मुंबई : महाराष्ट्र के कोल्हापुर की दो बहनों की मौत की सजा उम्रकैद में बदल दी गई है. रेणुका शिंदे और सीमा गावित की सजा उम्रकैद में बदले जाने के बाद दोनों बहनों को जीवन पर्यंत जेल में ही रहना होगा. न्यायमूर्ति नितिन जामदार और न्यायमूर्ति एसवी कोतवाल की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि केंद्र और महाराष्ट्र सरकार ने दोनों महिलाओं की मौत की सजा पर अमल में अत्यधिक विलंब किया है, जबकि राष्ट्रपति के समक्ष दाखिल उनकी दया याचिका 2014 में ही खारिज हो गई थी. इन बहनों को अगस्त 2014 में जिस दिन फांसी दी जानी थी, लेकिन उन्होंने उसी दिन उच्च न्यायालय में वर्तमान याचिका दायर कर अत्यधिक विलंब के आधार पर उनकी मौत की सजा को उम्र कैद में तब्दील करने और तत्काल ही हिरासत से रिहा करने का अनुरोध किया था.
मंगलवार को पीठ ने कहा कि ऐसी देरी कर्तव्यों के निर्वहन के मामले में केंद्र और राज्य सरकार का ‘ढीला रवैया’ उजागर करती है तथा इसी वजह से दोषियों की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलना पड़ा है. पीठ ने कहा कि सरकारी तंत्र, खासकर राज्य सरकार ने लापरवाही दिखाई, मामले की गंभीरता से अवगत होने के बावजूद प्रोटोकॉल के पालन में देरी की और राष्ट्रपति के सात साल पहले ही दोषियों की दया याचिका खारिज करने के बाद भी उनकी मौत की सजा पर अमल नहीं किया.
पीठ ने कहा कि राज्य सरकार ने मामले में दोषियों तथा अन्य की तरफ से दायर दया याचिकाओं को आगे बढ़ाने में देरी की. अदालत ने यह भी कहा कि राज्य सरकार दोषियों को दया याचिका की स्थिति से अवगत कराने, गृह मंत्रालय को संबंधित ब्योरा देने और उच्च न्यायालय में सुनवाई की अपील करने में नाकाम रही.
रेणुका शिंदे और सीमा गावित अक्तूबर 1996 से हिरासत में हैं. उन्होंने 2014 में उच्च न्यायालय से अपनी मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील करने की अपील की थी. इस बाबत दोनों ने उनकी दया याचिकाओं के निस्तारण में बेवजह होने वाले विलंब का हवाला दिया था. शिंदे और गावित ने दावा किया था कि ऐसा विलंब जीवन जीने के उनके मौलिक अधिकार का हनन करता है.
इस याचिका में दोनों महिलाओं ने कहा था कि उच्च न्यायालय और उच्चतम न्यायालय के उनकी मौत की सजा पर मुहर लगाने के बाद वे 13 साल से भी अधिक समय से पल-पल मौत के डर के साये में जी रही हैं. शिंदे और गावित ने याचिका में कहा कि दया याचिकाओं पर निर्णय में विलंब की जिम्मेदारी पूरी तरह से कार्यपालिका की है, जिसमें महाराष्ट्र के राज्यपाल, राज्य सरकार, गृह मंत्रालय और राष्ट्रपति तक शामिल हैं.