बेलागवी :कोरोना महामारी ने देश के प्रमुख कारोबारों को भी बुरी तरह से प्रभावित किया है. यही कारण है कि कगवाड़ तालुक के माधाभवी गांव में कोल्हापुर चप्पल निर्माताओं का जीवन गंभीर संकट से गुजर रहा है.
गर्मियों का मतलब है कि सभी को चमड़े की चप्पलें पसंद आती हैं. ये गर्म दिनों में पैरों को ठंडा करती हैं. कोल्हापुर की चप्पलें कर्नाटक के सीमा क्षेत्रों में बनाई जाती हैं. कोल्हापुरी चप्पलें पड़ोसी राज्य महाराष्ट्र के बाजारों में ब्रांड बन चुकी हैं. यहां के चप्पल निर्माता हर दिन महाराष्ट्र के कोल्हापुर में 10 हजार से अधिक चमड़े की चप्पलें तैयार करते हैं.
मिलता है बेहद कम मुनाफा
कोल्हापुर से लेकर पुणे, मुंबई, दिल्ली, शिरडी और हैदराबाद तक यह चप्पलें विभिन्न स्थानों पर बेची जाती हैं, लेकिन जिन लोगों ने इन चप्पलों को तैयार करने के लिए कड़ी मेहनत की हैं, वे अभी भी परेशानी में हैं. फुटवियर के लिए कच्चा माल महाराष्ट्र के सांगली जिले के मिराज आता है. यह मिराज के एजेंटों द्वारा माधवी तक पहुंचाया जाता है और बिचौलिए बहुत लाभ कमा रहे हैं. मुश्किल से काम करने वाले जूता कारीगरों को केवल 10 से 20 रुपये का मुनाफा हो रहा है.