देहरादून: पंजाब में खालिस्तान समर्थकों के सिर उठाने के बाद उत्तर भारत के कई राज्यों में पुलिस अलर्ट मोड पर है. देवभूमि उत्तराखंड भी खालिस्तान समर्थकों की बढ़ती गतिविधियों से अछूता नहीं है. खास तौर पर राज्य का एक खास क्षेत्र खालिस्तान समर्थकों की गतिविधियों को लेकर बेहद संवेदनशील है. इसी क्षेत्र के करीब हो रही G-20 की बैठकों पर भी इसका साया पड़ता दिख रहा है. उत्तराखंड से खालिस्तान कनेक्शन और जी 20 की बैठकों पर समर्थकों की धमकी के पीछे की क्या है वजह. आइये आपको बताते हैं.
उत्तराखंड में पिछले दिनों खालिस्तान समर्थक और प्रतिबंधित संगठन सिख फॉर जस्टिस के मुखिया गुरपतवंत सिंह पन्नू की रिकॉर्डेड कॉल से हड़कंप मच गया था. इस फोन कॉल के जरिए खालिस्तानी समर्थकों ने न केवल जी-20 के विरोध में काले झंडे दिखाने की कोरी धमकी दी, बल्कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी सहित कई कैबिनेट मंत्रियों, अधिकारियों और पत्रकारों को जी 20 की बैठकों से दूरी बनाने की चेतावनी दी.
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90 के दशक से संवेदनशील है ये क्षेत्र:दरअसल, पंजाब में अमृतपाल सिंह के फरार होने के बाद लगातार खालिस्तान समर्थकों की गिरफ्तारी की जा रही है. इस बीच उत्तराखंड के रामनगर में हो रही जी-20 समिट का खालिस्तान समर्थक क्यों विरोध कर रहे हैं यह एक सवाल खड़ा होने लगा. सबसे पहले आपको बता दें उत्तराखंड के कुमाऊं मंडल के इस क्षेत्र में पहली बार खालिस्तान समर्थकों को लेकर खतरा नहीं बढ़ा है. राज्य में 90 के दशक के दौरान भी खालिस्तान की मांग को लेकर पंजाब के साथ उत्तराखंड का यह क्षेत्र भी संवेदनशील रहा है.
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इस इलाके में बड़ी संख्या में रहते हैं सिख समुदाय के लोग:इसकी एक बड़ी वजह यह भी है कि राज्य के इस क्षेत्र में सिख समुदाय की बड़ी आबादी मौजूद है. जिसमें कई बार कुछ लोग इनके बरगलाने में आकर गलत रास्ते पर चले जाते हैं. जिसके बाद वे खालिस्तान का समर्थन करने लगते हैं. हालांकि, उस दौरान सुरक्षा एजेंसियों की सख्ती के बाद ऐसे लोगों पर नकेल कसी गई थी. ऐसी संदिग्ध गतिविधियों को पूरी तरह से रोक दिया गया था.
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बता दें उत्तराखंड के उधम सिंह नगर जिले में सिख समुदाय की अच्छी खासी संख्या है. जी 20 की बैठकें नैनीताल जिले के रामनगर में हो रही हैं, मगर उधम सिंह नगर जिला भी पहले नैनीताल जिले में ही शामिल था. 1995 में इस क्षेत्र को अलग करते हुए उधम सिंह नगर जिले के रूप में मान्यता दी गई. आबादी के रूप में देखा जाए तो उधम सिंह नगर जिले में साल 2011 की जनगणना के अनुसार करीब 16 लाख 48 हजार जनसंख्या थी, जिसमें से 10% यानी करीब 164,000 से ज्यादा सिख समुदाय के लोग रहते हैं. फिलहाल, उधम सिंह नगर में इनकी संख्या करीब दो लाख तक मानी जाती है. खास बात यह है कि इसमें कुछ लोग खालिस्तान समर्थक के रूप में भी सामने आते रहे हैं. यहीं से यह क्षेत्र बेहद संवेदनशील मान लिया गया है.
खलिस्तान समर्थक इस हिस्से को मानते हैं अपनी टेरिटरी: उधम सिंह नगर में सिख समुदाय की काफी ज्यादा संख्या होने के कारण खालिस्तान समर्थक इसका फायदा उठाकर लोगों को बरगलाने की कोशिश करते हैं. इस क्षेत्र को भी खालिस्तान की टेरिटरी के रूप में दिखाते रहे हैं. खास बात यह है कि जी 20 की बैठकों का विरोध भी इससे ही जुड़ा हुआ है. नैनीताल जिले के रामनगर में जी 20 की बैठकें हो रही हैं. उधम सिंह नगर से लगा होने के कारण खालिस्तान समर्थक इसका विरोध करने की बात कह रहे हैं. रामनगर में हो रही जी 20 की बैठकें इसलिए भी निशाने पर हैं, क्योंकि खालिस्तान समर्थक इस क्षेत्र को खालिस्तान का ही हिस्सा मानते हैं.
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खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में लाना एक बड़ा कारण:खालिस्तान समर्थक जी-20 बैठक का विरोध कर खुद को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा में लाना चाहते हैं. खालिस्तान समर्थक चाहते हैं कि इस तरह की धमकियों के जरिए भारत में ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी उनकी चर्चा हो. इन्हीं वजहों से खालिस्तान समर्थक जी 20 समिट की बैठकों का विरोध कर नेताओं, अधिकारियों को धमकी दे रहे हैं.
एक्टिव है पुलिस और इंटेलिजेंस: एक बार फिर पंजाब में खालिस्तान समर्थकों के सर उठाने के बाद उत्तराखंड का उधम सिंह नगर जिला संवेदनशील माना जाने लगा है. जिसके कारण पुलिस और इंटेलिजेंस अलर्ट मोड पर है. लगातार खालिस्तानी समर्थकों को चिन्हित करने की कोशिशें की जा रही हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इस बार पुलिस और इंटेलिजेंस सोशल मीडिया पर भी कड़ी नजर रखे हुए हैं. खालिस्तान से संबंधित एक्टिविटी, समर्थन करने वालों को लगातार चिन्हित किया जा रहा है. साथ ही ऐसे लोगों की काउंसलिंग कर उन्हें गलत रास्ते पर जाने से भी रोकने की कोशिश की जा रही है. खालिस्तान समर्थकों के इस तरह सक्रिय होने के बाद रामनगर के जी 20 समिट की बैठकों पर इनके विरोध के रिकॉर्डेड कॉल को भी गंभीरता से लिया जा रहा है.