लखनऊ: आपने अक्सर ये सुना होगा कि पुलिस सोती रही और अपराधी घटना कर भाग गए. ऐसे ही कई बार खबरों में और लोगों के मुंह से पुलिस के सोने के किस्से जरूर सुने होंगे. लेकिन, क्या आपको पता है कि यूपी में कई थाने ऐसे हैं जहां के प्रभारी सौ साल से भी अधिक समय से सोए नहीं हैं. 24 घंटे थाना प्रभारी ड्यूटी पर रहते हैं. दरअसल, थाने की हर गतिविधि को एक जनरल डायरी में थाना प्रभारी लिखता है. उसके अनुसार थाना प्रभारी सारे काम तो करता है, लेकिन सोने के लिए घर नहीं जाता है.
पुलिस की भाषा में क्या है जीडीःभारत में आजादी से पहले और आजाादी के बाद कानून व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी पुलिस के हाथों में होती है. इन्हीं पुलिस कर्मियों को कानून का राज कायम करने के लिए पुलिस स्टेशन या थाने में तैनात किया जाता है. हर जिलों में थाने हैं और इन थानों में कई तरह के कार्यों का निष्पादन किया जाता है. इन्हीं प्रक्रियाओं में एक है जीडी को भरना. जीडी मतलब जनरल डायरी, हिंदी में इसका अर्थ सामान्य दैनिकी या रोजनामचा होता है. यदि जीडी के विषय में अधिक जानना हो तो इसके लिए हमें पुलिस एक्ट 1861 की धारा 44 पढ़नी होगी. जहां जीडी को परिभाषित किया गया है.
जीडी यानी जनरल डायरी एक ऐसा दस्तावेज है, जिसमें थाने और थाना प्रभारी की हर कार्रवाई व दैनिक क्रियाओं का ब्योरा लिखा जाता है. हर थाने की जनरल डायरी में 24 घंटे की हर एक डिटेल लिखी जाती है. जनरल डायरी में थाना प्रभारी सुबह 4 से 6 बजे के दौरान नक्शा नौकरी की एंट्री करता है. जिसके अनुसार वो थाने में तैनात पुलिसकर्मियों का कार्य विभाजित करता है. उसके बाद थाना प्रभारी द्वारा थाना परिसर का मुआयना किए जाने की बात लिखी जाती है. जिसमें थाना ऑफिस, हवालाता और मालखाने का मुआयना शामिल है. इसके बाद थाना प्रभारी द्वारा थाने का पहरा बदलने, घटना, दुर्घटनाओं और शिकायती पत्रों की डिटेल लिखी जाती है.
थाना प्रभारी सुबह 4 से 6 बजे के दौरान नक्शा नौकरी की एंट्री करता है. जीडी में खाना खाने और सोने की बात भी होती है दर्ज:यूपी पुलिस में डिप्टी एसपी के पद से रिटायर हुए श्याम शुक्ला अपने थाना प्रभारी की नौकरी के दिनों की बात याद करते हुए बताते हैं कि एक वक्त था जब कुछ रंगबाज इंस्पेक्टर नियमानुसार जीडी में हर कार्रवाई और एक्टिविटी को दर्ज करते थे. इसमें थाना प्रभारी द्वारा खाना खाने से लेकर आराम करने तक की भी जानकारी होती थी. लेकिन, ये हिम्मत कुछ ही थाना प्रभारी जुटा पाते थे. इसके पीछे का कारण ये होता है कि पुलिस कर्मी, खासकर थाना प्रभारी की नौकरी 24 घंटे की होती है. ऐसे में उसे ड्यूटी पर रहते सोने की इजाजत नहीं है.
हालांकि, यह व्यवहारिक रूप से तो संभव नहीं है, लेकिन दस्तावेजों में थाना प्रभारी कभी नहीं सोता है. श्याम शुक्ला कहते हैं कि थाना प्रभारी जब देर रात को दबिश या गश्त से लौट कर थाने आता है और थोड़ी देर आराम करने के लिए घर जाता है, तब भी जीडी में गश्त से लौटने की जानकारी तो दर्ज होती है, लेकिन वापसी नहीं लिखी जाती है. उस अनुसार भी आमद दर्ज की जाती है, क्योंकि उसे फिर सुबह 4 बजे वापस थाने में मौजूद होना होता है. ऐसे में वह जीडी में घर या क्वार्टर जाने की जानकारी नहीं लिखता है.
जनरल डायरी में रोजाना सुबह 8 बजे ड्यूटी रवानगी और वापसी दर्ज की जाती है. थाना प्रभारी छोड़ सभी पुलिसकर्मी की वापसी-रवानगी होती है दर्ज:जनरल डायरी में रोजाना सुबह 8 बजे ड्यूटी रवानगी और वापसी दर्ज की जाती है. वापसी और रवानगी का अर्थ है कि रात की ड्यूटी पर गए सिपाही और उप निरक्षक के थाने में वापस आने और दिन की ड्यूटी में जाने वालों की जानकारी लिखी जाती है. हालांकि, इसमें थाना प्रभारी की वापसी और रवानगी नहीं दर्ज की जाती है. यानी कि वो 24 घंटे ड्यूटी में तैनात रहता है. शुरुआती दौर में जीडी को थाना प्रभारी हाथ से ही लिखता था, लेकिन समय के बदलाव के चलते इसे ऑनलाइन करते हुए क्राइम एंड क्रिमिनल नेटवर्क एंड सिस्टम माध्यम से डिजिटल कर दिया गया है.
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