दिल्ली

delhi

ETV Bharat / bharat

Explainer-Silicon Valley Bank Collapse: क्यों बंद हुआ अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा ऋणदाता बैंक, क्या इसे रोका जा सकता था?

बैंकिंग नियामकों ने अमेरिका के 16वें सबसे बड़े ऋणदाता बैंक सिलिकॉन वैली को बंद करने का फैसला किया है (Silicon Valley Bank Collapse). इससे पहले बैंक ने पूंजी जुटाने की कोशिश की थी, लेकिन सफलता हाथ नहीं लगी. बैंक के शेयर 70 फीसदी तक गिर गए थे. फेडरल डिपॉजिट इंश्योरेंस कारपोरेशन (एफडीआईसी) ने कहा कि वह एसवीबी की संपत्तियों को बेचना चाहेगा और भविष्य में लाभांश का भुगतान अबीमाकृत जमाकर्ताओं को किया जा सकता है. जानिए इतने बड़े बैंक के बंद होने की वजह क्या रही.

Silicon Valley Bank Collapse
सिलिकॉन वैली बैंक

By

Published : Mar 11, 2023, 3:51 PM IST

Updated : Mar 11, 2023, 5:17 PM IST

नई दिल्ली :अमेरिका के बैंकिंग नियामकों ने शुक्रवार को सिलिकॉन वैली बैंक (SVB) को बंद कर दिया और अब इसकी जमा राशि पर नियंत्रण हासिल कर लिया है (Silicon Valley Bank Collapse). वैश्विक वित्तीय संकट के बाद से यह सबसे बड़ी खुदरा बैंकिंग विफलता है. बैंक बंद होने से पहले इसके शेयरों में भारी गिरावट देखी गई थी.

अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा ऋणदाता बैंक बंद :सिलिकॉन वैली बैंक (svb) अमेरिका का 16वां सबसे बड़ा ऋणदाता बैंक था, जिसके पास लगभग 200 बिलियन डॉलर की संपत्ति थी. कई वर्षों में इसकी वित्तीय स्थिति खराब हो गई. 8 मार्च को सैन फ्रांसिस्को स्थित बैंक ने अपनी बैलेंस-शीट को दुरुस्त करने के लिए 2.5 अरब डॉलर जुटाने की बात कही थी.

70 फीसदी तक गिर गए थे शेयर :हालांकि इसके बाद एसवीबी के शेयर की कीमत में 60% की गिरावट आ गई. इसके मुख्य कार्यकारी अधिकारी ग्रेग बेकर ने ग्राहकों से आग्रह किया कि वे समर्थन करें. इस पर कुछ पूंजीपतियों ने सुझाव दिया कि सरकार को बैंक चलाने में मदद करनी चाहिए. एक हेज-फंड मैनेजर बिल एकमैन ने सुझाव दिया कि सरकार को बैंक को जमानत देनी चाहिए. 10 मार्च की सुबह तक बाजार-पूर्व ट्रेडिंग में इसके शेयरों में 70% या इससे अधिक की गिरावट आ गई थी. टेलीविजन नेटवर्क सीएनबीसी ने बताया कि एसवीबी के पूंजी जुटाने के प्रयास विफल हो गए थे. बैंक बेचने की कोशिश हो रही थी, जिसके बाद नियामकों की ओर से ऐसी घोषणा की गई.

इस स्थिति में कैसे पहुंचा बैंक :ये सारा मामला ये सवाल खड़े करता हैं कि svb इस स्थिति में कैसे आया. दूसरा यह है कि क्या इसकी परेशानियां केवल एक विसंगति है, या बड़े पैमाने पर वित्तीय संस्थानों के लिए ये एक सबक है.

दरअसल एसवीबी स्टार्टअप्स के लिए बैंक है. बैंक ने उनके लिए खाते खोले, इससे पहले कि अक्सर बड़े ऋणदाता परेशान होते, इसने उन्हें लोन भी दिया. जैसा कि पिछले पांच वर्षों में सिलिकॉन वैली में उछाल आया है, वैसे ही एसवीबी में भी असर देखा गया. इसके ग्राहकों के पास नकदी की कमी नहीं थी. उन्हें उधार लेने से ज्यादा पैसे जमा करने की जरूरत थी.

