दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Kondagaon News : कोंडागांव के कोठरलीबेड़ा गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी, बरसात में गांव बन जाता है टापू, गर्भवती महिलाओं को छोड़ना पड़ता है गांव - kondagaon News kotharlibeda Villagers

Kondagaon News : छत्तीसगढ़ में सरकार विकास के कितने भी दावे कर ले. लेकिन कोंडागांव का गांव कोठरलीबेड़ा विकास से कोसो दूर है. यहां मूलभूत सुविधाओं की कमी है. यहां के लोगों को अपनी आम जरूरतों को पूरा करने के लिए ओडिशा के अनंतपुर, नबरंगपुर और सिलाटी गांव पर निर्भर होना पड़ता है. इस गांव में सबसे ज्यादा परेशानी महिलाओं को होती है. उन्हें गर्भावस्था के दौरान डिलीवरी के समय से एक महीने पहले ही गांव छोड़ देना पड़ता है.

Kotharlibeda village of Kondagaon
कोंडागांव का कोठरलीबेड़ा गांव बदहाल

By

Published : Jul 23, 2023, 10:07 PM IST

Updated : Jul 24, 2023, 6:49 PM IST

कोठरलीबेड़ा गांव में मूलभूत सुविधाओं की कमी

कोंडागाव:छत्तीसगढ़ में कई ऐसे गांव हैं, जो मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं. ऐसा ही एक गांव कोंडागांव में भी है. जिले का कोठरलीबेड़ा गांव जो कि ओडिशा बॉर्डर से सटा हुआ है. इस गांव के ग्रामीण सालों से मूलभूत सुविधाओं की आस में हैं. यहां शासन की किसी भी योजना का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा है.

ओडिशा बॉर्डर पर बसा है गांव कोठरलीबेड़ा: दरअसल, कोठरलीबेड़ा गांव ग्राम पंचायत अनंतपुर का आश्रित ग्राम है. ये जिला मुख्यालय से महज 30 से 40 किलोमीटर ओडिशा बॉर्डर पर बसा है. यहां ओडिशा बॉर्डर का जिक्र इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि यहां के लोग रहते तो छत्तीसगढ़ में हैं. हालांकि इनकी मूलभूत सुविधाओं की पूर्ति ओडिशा के नबरंगपुर के गांव सिलाटी से होती है.

शासन-प्रशासन की पहुंच से कोसो दूर है कोठरलीबेड़ा गांव:इस गांव में कुल 300 से 400 लोग हैं. गांव की सड़कें उबर-खाबर है. पुलिया न होने से बारिश के दिनों में लोगों को काफी दिक्कतें होती है. छोटे बच्चों के लिए आंगनबाड़ी केन्द्र तक नहीं है. खासकर गर्भवती महिलाओं को परेशानी होती है. यही कारण है कि प्रसव से एक माह पहले महिलाएं गांव छोड़ देती है. इस गांव में आजादी के 75 साल बाद भी अब तक एक अदद पुलिया नहीं बन पाई है.

Chirmiri: चिरमिरी के इस वार्ड में नहीं है पक्की सड़क, गर्भवती को एंबुलेंस के लिए चलना पड़ा एक किलोमीटर
बिना मूलभूत सुविधाओं का गांव, झिरिया से बुझ रही प्यास
कांकेर के इस गांव की हालत बद से बदतर, मूलभूत सुविधाओं की ताक में ग्रामीण

बरसात में टापू में तब्दील हो जाता है पूरा गांव:इस गांव में बच्चों के लिए आंगनबाड़ी नहीं है. प्राइमरी स्कूल में बच्चों को पढ़ने के लिए आंगाकोना गांव के स्कूल तक 7 किलोमीटर जाना पड़ता है. मिडिल स्कूल के लिए बच्चों को 7 से 8 किलोमीटर अनंतपुर गांव के स्कूल तक जाना पड़ता है. राशन के लिए भी ये अनंतपुर पर ही आश्रित हैं. हालांकि ये पूरा गांव बरसात के दिनों में टापू में तब्दील हो जाता है. गांव के चारों तरफ बाढ़ का पानी चढ़ जाने से गांव टापू जैसा हो जाता है. कहीं भी आना-जाना नहीं हो पाता. लेकिन छत्तीसगढ़ और ओडिशा के बीच एक मारकंडी नदी है, जिसे पार कर ये अपने दैनिक जरूरत की चीजें खरीदते हैं.

