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BCCI के नियमों में अब फिट नहीं रवि शास्त्री, कैसे चुने जाएंगे टीम इंडिया के क्रिकेट कोच ?

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Published : Aug 24, 2021, 6:06 PM IST

Updated : Aug 24, 2021, 6:48 PM IST

T20 क्रिकेट वर्ल्ड कप के बाद रवि शास्त्री की पारी बतौर कोच खत्म हो सकती है. बीसीसीआई के नियम के मुताबिक, कोच की उम्र 60 से अधिक नहीं होनी चाहिए. शास्त्री अगले साल 60 साल के हो जाएंगे. इंडियन क्रिकेट टीम के संभावित कोच की लाइन लंबी है. मगर आप जानते हैं कि बीसीसीआई कोच कैसे चुनता है.

Indian cricket team coach Ravi Shashtri
Indian cricket team coach Ravi Shashtri

हैदराबाद : यूएई में अक्टूबर-नवंबर 2021 टी-20 क्रिकेट वर्ल्ड कप ( ICC Men's T20 World Cup ) के मैच खेले जाएंगे. विराट कोहली के नेतृत्व वाली भारत की टीम जीतेगी या हारेगी, यह तो खेल के मैदान में तय होगा. मगर इस टूर्नामेंट के बाद भारतीय क्रिकेट टीम के कोच जरूर बदल जाएंगे. भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) के अनुबंध के तहत हेड कोच रवि शास्त्री 2021 तक ही टीम के साथ रहेंगे. उनके अनुबंध के रिन्यू होने की उम्मीद नहीं है, क्योंकि बीसीसीआई के नए नियम शास्त्री के सपोर्ट में नहीं हैं.

माना जा रहा है कि इसके अलावा भारतीय पुरुष क्रिकेट टीम के दूसरे सपोर्टिंग कोच भी बदले जाएंगे. गेंदबाजी कोच भरत अरुण, फील्डिंग कोच आर. श्रीधर और बल्लेबाजी कोच विक्रम राठौर भी आईसीसी टी 20 विश्व कप के बाद टीम से अलग हो जाएंगे. बदलाव की यह प्रक्रिया सितंबर से शुरू होने की उम्मीद है.

टॉम मूडी, राहुल द्रविड़, एंडी फ्लावर और वीरेंद्र सहवाग का नाम उछाला जा रहा है

रेस में कई नाम: राहुल द्रविड़, टॉम मूडी और सहवाग भी

नए कोच की रेस में कई देसी-विदेशी खिलाड़ी शामिल हैं. इसमें पहला नाम भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ का है. वह हाल के श्रीलंका दौरे के दौरान भी टीम के कोच रहे. अंडर-19 क्रिकेट टीम को निखारने का श्रेय भी राहुल को ही दिया जा रहा है. इस दौड़ में आईपीएल टीम मुंबई इंडियन के कोच लालचंद राजपूत का नाम भी शामिल हैं. लालचंद राजपूत 2007 के टी-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप के दौरान भारतीय टीम के मैनेजर थे. तब भारत ने यह खिताब जीता था. इसके अलावा ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर टॉम मूडी, श्रीलंका के महेला जयवर्द्धने, जिम्बावे के एंडी फ्लावर और भारत के वीरेंद्र सहवाग का नाम भी नए हेड कोच की रेस में हैं.

जानिए कौन रहे कोच

2019 में तय हुई कोच की योग्यता

इंडियन क्रिकेट टीम के हेड कोच बनने के लिए बीसीसीआई ने 2019 में योग्यता तय कर दी. बीसीसीआई के मुताबिक, भारत की नैशनल क्रिकेट टीम के कोच का आवेदन करने वाले की उम्र 60 साल से कम होना जरूरी है. उसके पास कम से कम दो साल तक इंटरनैशनल क्रिकेट खेलने का अनुभव हो. साथ ही, वह कम से कम 30 इंटरनैशनल टेस्ट मैच या 50 वन डे खेल चुका हो. इसी तरह सपोर्टिव कोच के लिए 10 इंटरनैशनल टेस्ट मैच या 25 वन डे का अनुभव होना जरूरी है.