2017 से 2021 के अंत तक बैंक की जमा राशि 44 बिलियन डॉलर से बढ़कर 189 बिलियर डॉलर हो गई. चूंकि बैंक, जमा पर भुगतान की जाने वाली ब्याज दर (अक्सर कुछ भी नहीं) और उधारकर्ताओं द्वारा भुगतान की जाने वाली दर के बीच प्रसार पर पैसा बनाते हैं, ऋण बही की तुलना में कहीं अधिक बड़ा जमा आधार होना एक समस्या है.

एसवीबी को अन्य ब्याज वाली संपत्तियों का अधिग्रहण करने की आवश्यकता है. 2021 के अंत तक, बैंक ने 128 बिलियन डॉलर का निवेश किया था, जिसमें ज्यादातर बंधक बांड और ट्रेजरी में निवेश किया गया.

महंगाई बढ़ने से ब्याज दरें बढ़ीं :महंगाई बढ़ने से ब्याज दरें बढ़ गईं. इस वजह से कारोबारी पूंजी में रियायतें खत्म होने लगीं और बांड की कीमतों में गिरावट आई. ब्याज दरें कम होने पर इसकी जमा राशि बढ़ गई और इसके ग्राहकों के पास नकदी बढ़ गई. चूंकि बैंक ने इस दौरान निवेश किया था, इसने अपने उच्चतम मूल्य पर बांड खरीदे. जैसे-जैसे वेंचर-कैपिटल फ़ंडरेज़िंग रुकी, svb के ग्राहकों ने अपनी जमाराशि कम कर दी. 2021 के अंत में जमा राशि 189 बिलियन डॉलर से गिरकर 2022 के अंत में 173 बिलियन डॉलर रह गई. नतीजतन svb को अपने पूरे लिक्विड बॉन्ड पोर्टफोलियो को इससे कम कीमत पर बेचने के लिए मजबूर होना पड़ा. इस बिक्री पर हुए नुकसान की भरपाई करने के लिए उसने पूंजी जुटाने की कोशिश की.

क्या इसे रोका जा सकता था? :1930 के दशक में अमेरिकी अर्थव्यवस्था के गिरने से चिंता के बीच संघीय बीमा लागू किया गया था, जो 250,000 डॉलर तक की जमा राशि को कवर करता है. यह उन सभी नकदी की सुरक्षा करता है जो अधिकांश व्यक्ति बैंक खाते में जमा करेंगे, लेकिन कंपनी द्वारा रखे गए फंड को कवर करने की संभावना नहीं है. एसवीबी न केवल कंपनियों के लिए एक बैंक है, बल्कि उसमें से एक छोटा उपखंड है जिसने सबसे कठिन समय का सामना किया है. इसके कुछ 93% डिपॉजिट अबीमाकृत नहीं थे.

ट्रेजरी सेक्रेटरी जेनेट येलेन का कहना है कि सिलिकॉन वैली का मामला सामने आने के बाद कई बैंकों की निगरानी कर रहे हैं. जिन बैंकों का लोन ज्यादा है वह जमा पर भी ध्यान दे रहे हैं. सवाल ये भी है क्या बैंक की मदद के लिए सरकार को आगे आना चाहिए था. जमाकर्ताओं की कमी के कारण यह एकमात्र विकल्प हो सकता है, क्योंकि एसवीबी के पास स्पष्ट रूप से नुकसान को कवर करने के लिए पर्याप्त संपत्ति नहीं थी, जिसे संपत्ति लेने के लिए मजबूर किया जा रहा था. पूर्व ट्रेजरी सेक्रेटरी लैरी समर्स ने कहा है कि जब तक सरकार हस्तक्षेप करती है, तब तक चिंता करने का कोई कारण नहीं है कि एसवीबी वित्तीय प्रणाली के अन्य भागों को नुकसान पहुंचाएगा.

पढ़ें- अमेरिका में बढ़ती महंगाई, ऊंची नीतिगत दरें किस तरह भारत पर बना रही हैं दबाव

Last Updated : Mar 11, 2023, 5:17 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details