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पार्ट-2 : कोरोना से मौत के सरकारी आंकड़ों पर उठे सवाल, जानिए भयावह सच्चाई

हर 24 घंटे में जारी होने वाला कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा डरा रहा है. बीते 3 दिनों से रोज 2 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं, जबकि तीन दिनों से लगातार देशभर में 1000 से ज्यादा लोगों की मौत रोज कोरोना की वजह से हो रही है. मौत के ये आंकड़े सरकार की ओर से जारी किए गए हैं. पर, हकीकत कुछ और है. कोरोना संक्रमण की वजह से मौतों की संख्या सरकारी आंकड़ों से कहीं अधिक है. पूरा सच जानना है, तो पढ़ें 'ईटीवी भारत' की ये रिपोर्ट.

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Published : Apr 18, 2021, 6:16 AM IST

सवालों में  कोविड से मौत के आंकड़े
सवालों में कोविड से मौत के आंकड़े

हैदराबाद: देश में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर कितनी खतरनाक है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि बीते 3 दिन से लगातार कोरोना के नए मामलों में रोजना 2 लाख से ज्यादा का इजाफा हो रहा है. यानि रोज़ 2 लाख से ज्यादा नए मामले सामने आ रहे हैं. कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा भी रोज़ बढ़ रहा है. रोज जारी होने वाले आंकड़ों के मुताबिक बीते 3 दिन से रोजाना 1000 से ज्यादा लोगों की मौत हो रही है. लेकिन रोज होने वाली मौत का ये आंकड़ा सवालों में है. ज्यादातर राज्यों से कोविड से होने वाली मौतों पर सवाल उठ रहे हैं. श्मशान में जलने वाली चिताओं और कोरोना से मौत का सरकारी आंकड़ा मेल नहीं खा रहा है. जिसके कारण सवाल उठना लाजमी है.

'ईटीवी भारत' इन आंकड़ों पर उठ रहे सवालों और बहस के बीच ग्राउंड रिपोर्ट के सहारे तीन सवाल उठा रहा है. सवालों से पहले 'ईटीवी भारत' की ग्राउंड रिपोर्ट की इस दूसरी कड़ी में आपको गुजरात और महाराष्ट्र के एक-एक शहर की कहानी आंकड़ों की जुबानी समझाते हैं. इस रिपोर्ट के सहारे आप जान जाएंगे कि आखिर मौत के सरकारी आंकड़ों पर सवाल क्यों उठ रहे हैं. इस ग्राउंड रिपोर्ट की पहली कड़ी में हमने मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और दिल्ली के आंकड़ों पर रिपोर्ट पेश की थी. जिसमें इन प्रदेशों के सिर्फ एक या दो स्थानों में श्मशान में जलती चिताओं का आंकड़ा कोविड से मरने वालों के सरकारी आंकड़े से मेल नहीं खाता. आज आपको महाराष्ट्र के अहमदनगर और गुजरात के भावनगर के आंकड़ों पर उठते सवालों की वजह बताते हैं.

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महाराष्ट्र
देश में कोरोना की दूसरी लहर कहर बरपा रही है, लेकिन महाराष्ट्र में कोरोना का तांडव देखने को मिल रहा है. कोरोना की पहली लहर की तरह दूसरी लहर का सबसे ज्यादा असर महाराष्ट्र पर ही पड़ा है. महाराष्ट्र में रोजाना औसतन 60 हजार से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. बीते 24 घंटे में 63 हजार से ज्यादा नए केस और 398 लोगों की मौत हुई है. हर दिन जारी होने वाले नए केस और मौत के आंकड़ों में महाराष्ट्र अव्वल बना हुआ है.

महाराष्ट्र से भले रोज सबसे ज्यादा नए मामले और कोरोना से मौत के मामले आ रहे हों, लेकिन मौत के आंकड़ों पर सवाल महाराष्ट्र में भी उठ रहे हैं. महाराष्ट्र के अहमदनगर की ग्राउंड रिपोर्ट के जरिये आपको बताते हैं कि यहां मौत के आंकड़ों पर सवाल क्यों उठ रहे हैं.

महाराष्ट्र के अहमदनगर का आंकड़ा

9 अप्रैल को महाराष्ट्र के अहमदनगर के अमरधाम श्मशान घाट में 49 लोगों का अंतिम संस्कार हुआ. हालांकि सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, 9 अप्रैल को अहमदनगर जिले में सिर्फ 3 लोगों की मौत कोरोना की वजह से हुई. 9 अप्रैल को महाराष्ट्र में कोविड से मरने वालों का सरकारी आंकड़ा 301 था. 'ईटीवी भारत' की ग्राउंड रिपोर्ट में महाराष्ट्र के अहमदनगर के सिर्फ एक श्मशान घाट में अंतिम संस्कार के आंकड़े बताए गए. ध्यान देने वाली बात ये है कि महाराष्ट्र में रोज 60 हजार से ज्यादा नए संक्रमित हर 24 घंटे में सामने आ रहे हैं.

