ऐसा लग रहा है कि नेपाल के प्रधानमंत्री केपी ओली फिर से राहत महसूस कर रहे हैं. सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को एनसीपी (नेपाल कम्युनिस्ट पार्टी) की एकता को मान्यता नहीं दी है. 2018 के आम चुनाव से ठीक पहले प्रचंड (माओवादी सेंटर) और ओली (सीपीएन) गुट एक हो गया था. दोनों ने मिलकर सीपीएन का गठन किया था. इस फैसले के बाद ओली फिर से यह मानने लगे हैं कि उनका गुट वैध है. वैसे, प्रचंड गुट उनसे पहले ही अलग हो चुका है. यूएमएल का नेतृत्व माधव कुमार नेपाल कर रहे हैं.
नेपाल का सत्ताधारी गठबंधन पूरी तरह से अस्त-व्यस्त हो गया है. ओली का साथ छोड़कर प्रचंड एक बार फिर से अपनी पार्टी माओवादी सेंटर को मजबूत करने में लग गए हैं. माधव कुमार नेपाल ने प्रचंड का साथ छोड़ दिया है. उनकी पार्टी का नाम यूएमएल है. एनसीपी को एक करने की पहल केपी ओली ने ही की थी.
उनकी कोशिश रंग भी लाई थी. उनका दल सत्ता पर काबिज हो गया. इस जीत से भारत बहुत अधिक प्रसन्न नहीं था, जबकि चीन काफी संतुष्ट था. कहा जाता है कि चीन की पहल पर ही ओली और प्रचंड साथ-साथ आए थे.
ओली ने अचानक से ही जब संसद भंग करने की घोषणा कर दी, तो उनकी पार्टी सीपीएन के खिलाफ माहौल बनने लगा. उनके अपने सहयोगी तक नाराज हो गए. प्रचंड इस फैसले से सहमत नहीं थे. 23 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने संसद भंग किए जाने के फैसले को खारिज कर दिया. कोर्ट ने भविष्य में प्रधानमंत्री बनने वालों के लिए भी फैसले के जरिए एक तरह की चेतावनी दे दी है.