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, कोच के चयन के दौरान बीसीसीआई आवेदनों की जांच के लिए क्रिकेट एडवायजरी कमेटी (CAC) के पास भेजता है. यह कमिटी स्क्रूटनी के बाद सिलेक्टेड कोच कैंडिडेट का इंटरव्यू करती है. 2019 में कपिलदेव, अंशुमन गायकवाड और संथा रंगास्वामी एडवायजरी कमेटी के मेंबर थे. इसी कमेटी ने रवि शास्त्री का कॉन्ट्रैक्ट रिन्यूअल किया था. रवि शास्त्री के पास 80 टेस्ट और 150 वन डे इंटरनैशनल मैच खेलने का अनुभव है. घरेलू मैदान पर वह एक ओवर में 6 छक्के लगा चुके हैं. वह अलगे साल 60 साल के हो जाएंगे, इसलिए बीसीसीआई अगले वर्ल्ड कप तक टिकने वाले कोच की तलाश कर रही है.

अजीत वाडेकर और अंशुमन गायकवाड टीम इंडिया के पहले व दूसरे कोच रहे हैं.

90 के दशक में पहली बार टीम में आए कोच

इंडियन क्रिकेट में 90 के दशक से पहले हेड कोच नहीं होते थे. टीम मैनेजर टूर्नामेंट के दौरान कोचिंग का दायित्व भी निभाते थे. टीम मैनेजर का कॉन्सेप्ट 1971 में शुरू हुआ था. 1971 से 1991 तक इंडियन क्रिकेट टीम के साथ 11 मैनेजरों ने काम किया. कई मशहूर क्रिकेटर सलीम दुर्रानी, अशोक मांकड़, विशन सिंह बेदी, चंदू बोर्डे और पी आर मान सिंह मैनेजर की हैसियत से टीम के साथ जुड़ चुके हैं.

अजित वाडेकर बने पहले आधिकरिक कोच

1992 में अजित वाडेकर पहले पूर्वकालिक कोच बने. उनके कार्यकाल में कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के नेतृत्व में भारतीय टीम घरेलू मैदानों पर एक ताकतवर टीम के रूप में उभरी. विदेशी धरती पर उनका परफॉर्मेंस बेहतर नहीं रहा. 1996 में संदीप पाटिल ने 6 महीने के लिए कोचिंग की जिम्मेदारी संभाली. इंग्लैंड दौरे पर निराशाजनक प्रदर्शन के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया. मदन लाल ने करीब एक साल 1996-97 में कोच बने. उनकी कोचिंग में घरेलू पिच पर टीम अच्छी रही मगर विदेशों में फ्लॉप रही.

अंशुमन गायकवाड के दौर में चमके इंडियन

अंशुमन गायकवाड1997 से 2000 तक टीम के कोच रहे. मोहम्मद अजरुद्दीन के साथ उन्होंने तालमेल बनाया और कई बड़ी जीत हासिल की. ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज और इंडिपेंडेस कप की जीत से खिलाड़ियों का मनोबल बढ़ा. इसके बाद सचिन की कप्तानी और कपिलदेव की कोचिंग का दौर आया. दोनों महान खिलाड़ियों की जुगलबंदी से इंडियन टीम को खास फायदा नहीं हुआ.

जॉन राइट, ग्रेग चैपल, गैरी कर्स्टन और डंकन फ्लेचर, ये चार विदेशी कोच टीम इंडिया से जुड़े रहे

जॉन राइट शानदार 5 साल, ग्रेग के बुरे दो साल

न्यूजीलैंड के जॉन राइट वर्ष 2000 से 2005 तक इंडियन टीम के कोच रहे. वह टीम के साथ जुड़ने वाले पहले विदेशी कोच थे. उन्होंने कप्तान सौरभ गांगुली के साथ बेहतर ट्यूनिंग बनाई और मैच फिक्सिंग से परेशान टीम को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया. उनके कार्यकाल में टीम इंडिया 2003 के वर्ल्ड कप फाइनल में पहुंची. साथ ही ऑस्ट्रेलिया, पाकिस्तान और इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट मैच भी जीती. 2005 में पूर्व ऑस्ट्रेलियन क्रिकेटर ग्रेग चैपल कोच बने. दो साल के कार्यकाल में उनका सौरभ गांगुली से विवाद हुआ. जॉन राइट की मेहनत से चमकी टीम की परफॉर्मेंस खराब हो गई.