कोरोना से मौत के सरकारी आंकड़ों पर उठे सवाल

गुजरात
गुजरात में भी बीते 2 हफ्तों से कोरोना संक्रमण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. रोजाना सामने आने वाले कोरोना के मामले हर दिन नया रिकॉर्ड बना रहे हैं. गुजरात में बीते 24 घंटे में 8920 नए मामले सामने आए हैं और 94 लोगों की मौत हुई है. सवाल यहां भी मौत के आंकड़ों पर ही उठ रहे हैं.

'ईटीवी भारत' गुजरात के भावनगर की ग्राउंड रिपोर्ट के जरिये आपके सामने वो आंकड़े पेश कर रहा है जिसके जरिये मौत के आंकड़ों पर खुद-ब-खुद सवाल उठ जाएंगे. 15 अप्रैल को गुजरात के भावनगर के कुभारवाड़ा कब्रिस्तान में 20 शवों का अंतिम संस्कार हुआ. भावनगर में 3 और श्मशान घाट हैं जहां रोजाना शवों का अंतिम संस्कार होता है. उधर सरकारी आंकड़े के मुताबिक भावनगर में 15 अप्रैल को एक भी शख्स की मौत कोरोना से नहीं हुई.

गुजरात के भावनगर का आंकड़ा

कुंभारवाड़ा कब्रिस्तान के ट्रस्टी अरविंद परमार के मुताबिक 'कुंभारवाड़ा कब्रिस्तान में रोज 15 से 20 शव आते हैं जिनमें कोरोना से मरने वाले भी शामिल होते हैं, भावनगर में तीन और श्मशान हैं और वहां भी कोविड से मरने वालों का अंतिम संस्कार होता है लेकिन सरकारी आंकड़ों में कभी एक तो कभी दो लोगों की मौत ही कोरोना के वजह से दिखाई जाती है.'

कोरोना से मौत के सरकारी आंकड़ों पर उठे सवाल

सवाल तो उठता है
भावनगर के कुंभारवाड़ा कब्रिस्तान के ट्रस्टी अरविंद परमार की तरह कई लोग कोविड से होने वाली मौत पर सवाल उठा रहे हैं. 'ईटीवी भारत' की इस रिपोर्ट के बाद आप भी इस पर जरूर सोचेंगे. अगर अब भी आंकड़ों की जुबानी ये कहानी समझ नहीं आई तो हम आपको समझाते हैं.

महाराष्ट्र के अहमदनगर या गुजरात के भावनगर की बात करें तो इन दोनों शहरों से 'ईटीवी भारत' ने सिर्फ एक-एक श्मशान घाट का आंकड़ा लिया. गुजरात के भावनगर के एक श्मशान घाट में 15 अप्रैल को 20 शवों का अंतिम संस्कार हुआ, वहां 3 और श्मशान घाट हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक 15 अप्रैल को भावनगर में एक भी मौत कोविड की वजह से नहीं हुई. इसी तरह महाराष्ट्र के अहमदनगर के एक श्मशान घाट में 49 शवों का अंतिम संस्कार हुआ जबकि सरकारी आंकड़ों में वहां सिर्फ 3 लोगों की मौत कोरोना से हुई. ध्यान देने वाली बात ये है कि अहमदनगर के सिर्फ एक श्मशान में 49 शवों का अंतिम संस्कार हुआ. अहमदनगर जिले में कई और श्मशान घाट होंगे और पूरे प्रदेश में श्मशान घाटों और कब्रिस्तानों की संख्या और वहां रोज होने वाले अंतिम संस्कारों का सिर्फ अंदाजा लगाया जा सकता है.

ईटीवी भारत के 3 बड़े सवाल

माना लिया जाए कि मौत की वजह कई दूसरी तरह की बीमारी, हादसे या प्राकृतिक भी हो सकती है. ये कहना भी सरासर गलत होगा कि जितने शवों का अंतिम संस्कार अहमदनगर, भावनगर या महाराष्ट्र और गुजराते के दूसरे शहरों के श्मशान घाटों में हो रहा है उन सबकी मौत कोरोना की वजह से हुई. लेकिन जिस तरह से हर 24 घंटे में कोरोना संक्रमितों का आंकड़ा बढ़ रहा है और अलग-अलग राज्यों के कस्बों और शहरों से कोविड से मरने वालों के अंतिम संस्कार की खबरें आ रही हैं वो सरकारी आंकड़ों पर सवाल खड़े करता है.

ईटीवी भारत भी पूछता है सवाल
श्मशान और सरकारी आंकड़ों को लेकर सरकार सवालों में है. 'ईटीवी भारत' के भी 3 सवाल हैं जिनपर राज्य सरकार से लेकर केंद्र सरकार को स्थिति साफ करनी चाहिए. सवाल है कि.

1. मौत के आंकड़ों में क्यों है अंतर ?

2. क्या मौत का आंकड़ा छिपाया जा रहा है ?

3. क्या आंकड़े इकट्ठा करने में तालमेल की कमी है ?

इन सवालों पर सरकारों को रुख साफ करना चाहिए क्योंकि मौजूदा कोरोना संक्रमण का दौर साल 2020 के संक्रमण से तेज है. जो आम लोगों के बीच डर पैदा कर रहा है.

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