नई दिल्ली : सालों से कावेरी जल को लेकर कर्नाटक और तमिलनाडु के बीच विवाद चला आ रहा है. आज भी इस मामले को लेकर विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. बेंगलुरु और कर्नाटक के कुछ अन्य जिलों में विरोध प्रदर्शन जारी है. यहां के किसान संगठनों ने कावेरी प्राधिकरण के उस फैसले का विरोध किया है, जिसके तहत कर्नाटक को प्रत्येक दिन 5000 क्यूसेक पानी तमिलनाडु के लिए छोड़ना है. सुप्रीम कोर्ट ने इस फैसले पर रोक नहीं लगाई है. राज्य के अलग-अलग हिस्सों में हो रहे प्रदर्शन का भाजपा और जेडीएस ने समर्थन किया है. पुलिस ने कई जगहों पर भाजपा और जेडीएस कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार किया है. आइए समझते हैं आखिर क्या है पूरा विवाद.
कहां है कावेरी नदी का उद्गम -आपको बता दें कि कावेरी नदी का उद्गम कर्नाटक के कोडागू जिले में है. यह नदी तमिलनाडु की ओर जाती है. इसका कुछ हिस्सा केरल और पुदुचेरी में भी पड़ता है. कर्नाटक में जब-जब इस नदी पर बांध बनाने की बात छेड़ी जाती है, तमिलनाडु इसका विरोध करता है.
ब्रिटिश काल में हुए समझौते - दोनों राज्यों के बीच 1892 और 1924 में अलग-अलग दो समझौते हुए. दोनों समझौते मद्रास प्रेसिडेंसी और मैसुरू के बीच हुए. तब कर्नाटक को मैसुरू के नाम से जाना जाता था. इसके तहत तीन चौथाई पानी मद्रास को और एक चौथाई पानी मैसुरू को मिलना तय हुआ था. ब्रिटिशकालीन इस समझौते के अनुसार कर्नाटक को 177 टीएमसी और तमिलनाडु को 556 टीएमसी पानी मिलना था. 1974 तक इसी समझौते के तहत पानी का बंटवारा होता रहा. बाद में केरल और पुदुचेरी ने भी पानी के हिस्से पर दावा ठोंका.
केंद्र की फैक्ट फाइंडिंग कमेटी - केंद्र सरकार ने 1976 में एक फैक्ट फाइंडिग कमेटी बनाई. कमेटी ने 1978 में समझौता कराने की कोशिश की. इसके तहत तमिलनाडु को 177.25 टीएमसी, कर्नाटक को 94.75 टीएमसी, केरल को पांच टीएमसी और पुदुचेरी को सात टीएमसी पानी देने की सहमति बनाई गई.
सुप्रीम कोर्ट पहुंचा तमिलनाडु- कर्नाटक इस फैसले से खुश नहीं था. उसने बांध और जलाशय बनाने की प्रक्रिया शुरू कर दी. इसके खिलाफ तमिलनाडु सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. तमिलनाडु ने 1986 में इसके लिए एक प्राधिकरण बनाने की मांग की. 1990 में प्राधिकरण, ट्राइब्यूनल, का गठन किया गया. इसका नाम कावेरी जल प्रबंधन प्राधिकरण रखा गया. तब से ट्रिब्यूनल ही इस मामले को सुलझाता रहा है. जब भी ट्रिब्यूनल के समझौते से असहमति होती है, संबंधित पक्ष सुप्रीम कोर्ट का रूख करता रहा है.