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कोविड प्रबंधन पर योगी सरकार की तारीफ माहौल बदलने की कोशिश तो नहीं ? - pm modi Varanasi visit

पीएम मोदी ने गुरुवार को वाराणसी में अंतरराष्ट्रीय सहयोग एवं सम्मेलन केंद्र 'रुद्राक्ष' का उद्घाटन किया और साथ ही 1500 करोड़ रुपये से अधिक की कई विकास परियोजनाओं का उद्घाटन और आधारशिला रखकर उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के लिए प्रचार का एक तरह से शंखनाद भी कर दिया है. लेकिन उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार का शंखनाद पूर्वांचल से क्यों किया गया, आइए जानते हैं वरिष्ठ संवाददाता अनामिका रत्ना की इस रिपोर्ट में...

पीएम मोदी
पीएम मोदी

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Published : Jul 15, 2021, 9:08 PM IST

Updated : Jul 15, 2021, 9:59 PM IST

नई दिल्ली :प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वाराणसी में योगी सरकार की जमकर तारीफ की. साथ ही उत्तर प्रदेश के विकास और कोरोना महामारी से निपटने के लिए किए गए कार्यों की भी काफी सराहना की.

काशी के मंच से प्रधानमंत्री ने विपक्षियों को भी आड़े हाथ लिया और यूपी की जनता को यह बताने की कोशिश की भाजपा की उत्तर प्रदेश सरकार भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद से नहीं बल्कि विकासवाद से चल रही है और उत्तर प्रदेश की जनता को योजनाओं का लाभ सीधा मिल रहा है.

2022 में होने वाला उत्तर प्रदेश विधानसभा का चुनाव भाजपा को जीतना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले 2022 में पांच राज्यों में होने वाला विधानसभा चुनाव भाजपा के लिए सेमीफाइनल मैच के समान ही होगा.

तमाम धन-बल लगाने के बावजूद भी पश्चिम बंगाल में भाजपा को निराशा ही हाथ लगी है. यही वजह है कि भाजपा ने उत्तर प्रदेश चुनाव की तैयारी आक्रामक ढंग से काफी पहले से शुरू कर दी है.

एक तरफ अपने भाषण में प्रधानमंत्री ने काशी के मंच से योगी सरकार की जमकर तारीफ की. वहीं दूसरी तरफ किसी का नाम लिए बगैर समाजवादी पार्टी पर जमकर निशाना साधा और पूर्व की सपा सरकार पर विकास की योजनाओं में रोड़ा अटकाने का भी आरोप जड़ दिया. इस तरह कहीं न कहीं प्रधानमंत्री ने इस मंच से उत्तर प्रदेश में चुनाव प्रचार का भी शंखनाद कर दिया है.

भाजपा प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल का बयान

पीएम नरेंद्र मोदी के वाराणसी दौरे के साथ ही अब राज्य में विपक्षी पार्टियों के बीच भी हलचल बढ़ गई और दूसरे राजनीतिक दल भी भाजपा के खिलाफ रणनीति बनाने में जुट गए हैं. बसपा प्रमुख मायावती ने योगी सरकार पर जोरदार हमला बोला और कहा कि सपा की तरह भाजपा के शासनकाल में जंगलराज जारी है.

भाजपा ने इस बार पूर्वांचल से चुनावी शंखनाद किया है और पार्टी के विश्वस्त सूत्र की मानें तो इस बार पश्चिमी उत्तर प्रदेश के मुकाबले भारतीय जनता पार्टी पूर्वांचल पर ज्यादा ध्यान दे रही है, क्योंकि पार्टी को यह अच्छी तरह से मालूम है कि उत्तर प्रदेश जीतने के लिए पूर्वांचल से अच्छी सीटें मिलना बेहद जरूरी है.

पूर्वांचल में 162 विधानसभा सीट
पूर्वांचल में बिहार और नेपाल से सटे जिलों और लखनऊ के आसपास के जिलों को मिलाकर कुल 28 जिले हैं, जिनमें 162 सीटें हैं और शुरुआती आंकड़े अगर उठाकर देखें तो इस क्षेत्र में जिसने ज्यादा सीटें जीतीं, उत्तर प्रदेश में सरकार हमेशा उसी पार्टी की बनी है.

इस क्षेत्र से ही 2017 में भाजपा को 115 सीटें मिली थीं. जबकि 2012 में अखिलेश यादव को 102 और 2002 में मायावती को इस क्षेत्र से 85 सीटें हासिल हुई थीं.

