2022, 10:18 PM IST

नई दिल्ली:वर्ष 2018 में खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग (Khadi and Village Industries Commission) ने एक उत्पाद मूल्य समायोजन खाता (Product Price Adjustment Account) तैयार करने का फैसला किया था, जो बाजार आधारित घटनाओं से निपटने के उद्देश्य से उसके 5 सेंट्रल स्लिवर प्लांट्स (Central Sliver Plants) के लिए एक आरक्षित कोष है. ये सीएसपी कपास खरीद रहे हैं और खादी संस्थानों को आपूर्ति के लिए उन्हें स्लिवर और रोविंग में तब्दील कर रहे हैं, जो उनसे यार्न और फैब्रिक बनाते हैं.

इन सीएसपी द्वारा बेचे गए कुल स्लिवर/रोविंग से प्रति किलोग्राम सिर्फ 50 पैसे का हस्तांतरण करके पीपीए कोष तैयार किया गया था. तीन साल बाद भी जब पूरा वस्त्र क्षेत्र कच्चे कपास की आपूर्ति में कमी और कीमतों में बढ़ोतरी से जूझ रहा है, तब केवीआईसी ने कपास की कीमतों में 110 फीसदी से ज्यादा की बढ़ोतरी के बावजूद अपने स्लिवर प्लांटों से खादी संस्थानों को आपूर्ति होने वाले स्लिवर/रोविंग की कीमत नहीं बढ़ाने का फैसला किया है. इसके बजाय केवीआईसी बढ़ी हुई दरों पर कच्चे कपास की बेल्स की खरीद पर 4.06 करोड़ रुपये की अतिरिक्त लागत का वहन पीपीए कोष से करेगा.

यहां यह उल्लेख करना जरूरी है कि कच्चे कपास की कीमत पिछले 16 महीनों के दौरान 36000 रुपये प्रति कैंडी से बढ़कर 78000 रुपये प्रति कैंडी (हर कैंडी का वजन 365 किलोग्राम होता है) हो गई है. इसका देश भर में बड़ी टेक्सटाइल कंपनियों के सूती वस्त्रों के उत्पादन पर सीधा असर पड़ा, जिन्होंने हाल के महीनों में उत्पादन 30 से 35 फीसदी तक घटा दिया है. केवीआईसी का पहली बार रिजर्व फंड बनाने का फैसला 2700 पंजीकृत खादी संस्थानों और खादी इंडिया के 8000 से ज्यादा आउटलेट्स के लिए एक बड़ी राहत के रूप में सामने आया है जो पहले से कोविड-19 महामारी के दौरान लगाए गए प्रतिबंधों के चलते उत्पादन और विपणन चुनौतियों से जूझ रहे हैं.

केवीआईसी अपने कुट्टूर, चित्रदुर्ग, सिहोर, रायबरेली और हाजीपुर स्थित अपने 5 सीएसपी के लिए भारतीय कपास निगम (सीसीआई) से कपास की बेल खरीदता है, जिससे कपास की विभिन्न किस्मों को स्लिवर और रोविंग में बदला जाता है. केवीआईसी द्वारा खरीदी जाने वाली कपास की किस्मों में बीबी मोड, वाई-1/एस-4, एच-4/जे-34, एलआरए/एमईसीएच, एमसीयू 5 और डीसीएच 32 शामिल हैं. इन दिनों इन किस्मों की कीमतों में प्रति कैंडी 13000 रुपये से 40000 रुपये तक प्रति कैंडी का अंत आ चुका है.

केवीआईसी को 31 मार्च 2022 तक विभिन्न किस्मों की 6370 कपास की बेलल की जरूरत होगी, जिनकी मौजूदा दर पर कीमत 13.25 करोड़ रुपये पड़ेगी जबकि पुरानी दरों पर यह कीमत 9.20 करोड़ रुपये होती. कीमत में 4.05 करोड़ रुपये के अंतर की भरपाई केवीआईसी द्वारा बनाए गए पीपीए रिजर्व से की जाएगी. रिजर्व फंड से सुनिश्चित हुआ है कि देश में खादी संस्थान कीमतों में बढ़ोतरी से अप्रभावित रहे हैं और खादी में सूती वस्त्रों की कीमतें भी नहीं बढ़ी हैं.

केवीआईसी चेयरमैन विनय कुमार सक्सेना ने कहा कि इस फैसले से खादी संस्थानों के साथ खादी के खरीदार दोनों कीमत में बढ़ोतरी के नकारात्मक प्रभाव से बचेंगे. सक्सेना ने कहा कि सीसीआई से कच्चे कपास की आपूर्ति में कमी और इसके परिणाम स्वरूप कपास की कीमत में बढ़ोतरी से खादी सहित पूरे टेक्सटाइल उद्योग को झटका लगा है. लेकिन केवीआईसी ने खादी संस्थानों को पुरानी दरों पर रोविंग/स्लिवर की आपूर्ति जारी रखने का फैसला किया है, जिससे संस्थानों को अतिरिक्त वित्तीय बोझ से बचाया जा सके. इसके साथ ही खादी के करोड़ों खरीदारों को फायदा होगा. क्योंकि खादी के कपड़े और परिधानों में कोई बढ़ोतरी नहीं होगी.

प्रधानमंत्री मोदी के खादी फॉर नेशन के विजन के क्रम में खादी के हर खरीदार को सस्ती कीमत में खादी उपलब्ध कराना केवीआईसी की प्रतिबद्धता है. भारतीय टेक्सटाइल उद्योग में खादी की लगभग 9 प्रतिशत हिस्सेदारी है और यह हर साल लगभग 15 करोड़ मीटर फैब्रिक का उत्पादन करता है. इस फैसले से खादी अकेली ऐसी इकाई के रूप में सामने आई है, जो कपास की कीमतों में भारी बढ़ोतरी से अप्रभावित है. इस प्रकार खादी के खरीदारों और खादी संस्थानों के पास खुश होने की अच्छी वजह है.

खादी संस्थानों ने एक सुर में इस कदम का स्वागत किया है और इस अहम समर्थन के लिए केवीआईसी को धन्यवाद देते हुए कहा कि इससे बाजार में किसी प्रकार के उतार-चढ़ाव से संस्थानों को सुरक्षा मिलेगी. खादी उद्योग जठलाना, अंबाला के सचिव सार्थंक सिंगला ने कहा कि कपास की कीमतें 70 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गई हैं. केवीआईसी के इस कदम से खादी संस्थानों को इस मुश्किल दौर में बने रहने में मदद मिलेगी. स्लिवर और रोविंग की कीमत में किसी प्रकार की बढ़ोतरी से खादी संस्थानों पर भारी वित्तीय बोझ पड़ता, जो अभी तक कोविड19 से उबर रहे हैं.

यह भी पढ़ें- केवीआईसी ने रेशम उद्योग को बढ़ावा देने के लिए ओडिशा का पहला रेशम यार्न उत्पादन केंद्र स्थापित किया

खादी ग्रामोद्योग संघ अहमदाबाद के संजय शाह ने कहा कि कपास की कीमतों में बढ़ोतरी से खादी के उत्पादन और कारीगरों के पारिश्रमिक पर सीधे असर पड़ेगा. उन्होंने कहा यदि कच्चे माल की लागत बढ़ती है तो स्वाभाविक रूप से उत्पादन घट जाएगा और इस प्रकार, कारीगरों को मिलने वाला पारिश्रमिक घट जाएगा. मैं केवीआईसी का आभारी हूं जिसने संस्थानों और कारीगरों को इस संकट से बचाया है.

ABOUT THE AUTHOR

...view details