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जानिए, दुनिया भर में क्यों बढ़ी महंगाई, इससे कब मिलेगी राहत - covid-19

कोविड महामारी सबसे बड़ा असर देशों की अर्थव्यवस्था पर पड़ा है. अभी सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के सभी देश महंगाई से जूझ रहे हैं. लॉकडाउन के बाद अचानक बढ़ी मांग ने दुनिया की सप्लाई चेन को तहस-नहस कर रखा है. कामगारों की कमी और जलवायु परिवर्तन ने महंगाई और बढ़ा दी है. एक्सपर्ट मानते हैं कि सिस्टम को दुरुस्त होने में 6 महीने का समय लगेगा. यानी महंगाई तभी कम होगी.

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Published : Nov 11, 2021, 9:42 PM IST

हैदराबाद :भारत में हर तरफ महंगाई दिख रही है. आटा-दाल से लेकर हवाई यात्रा तक सभी चीज महंगी हो गई है. अक्टूबर में भारत की रिटेल मुद्रास्फीति अक्टूबर में 5.3% से घटकर 4.4% हो गई, लेकिन ईंधन की कीमतें बढ़कर13.6 फीसदी हो गईं. फिच की रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति का औसत 5.2% है, जो 2021 के पूर्वानुमान 5.5% से थोड़ा कम है. ऐसा नहीं है कि महंगाई की चपेट में सिर्फ भारत है. पाकिस्तान से महंगाई की खबर आ ही रही है. अमेरिका में 1990 के बाद 2021 में सबसे तेज गति से मुद्रास्फीति का दरों में बढ़ोतरी हुई.

कोरोना काल में सप्लाई चेन टूटी, डिमांड बढ़ने से बढ़ी महंगाई

कोरोना काल में दुनिया भर में जारी सप्लाई चेन टूट गई. लॉकडाउन के दौरान फैक्ट्रियां बंद रहीं. जब खुलीं तो उत्पादन के लिए जरूरी सामान नहीं मिल पाया. विश्व में उत्पादन कम होने और अचानक बढ़ी डिमांड से कीमतों में बढ़ोतरी हुई. रही सही कसर ईंधन की लागत में वृद्धि ने पूरी कर दी. इसे ऐसे समझें कार में लगने वाली सेमी कंडक्टर चिप चीन, जापान और ताईवान से दुनिया भर में सप्लाई होती है. कोरोना काल में ऑटो सेक्टर में सेमी कंडक्टर की डिमांड कम हुई तो इसे बनाने वाली कंपनियों ने उत्पादन कम कर दिया. सप्लाई चेन में गड़बड़ी आ गई. जब दोबारा सेमी कंडक्टर की मांग बढ़ी तो कंपनियों के पास चिप थी ही नहीं. इस कारण दुनिया के ऑटो सेक्टर को 200 करोड़ डॉलर का नुकसान हो गया.

कोरोना काल में ऑटो सेक्टर में सेमी कंडक्टर की डिमांड कम हुई

कोरोना ने कैसे बदल दी हार्डवेयर मार्केट की सूरत

लॉकडाउन के दौरान वर्क फ्रॉम होम और स्टडी फ्रॉम होम के कारण पर्सनल कंप्यूटर की डिमांड बढ़ी. कोरोना के पहले तक कंप्यूटर की डिमांड कम हो रही थी. इससे जुड़ी कंपनियां इस डिमांड के लिए तैयार नहीं थी. बताया जाता है कि सिर्फ 2020 के दौरान दुनिया भर में 30 करोड़ से ज्यादा पर्सनल कंप्यूटर बेचे गए. 2022 तक 34 करोड़ कंप्यूटर की बिक्री होगी. सेमी कंडक्टर बनाने वाली कंपनियों को भी इस डिमांड का अंदाजा नहीं था. अक्सर बड़ी कंपनियां स्टोरेज खर्च बचाने के लिए जरूरत के वक्त कच्चा माल खरीदने की रणनीति अपनाते हैं. अब डिमांड बढ़ने के कारण कच्चा माल यानी रॉ मटैरियल मिल नहीं रहा है. अब हालात सुधरने में एक साल से ज्यादा वक्त लग सकता है.

डिमांड बढ़ने के कारण कच्चा माल यानी रॉ मटैरियल मिल नहीं रहा है

कामगारों की कमी भी है महंगाई बढ़ने का कारण

कोरोना के दौरान पूरी दुनिया के वर्क कल्चर में बदलाव हुआ. एक तो कल-कारखानों में बड़े पैमाने पर स्किल्ड कामगारों की छंटनी हुई. दूसरा बीमारी के डर से बड़ी संख्या में बुजुर्गों ने समय से पहले ही रिटायरमेंट ले लिया. महिलाओं ने वर्क फ्रॉम होम को चुना. ऑप्शन नहीं मिलने पर नौकरी ही छोड़ दी. अब हालत यह है कि अभी अमेरिका में एक करोड़ लोगों के लिए जॉब ऑप्शन हैं मगर जॉब कैटिगरी के हिसाब से स्किल्ड लेबर मिल नहीं रहे हैं. जो नौकरी करना चाहते हैं, उनके पास स्किल नहीं है. ऐसा ही हाल भारत में भी है. उत्पादन से ट्रांसपोर्टेशन तक श्रमिक की कमी है.

जलवायु परिवर्तन ने भी एग्रीकल्चर प्रोडक्ट को महंगा किया

2020 से जलवायु परिवर्तन का असर पूरी दुनिया में देखा जा रहा है. भारत में लगातार आए तूफान से सब्जी की खेती को नुकसान हुआ. अमेरिका में कपास की खेती खराब हुई. ब्राजील में सूखा पड़ने और बर्फबारी से कॉफी की फसल बर्बाद हो गई. इससे पहले1975 में ऐसा हुआ था. भारत के जिन राज्यों में तूफान ने कहर बरपाया, वहां की फसलें चौपट हो गईं. अभी भी भारत के कई राज्य बेमौसम बारिश से जूझ रहे हैं. जाहिर है कि मौसम की मार फसल पर पड़ेगी तो वह महंगा ही होगा.

सब्जी की खेती को नुकसान हुआ

एक्सपर्ट अजय केडिया के अनुसार, जब कभी भी किसी भी कारण से आपातकाल की स्थिति आती है तो डिमांड और सप्लाई का गैप सप्लाई चेन के टूटने से बढ़ जाता है. इस कारण जीवन से जुड़े हर क्षेत्र में महंगाई आती ही है. रुपये का अवमूल्यन होता है. अर्थशास्त्र के इस नियम को अभी तक नहीं बदला जा सका है. महंगाई तभी कम होगी जब दुनिया भर में सप्लाई चेन सही हो जाएगी. कृषि क्षेत्र और कंपनियों में प्रोडक्शन से अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटेगी.

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