यही वजह है कि पूर्वांचल में अपने वोट बैंक को मजबूत करने के लिए भाजपा पिछले कई महीने से सजग हो चुकी है और पूर्वांचल का प्रभार भी आईएएस अफसर से उत्तर प्रदेश भाजपा के उपाध्यक्ष बने एके शर्मा को दिया गया है.

कोविड-19 महामारी के दौरान भी भारतीय जनता पार्टी के आला नेताओं के निर्देश पर पूर्वांचल में कई टास्क फोर्स मदद के लिए लगाए गए थे और लगातार इन जिलों में लोगों को सहायता पहुंचाई जा रही थी.

पूर्वांचल में गैर यादव और गैर जाटव पार्टियों का अपना वोट बैंक है और 2017 के चुनाव में ऐसी पार्टियां भारतीय जनता पार्टी के साथ थीं, लेकिन धीरे-धीरे भाजपा से उनका अलगाव भी देखा गया. यही वजह है कि भारतीय जनता पार्टी अपना दल जैसी पार्टी को दोबारा अपने साथ लेकर चल रही है.

एआईएमआईएम से पूर्वांचल में पड़ सकता है असर
वहीं, बिहार में पांच सीटें जीतने के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी के यूपी विधानसभा चुनाव में सक्रिय होने से भी पूर्वांचल की सीटों पर असर पड़ सकता है. इसके अलावा पूर्वांचल की ज्यादातर आबादी ग्रामीण इलाके हैं, इसलिए किसान सम्मान निधि और आवास योजना जैसी योजनाओं को लेकर केंद्र व राज्य सरकार ने इन इलाकों में काफी ध्यान दिया है और करोना काल में केंद्र के निर्देश पर इन इलाकों में जमकर मुफ्त राशन भी बांटे गए हैं.

लेकिन, कोरोना काल में पूर्वांचल की नदियों के किनारे बिछी लाशों की तस्वीर भी लोगों के जेहन में दोबारा उठ सकती हैं और यह चिंता कहीं न कहीं भाजपा को सता रही है. यही वजह है कि पीएम मोदी ने माहौल बदलने की कोशिश करते हुए कोरोना काल में किए गए योगी सरकार के कार्यों की जमकर तारीफ की.

इन मुद्दों पर भाजपा में संशय की स्थिति
वैसे देखा जाए तो बेरोजगारी, महंगाई, कानून व्यवस्था, महंगी बिजली जैसे मुद्दों पर भी मतदाताओं का रुख क्या रहेगा, इस बात को लेकर भी भारतीय जनता पार्टी संशय की स्थिति में है और उसी का नतीजा है कि अब उत्तर प्रदेश में यह उम्मीद की जा रही है कि 2022 के चुनाव से पहले धड़ाधड़ कई तोहफे दिए जा सकते हैं ताकि सरकार के खिलाफ असंतोष का असर भाजपा पर न पड़े.

हालांकि, 2017 के चुनाव में भाजपा को पूर्वांचल से जितनी सीटें मिली थीं, वह इतिहास में अब तक की सबसे ज्यादा सीटें थीं जिसे पार्टी शिफ्ट होने नहीं देना चाहती, क्योंकि उसे डर है कि यह वोट यदि शिफ्ट होते हैं तो उत्तर प्रदेश में सत्ता में आना मुश्किल हो सकता है.

इस मुद्दे पर पूछे जाने पर भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता गोपाल कृष्ण अग्रवाल ने ईटीवी भारत से कहा कि 1500 करोड़ रुपये से अधिक की विभिन्न परियोजनाओं को प्रधानमंत्री मोदी ने वाराणसी में शिलान्यास किया है. जिस तरह से यूपी की योगी सरकार पूरे देश में विकास के पथ पर अग्रसर हो रही है, वह सराहनीय है.

यह भी पढ़ें- पीएम मोदी का यूपी दौरा: नजर काशी पर, निशाना पूर्वांचल पर

भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि केंद्र की मोदी सरकार में चहुंमुखी विकास हो रहा है और परिवारवाद, भाई-भतीजावाद, जातिवाद से हटकर सरकार काम कर रही है. प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भाजपा ने विकास का एक नया आयाम दिया है. उन्होंने कहा कि आने वाले समय में भी भाजपा दोबारा भ्रष्टाचार मुक्त सरकार देगी और सत्ता में आएगी.

Last Updated : Jul 15, 2021, 9:59 PM IST

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