नई दिल्ली : उत्तर प्रदेश के दुर्दांत अपराधी अतीक अहमद के बेटे असद का एनकाउंर हो गया है. पुलिस की गोलीबारी में वह मारा गया. पुलिस ने बताया कि वह भागने की फिराक में था, और उसने 40 राउंड तक गोली भी चलाई, लेकिन वह भागने में सफल नहीं हो सका और वहीं पर ढेर हो गया. असद पर पांच लाख रुपये का इनाम भी रखा गया था. असद के साथ गुड्डू मुस्लिम भी मारा गया. ये दोनों अपराधी उमेश पाल हत्याकांड में शामिल थे. इन एनकाउंटर को लेकर अभी तक किसी ने सवाल नहीं खड़े किए हैं. आइए हम जानते हैं कि दरअसल, एनकाउंटर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्या गाइडलाइंस तय किए हैं.
यूपी पुलिस के पूर्व डीजीपी बिक्रम सिंह ने एक चैनल से बात करते हुए कहा किजब भी किसी भी अपराधी के बारे में पुलिस जानकारी जुटाती है, खासकर उसके बारे में जो सुरक्षा एजेंसियों को लगातार चकमा देकर भागता फिर रहा है, ऐसे मामलों में इंटेलिजेंस एजेसियों का इनपुट सबसे अधिक महत्वपूर्ण होता है. इंटेलिजेंस एजेंसियों में काम करने वाले पुलिस अधिकारी और कर्मी अपने तरीके से उसके बारे में सूचना प्राप्त करते हैं. अगर उस अपराधी के लिए एसटीएफ टीम का गठन होता है, इंटेलिजेंस अधिकारी और एसटीएफ मिलकर उसका पीछा करते हैं. वे जिससे भी सूचना प्राप्त करते हैं, उनकी गोपनीयता रखी जाती है. कई बार एजेंसियों के कर्मी भी खुद वेश बदलकर पीछा करने की कोशिश करते हैं, जो भी जानकारी उन्हें मिलती है, वे उसे लिखित रूप में दर्ज करते हैं. इसे केस डायरी में शामिल किया जाता है.
इस जानकारी के तुरंत बाद उनका काम इसे सत्यापित करने का होता है. यानी जो जानकारी उनके पास है, वह सही है या नहीं. बिक्रम सिंह ने बताया कि वह जिस व्यक्ति का पीछा कर रहे हैं, कहीं ऐसा तो नहीं है कि वह कोई दूसरा शख्स है. एक बार जब यह सत्यापित हो जाता है कि यह वही अपराधी है, जिसकी तलाश पुलिस को है, तो आगे की कार्रवाई की जाती है.