नई दिल्ली : दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने किसान आंदोलन को लेकर सोशल मीडिया पर टूलकिट फैलाने के मामले में गिरफ्तार पर्यावरण कार्यकर्ता दिशा रवि को मंगलवार को जमानत दे दी है. एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने एक लाख रुपये के मुचलके पर रिहा करने का आदेश दिया. 20 फरवरी को कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रख लिया था.
मामले की सुनवाई करते हुए कोर्ट ने कहा कि इस मामले में पुलिस के अधूरे सबूतों के मद्देनजर, हमें कोई कारण नजर नहीं आता कि 22 साल की लड़की, जिसका कोई आपराधिक इतिहास न रहा हो, उसे जेल में रखा जाए. कोर्ट ने कहा कि वाट्सऐप ग्रुप बनाना, टूलकिट एडिट करना अपने आप में अपराध नहीं है. महज वाट्सऐप चैट डिलीट करने से पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन संगठन से जोड़ना ठीक नहीं है. ऐसे सबूत नहीं, जिससे उसकी अलगाववादी सोच साबित हो सके. कोर्ट ने कहा कि 26 जनवरी को शांतनु के दिल्ली आने में कोई बुराई नहीं है.
कोर्ट ने दिया ऋग्वेद का उदाहरण
कोर्ट ने मत विभिन्नता की ताकत बताने के लिए ऋग्वेद का उदाहरण दिया. एक श्लोक का जिक्र करते हुए कोर्ट ने कहा कि पांच हजार साल पुरानी हमारी सभ्यता, समाज के विभिन्न वर्गों से आने वाले विचारों के कभी खिलाफ नहीं रही. कोर्ट ने कहा कि टूलकिट से हिंसा को लेकर कोई बात साबित नहीं होती. एक लोकतांत्रिक देश में नागरिक सरकार पर नज़र रखते हैं. सिर्फ इसलिए कि जो सरकारी नीति से सहमत नहीं हैं, उन्हें जेल में नहीं रखा जा सकता, देशद्रोह के कानून का ऐसा इस्तेमाल नहीं हो सकता.
वहीं सुनवाई के दौरान एएसजी एसवी राजू ने कहा था कि पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन नामक संगठन खालिस्तान की वकालत करता है. इसके संस्थापक धालीवाल और अमिता लाल हैं. इसके ट्वीट सोशल मीडिया पर उपलब्ध हैं. ये संगठन खालिस्तान के लिए लोगों को गोलबंद करता है. इस संगठन ने किसान आंदोलन का लाभ लेना चाहा और उसके जरिये अपनी गतिविधियां आगे बढ़ाना चाहता था, जिसमें दिशा रवि भी शामिल है. राजू ने कहा था कि जो टूलकिट बनाया गया, उसकी साजिश कनाडा में रची गई. ये राजद्रोह की धाराएं लगाने के लिए काफी हैं. राजू ने बताया कि उन्होंने इंटरनेशनल फारमर्स स्ट्राइक नामक वाट्सऐप ग्रुप बनाया और पोएटिक जस्टिस फाउंडेशन से संपर्क बनाने की कोशिश की.
डकैत से मंदिर के लिए दान मांगने का मतलब डकैती की पूर्व जानकारी होना नहीं
सुनवाई के दौरान दिशा रवि की ओर से वकील सिद्धार्थ अग्रवाल ने कहा कि अगर हम किसी डकैत के पास मंदिर के लिए दान मांगने जाते हैं तो इसका मतलब ये है कि हमें डकैती की पूर्व जानकारी थी. उन्होंने कहा था कि अगर हम किसी आंदोलन से जुड़े हैं और कुछ खास लोगों से मिल रहे हैं तो आप उनके इरादों को हम पर कैसे थोप सकते हैं. इस पर कोर्ट ने राजू से पूछा था कि क्या कोई साक्ष्य है या केवल शक के आधार पर आरोप है. तब राजू ने कहा था कि परिस्थितियां देखिए, खालिस्तानी मूवमेंट हिंसक रहा है. ऐसे में कोर्ट ने पूछा कि आरोपी के खिलाफ वास्तविक साक्ष्य क्या हैं. आप खालिस्तानी लिंक को छोड़कर दूसरा तथ्य बताएं. तब राजू ने कहा कि साजिश दिमागों के मिलन से होती है. कानून के मुताबिक, साजिश की शर्तें पूरी हो रही हैं. तब कोर्ट ने पूछा था कि क्या मैं ये मानूं कि अब तक कोई सीधा लिंक नहीं है. तब राजू ने कहा कि पुलिस अभी जांच कर रही है.