कर्स्टन के भी चार साल में कमाल किया, फ्लेचर ने धोया

गैरी कर्स्टन 2007 में इंडियन टीम के आठवें कोच बने. महेंद्र सिंह धोनी के साथ कर्स्टन ने शानदार काम किया. उनके कार्यकाल में भारत ने दक्षिण अफ्रीका और श्रीलंका में झंडे गाड़े . टीम एशिया कप के फाइनल तक पहुंची और 2011 का वर्ल्ड कप जीता. 2011 में डंकन फ्लेचर का कार्यकाल शुरू हुआ और एक साल के भीतर विदेशों में भारत को लगातार 8 टेस्ट मैच गंवाए. 2015 वर्ल्ड कप सेमीफाइनल में भारत की हार के बाद फ्लेचर भारतीय क्रिकेट से दूर हो गए.

शानदार प्रदर्शन के बाद भी अनिल कुंबले और कप्तान कोहली के बीच मतभेद रहे. बताया जाता है कि विराट की पसंद रवि शास्त्री थे, इसलिए वह कुंबले से तालमेल नहीं बना सके.

रवि शास्त्री का दौर, कुंबले और विराट के मतभेद

रवि शास्त्री 2014 में टीम डायरेक्टर बने. डंकन फ्लैचर की छुट्टी के बाद कोच की नियुक्ति नहीं हुई. इस दौर में टीम इंडिया ने श्रीलंका, दक्षिण अफ्रीका से सीरीज जीती. एशिया कप में जीत हासिल हुई मगर 2016 के टी20 वर्ल्ड कप में टीम इंडिया हार गई. रवि शास्त्री ने विराट कोहली की कप्तानी की नींव रख दी. दोनों के बीच मेड टू इच अदर की खिचड़ी यहीं से पकने लगी. रवि शास्त्री अपनी किताब स्टारगेजिंग प्लेयर्स इन माइ लाइफ में विराट की काफी तारीफ कर चुके हैं.

इसका नतीजा यह हुआ कि 2016 में पूर्व स्पिनर अनिल कुंबले के कोच बनने के साथ ही कप्तान विराट कोहली से मतभेद की खबरें आने लगीं. बताया जाता है कि कोहली लगातार बीसीसीआई से कुंबले की कोचिंग स्टाइल की शिकायत करने लगे. न्यूजीलैंड, इंग्लैंड, बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टेस्ट सीरीज में जीत के बाद भी कोच-कप्तान के बीच तालमेल नहीं दिखा. चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में हार के बाद कुंबले ने कोच का पद छोड़ दिया. 2017 में रवि शास्त्री टीम इंडिया के कोच बने. 2019 में उनका कॉन्ट्रैक्ट 2021 तक के लिए रिन्यू किया गया.

शास्त्री के दौर में टीम इंडिया का प्रदर्शन बेहतर रहा है

विवादों से रहा है रवि शास्त्री का नाता

रवि शास्त्री के कार्यकाल में भारतीय टीम ने गाबा टेस्ट समेत कई मुश्किल मैच जीते मगर आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप में हार गए. इस हार के लिए शास्त्री के गेम प्लान की आलोचना हुई थी. अपने क्रिकेट कैरियर बतौर खिलाड़ी और कोच शास्त्री हमेशा विवादों मे रहे.

लोग उन्हें शराब के शौकीन मानते हैं. ऐसा कई बार फोटो वायरल हुआ, जिसमें रवि शास्त्री शराब की बोतल के साथ ड्रेसिंग रूम में नजर आए. हालांकि शास्त्री ने इसका जोरदार खंडन किया और ट्विटर पर ही सही फोटो दिखाई.

रवि शास्त्री पहली बार वर्ल्ड कप जीतने वाली 1983 की टीम का हिस्सा रहे हैं

अक्टूबर 2019 में रवि शास्त्री दोबारा टीम इंडिया के कोच बने थे. तब दक्षिण अफ्रीका टीम भारत दौरे पर आई थी और सीरीज का एक टेस्ट रांची में हुआ था. इसी टेस्ट के दौरान शास्त्री ड्रेसिंग रूम में सोते नजर आए थे. इस तस्वीर पर भी वह खूब ट्रोल हुए.

2018-19 में सुनील गावस्कर के साथ किसी लाइव शो को दौरान उन्हें आपत्तिजनक शब्द कहने का आरोप लगा. इस पर गावस्कर ने उनकी क्लास लगाई थी.

Last Updated : Aug 24, 2021, 6:48 PM IST

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