नई दिल्ली : महात्मा गांधी की 152वीं जयंती पर दक्षिण अफ्रीका में बंधुआ मजदूरों के लिए उनके द्वारा किए गए नि:स्वार्थ कार्य का हवाला देते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शनिवार को वरिष्ठ वकीलों से राष्ट्रपिता के पदचिह्नों पर चलने एवं गरीबों को कानूनी सेवाएं प्रदान करने के लिए कुछ वक्त निकालने की अपील की.
राष्ट्रीय विधिक सेवाएं प्राधिकरण (नाल्सा) के छह सप्ताह तक चलने वाले 'अखिल भारतीय कानूनी जागरूकता एवं संपर्क अभियान' की शुरुआत पर कोविंद ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि देश का लक्ष्य 'महिला विकास' से 'महिलाओं के नेतृत्व में विकास' की दिशा में आगे बढ़ना होना चाहिए. राष्ट्रपति से पहले दिए अपने भाषण में प्रधान न्यायाधीश एन वी रमना ने 'स्वस्थ लोकतंत्र' के लिए 'दीप्तमान न्यायपालिका' को जरूरी बताया तथा न्याय की सुलभता, देश में लोकंतंत्र को मजबूत करने तथा उपरी न्यायपालिका में नियुक्ति के वास्ते नामों को मंजूरी देने में सरकार का 'सहयोग एवं समर्थन' मांगा.
प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि यदि कमजोर वर्ग अपने अधिकारों का इस्तेमाल नहीं कर पाएंगे तो समान न्याय की संवैधानिक गारंटी अर्थहीन हो जाएगी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि विशेष रूप से गरीबों को 'न्याय तक समावेशी पहुंच' प्रदान किए बिना स्थायी और समावेशी विकास हासिल नहीं किया जा सकता. केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजीजू ने कहा कि त्वरित एवं सुगम न्याय लोगों की 'वैध आशा' है तथा उसे सुनिश्चित करना राज्य के विभिन्न अंगों की सामूहिक जिम्मेदारी है.
राष्ट्रपति कोविंद ने महात्मा गांधी की चर्चा करते हुए कहा कि गरीबों की मदद के लिए उन्होंने (गांधी ने) नि:स्वार्थ काम किया तथा दक्षिण अफ्रीका में बंधुआ मजदूर बिना किसी शुल्क के प्रशासन एवं अदालतों के समक्ष उनके मुद्दों को उठाने के लिए उनकी ओर आशाभरी निगाहों से देखते थे. उन्होंने कहा कि वरिष्ठ वकीलों को कमजोर तबके के लोगों की नि:स्वार्थ सेवा करने के लिए अपना कुछ समय तय करना चाहिए.
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वरिष्ठतम न्यायाधीश एवं नाल्सा के कार्यकारी अध्यक्ष न्यायमूर्ति यूयू ललित ने वरिष्ठ वकीलों से प्रति वर्ष कम से कम तीन मामलों में नि:शुल्क कानूनी सहायता प्रदान करने की अपील की क्योंकि इससे कानूनी सहायता मांगने वालों में विश्वास पैदा होगा. कोविंद ने कहा कि महात्मा गांधी मानवता की सेवा के प्रतीक हैं जिसमें दबे-कुचलों को न्याय दिलाने में उनकी सहायता करना भी शामिल है. उन्होंने गांधी जयंती पर यह जागरूकता अभियान शुरू करने पर नाल्सा को बधाई दी.
उन्होंने कहा कि 125 साल से अधिक समय पहले गांधीजी ने कुछ मिशालें पेश की जो आज भी विधि बिरादरी के लिए प्रासंगिक है. राष्ट्रपति ने कहा, 'दक्षिण अफ्रीका में अपने पहले बड़े मामले में गांधीजी ने संबंधित पक्षों को अदालत के बाहर समझौते का सुझाव दिया. संबंधित पक्ष मध्यस्थ पर राजी हो गये जिसने सुनवाई की और गांधी जी के मुवक्किल के पक्ष में फैसला सुनाया. इससे दूसरे पक्ष पर भारी वित्तीय बोझ आ गया. गांधी जी ने अपने मुवक्किल को हारे हुए पक्ष को विस्तारित अवधि में आसान किश्तों में भुगतान करने की अनुमति देने के लिए राजी कर लिया.'