कोलकाता :देश की सबसे सुरक्षित मानी जाने वाली राजधानी दिल्ली की रोहिणी कोर्ट में हिंसक गोलीबारी (courtroom shootout) हुई, जो बेहद गंभीर मसला है. स्वाभाविक रूप से सवाल उठाए जा रहे हैं कि सुरक्षा में इतनी चूक कैसे हुई कि कोर्ट परिसर में गोलीबारी हुई.
अब इस घटना ने कलकत्ता हाई कोर्ट समेत कोलकाता की अलग-अलग अदालतों में सुरक्षा व्यवस्था पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं. शहर के एक कोने पर सियालदह कोर्ट है और दूसरे कोने पर अलीपुर कोर्ट है. बीच में सेंट्रल कोलकाता में कोलकाता-सिटी सेशन कोर्ट है जो बंकशाल कोर्ट के नाम से लोकप्रिय है.
'ईटीवी भारत' ने कुछ अदालत परिसरों में सुरक्षा व्यवस्था का जायजा लिया, जहां सुरक्षा पुख्ता नजर नहीं आई. वहां न तो स्कैनर लगा है न ही सुरक्षा के पूरे इंतजाम हैं. अधिवक्ताओं का एक वर्ग भी शहर की अदालतों में सुरक्षा व्यवस्था की कमी की बात मानता है.
सर्वोच्च न्यायालय और कलकत्ता उच्च न्यायालय में आपराधिक मुकदमे लड़ने वाले वकील कौशिक गुप्ता ने कहा कि कलकत्ता उच्च न्यायालय में सुरक्षा व्यवस्था थोड़ी बेहतर है, निचली अदालतों में सुरक्षा व्यवस्था बिल्कुल नहीं है. कलकत्ता उच्च न्यायालय में भी कोई भी व्यक्ति अधिवक्ताओं का काला कोट और काला गाउन पहने बिना दाखिल हो सकता है.
' शाम 5 बजे के बाद हटा दिए जाते हैं स्कैनर'
उनका कहना है कि कलकत्ता उच्च न्यायालय में विभिन्न प्रवेश बिंदुओं पर स्कैनर मशीनों को शाम 5 बजे के बाद हटा दिया जाता है, जैसे कि कोई बिना लिखा पढ़ी का समझौता है कि शाम 5 बजे के बाद कोई आतंकवादी हमला नहीं होगा.'
एक अन्य अधिवक्ता अनिर्बान गुहा ठाकुरता ने कहा कि शहर की निचली अदालतों में सुरक्षा व्यवस्था दयनीय है. उन्होंने कहा, 'रोहिणी कोर्ट जैसी घटनाएं यहां कभी भी हो सकती हैं और हम बेबस होंगे.'