कोझिकोड: कांग्रेस की केरल इकाई के अध्यक्ष के. सुधाकरन ने आलोचनाओं के बाद रामायाण से जुड़े उदाहरण वाली अपनी टिप्पणी को रविवार को वापस ले लिया. उन्होंने एक अखबार से साक्षात्कार के दौरान रामायण का जिक्र कर टिप्पणी की थी, जिसके बाद राज्य में भाजपा और मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने उनकी कड़ी आलोचना की थी.
साक्षात्कार के दौरान एक प्रश्न का उत्तर देते हुए कि मालाबार क्षेत्र के नेताओं की तुलना में दक्षिणी केरल के राजनेता कितने अलग हैं, सुधाकरन ने कहा था कि रावण को हराने के बाद पुष्पक विमान पर लंका से लौटते समय लक्ष्मण के मन में अपने भाई - भगवान राम - को समुद्र में धकेलने और उनकी पत्नी सीता के साथ जाने के बारे में सोचा था.
कांग्रेस नेता ने कहा था, हालांकि, जब तक वे मध्य केरल पहुंचे, तब तक लक्ष्मण का हृदय परिवर्तन हो चुका था और भगवान राम ने उनके कंधे पर थपथपाते हुए कहा था कि उन्होंने लक्ष्मण के मन को पढ़ लिया था और यह उनकी (लक्ष्मण) नहीं बल्कि उस भूमि (दक्षिणी केरल) की गलती थी. जैसे ही साक्षात्कार का यह हिस्सा सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, जनता और नेताओं ने समान रूप से सुधाकरन की टिप्पणी और रामायण की व्याख्या पर सवाल उठाया और उनकी आलोचना की.
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माकपा के प्रदेश सचिव एम.वी. गोविंदन ने कहा कि हर राजनीतिक दल को लोगों को जोड़ने की कोशिश करनी चाहिए, न कि उन्हें बांटने की. इसके बाद, सुधाकरन ने स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि यह मालाबार क्षेत्र में प्रचलित एक कहानी थी और वह इसे सुनकर बड़े हुए थे. कांग्रेस नेता ने कहा, 'मैंने अभी एक कहानी सुनाई है, जो मैंने एक बच्चे के रूप में सुनी थी. किसी को नीचा दिखाने या अपमान करने या लोगों को विभाजित करने का मेरा कोई इरादा या उद्देश्य नहीं था.'