मूलभूत सामानों के लिए ओडिशा के गांवों पर निर्भर हैं कोठरलीबेड़ा के ग्रामीण :हालांकि बारिश के दिनों में नदी उफान पर रहने से ओडिशा पहुंचना भी दूभर हो जाता है. मारकंडी नदी पर पुल-पुलिया निर्माण के लिए स्थानीय विधायक मोहन मरकाम से लेकर कलेक्टर जनदर्शन में भी गुहार लगा चुके हैं. हालांकि अब तक शासन-प्रशासन ने इसकी सुध नहीं ली. यही कारण है कि ग्रामीणों ने पैसे जुटाकर मारकंडी नदी पर लकड़ी का पुल बनाने का फैसला लिया. ताकि बारिश में भी किसी तरह सिलाटी गांव तक पहुंचा जा सके और दैनिक जरूरत का सामान जुटाया जा सके.

"इस पुल का निर्माण हम चंदा कर बनाते हैं. यहां लगातार गांव वासियों को परेशानी झेलनी पड़ती है. रोजमर्रा के सामान के लिए हमें ओडिशा के सिलाटी जाना पड़ता है. विधायक मरकाम जी आए. लेकिन कुछ नहीं हुआ. ये मारकंडी नदी है. बारिश में हम चारों तरफ से घिर जाते हैं."-किशन लाल नेताम, पंच, वार्ड क्रमांक 8 अनंतपुर

प्रसव से एक माह पहले गर्भवती महिला छोड़ देती है गांव:ऐसे कई असुविधाओं के बीच गर्भवती महिलाओं को यहां काफी दिक्कतें होती है. गांव में कोई सुविधा न होने के कारण इन्हें प्रसव के समय काफी परेशानियां होती है. यही कारण है कि यहां की गर्भवती महिलाएं प्रसव से एक माह पहले ही गांव छोड़ देती है.ये महिलाएं सगे संबंधियों के घर पहुंच जाती हैं और वहां प्रसव के बाद तक अपना इलाज करवाती है. बाद में स्वस्थ होने पर वापस गांव आती है. ठीक ऐसे ही बीमार लोगों को भी इस गांव में काफी दिक्कतें होती है. यहां के ग्रामीणों को सालों से मूलभूत सुविधाओं की आस में हैं.

"हमें बरसात में पुलिया बनाना पड़ता है. हमारे गांव में बुनियादी सुविधाएं नहीं है. हमें ओडिशा के गांव देवगांव, सिलाटी पर निर्भर रहना पड़ता है. हमारी सारी जरूरत वहीं से पूरी होती है. हम लोगों ने चंदा कर इस पुलिया को बनाया है. हमने विधायक मोहन मरकाम और कई अधिकारियों से गुहार लगाई. लेकिन चुनाव के बाद मोहन मरकाम कभी यहां नहीं आए. कलेक्टर के यहां जनदर्शन में हम तीन बार जा चुके हैं. लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई. गर्भवती महिला को डिलीवरी के पहले हम ओडिशा के अनंतपुर में छोड़ देते हैं. एक महीने पहले छोड़ देते हैं. जिनका रिश्तेदार नहीं होता तो उन्हें अनंतपुर के किसी परिचित के यहां छोड़ देते हैं"- बलराम मेलमा, सरपंच, कोठरलीबेड़ा, कोंडागांव, छत्तीसगढ़

ग्रामीणों ने तैयार किया लकड़ी का पुल: अगर बारिश के दिनों में आपको इस गांव में जाना हो तो अनंतपुर से एरला होते हुए ओडिशा से जाना होगा. नवरंगपुर के ग्राम सिलाटी-देवगांव होते हुए आप जा सकते हैं. यहां मारकंडी नदी पार कर गांव तक पहुंचा जा सकता है. ईटीवी भारत की टीम भी इसी रास्ते से होते हुए यहां पहुंची. ओडिशा के देवगांव से होते हुए छोटे-बड़े नदी नालों को पार करते हुए खेत खलिहानों से होते हुए ईटीवी भारत की टीम आगे बढ़ी. यहां टीम ने देखा कि मारकंडी नदी को पार करने के लिए ग्रामीणों ने लकड़ी का पुल तैयार किया. इस पुल के सहारे यहां के लोग कोठरलीबेड़ा गांव तक पहुंचते हैं.

Last Updated : Jul 24, 2023, 6:49 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details