हैदराबाद :भारत में हर तरफ महंगाई दिख रही है. आटा-दाल से लेकर हवाई यात्रा तक सभी चीज महंगी हो गई है. अक्टूबर में भारत की रिटेल मुद्रास्फीति अक्टूबर में 5.3% से घटकर 4.4% हो गई, लेकिन ईंधन की कीमतें बढ़कर13.6 फीसदी हो गईं. फिच की रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले कुछ महीनों में मुद्रास्फीति का औसत 5.2% है, जो 2021 के पूर्वानुमान 5.5% से थोड़ा कम है. ऐसा नहीं है कि महंगाई की चपेट में सिर्फ भारत है. पाकिस्तान से महंगाई की खबर आ ही रही है. अमेरिका में 1990 के बाद 2021 में सबसे तेज गति से मुद्रास्फीति का दरों में बढ़ोतरी हुई.
कोरोना काल में सप्लाई चेन टूटी, डिमांड बढ़ने से बढ़ी महंगाई
कोरोना काल में दुनिया भर में जारी सप्लाई चेन टूट गई. लॉकडाउन के दौरान फैक्ट्रियां बंद रहीं. जब खुलीं तो उत्पादन के लिए जरूरी सामान नहीं मिल पाया. विश्व में उत्पादन कम होने और अचानक बढ़ी डिमांड से कीमतों में बढ़ोतरी हुई. रही सही कसर ईंधन की लागत में वृद्धि ने पूरी कर दी. इसे ऐसे समझें कार में लगने वाली सेमी कंडक्टर चिप चीन, जापान और ताईवान से दुनिया भर में सप्लाई होती है. कोरोना काल में ऑटो सेक्टर में सेमी कंडक्टर की डिमांड कम हुई तो इसे बनाने वाली कंपनियों ने उत्पादन कम कर दिया. सप्लाई चेन में गड़बड़ी आ गई. जब दोबारा सेमी कंडक्टर की मांग बढ़ी तो कंपनियों के पास चिप थी ही नहीं. इस कारण दुनिया के ऑटो सेक्टर को 200 करोड़ डॉलर का नुकसान हो गया.
कोरोना ने कैसे बदल दी हार्डवेयर मार्केट की सूरत
लॉकडाउन के दौरान वर्क फ्रॉम होम और स्टडी फ्रॉम होम के कारण पर्सनल कंप्यूटर की डिमांड बढ़ी. कोरोना के पहले तक कंप्यूटर की डिमांड कम हो रही थी. इससे जुड़ी कंपनियां इस डिमांड के लिए तैयार नहीं थी. बताया जाता है कि सिर्फ 2020 के दौरान दुनिया भर में 30 करोड़ से ज्यादा पर्सनल कंप्यूटर बेचे गए. 2022 तक 34 करोड़ कंप्यूटर की बिक्री होगी. सेमी कंडक्टर बनाने वाली कंपनियों को भी इस डिमांड का अंदाजा नहीं था. अक्सर बड़ी कंपनियां स्टोरेज खर्च बचाने के लिए जरूरत के वक्त कच्चा माल खरीदने की रणनीति अपनाते हैं. अब डिमांड बढ़ने के कारण कच्चा माल यानी रॉ मटैरियल मिल नहीं रहा है. अब हालात सुधरने में एक साल से ज्यादा वक्त लग सकता है.