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Published : Feb 11, 2022, 7:38 PM IST

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महाराष्ट्र के बाद कोलकाता बनेगा आरएसएस का दूसरा हब

आरएसएस (RSS) के एक शीर्ष पदाधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि कोलकाता पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत दोनों के लिए प्रवेश द्वार (Kolkata is gateway for both eastern and northeastern India) है. इसलिए शीर्ष अधिकारियों ने सात राज्यों में आरएसएस की गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए कोलकाता को केंद्र बनाने का फैसला किया है.

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कोलकाता: पश्चिम बंगाल के कोलकाता में आरएसएस का राज्य मुख्यालय केशव भवन (Keshav Bhavan RSS West Bengal State Headquarters In Kolkata) आने वाले दिनों में संघ की गतिविधियों के समन्वय का केंद्र (Epicenter For Coordination Of The Sangh) होगा. 2024 के लोकसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए यह तैयारी की जा रही है. राज्य मुख्यालय अब पूर्वी और पूर्वोत्तर राज्यों पश्चिम बंगाल (West Bengal), बिहार (Bihar), झारखंड (Jharkhand), ओडिशा (Odisha), असम (Assam), त्रिपुरा (Tripura) और सिक्किम (Sikkim) में संघ की गतिविधियों का केंद्र होगा.

इन सभी राज्यों से संबंधित बड़े फैसले का समन्वय केशव भवन से होगा. इस संबंध में सभी प्रमुख बैठकें भी कोलकाता में आयोजित की जाएंगी.

पढ़ें: सुवेंदु अधिकारी ने पश्चिम बंगाल हिंसा के लिए टीएमसी नेता शेख सूफियान को ठहराया जिम्मेदार

आरएसएस (RSS) के एक शीर्ष पदाधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर बताया कि कोलकाता पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत दोनों के लिए प्रवेश द्वार (Kolkata is gateway for both eastern and northeastern India) है. इसलिए शीर्ष अधिकारियों ने सात राज्यों में आरएसएस की गतिविधियों पर निगरानी रखने के लिए कोलकाता को केंद्र बनाने का फैसला किया है.

देश के किसी भी हिस्से से शीर्ष पदाधिकारियों का कोलकाता पहुंचना भी सुलभ होगा. सूत्रों ने कहा कि आरएसएस नेतृत्व को लगता है कि इन राज्यों में संगठन को फैलाने की बहुत गुंजाइश है. आरएसएस के पदाधिकारी ने कहा कि इसलिए इस मामले में एक बड़े फैसले की जरूरत थी जो हमने लिया है.

राजनीतिक पर्यवेक्षकों की राय है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनावों के बाद पश्चिम बंगाल में भाजपा का मनोबल बहुत गिरा है. इसे वापस पलटने के लिए आरएसएस की सक्रिय सहायता की आवश्यकता है। हालांकि, राज्य भाजपा के भीतर आरएसएस के लोग आम भाजपा कार्यकर्ताओं के बीच कुछ विश्वास पैदा करने में सक्षम थे. कई लोगों का मानना ​​है कि अगर आरएसएस के मार्गदर्शन में राज्य में भाजपा के संगठन को पुनर्गठित किया जाएगा तो लोकसभा चुनाव में मतदान पर इसका सकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है.

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