वाराणसी: श्री काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी परिसर का विवाद कोई नया नहीं है. लगभग 350 साल पहले औरंगजेब ने सनातन धर्म की आस्था के सबसे बड़े केंद्र को ध्वस्त करने का आदेश दिया. उसके बाद 1991 से लगातार श्री काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी परिसर का विवाद अदालत में चल रहा है. इन सबके बीच अगस्त 2021 में इस विवाद में एक नया मोड़ आ गया, जब ज्ञानवापी परिसर की बाउंड्रीवॉल के पश्चिमी छोर पर बाहरी दीवार से लगभग 6 फीट की दूरी पर चबूतरे पर स्थापित मां श्रृंगार गौरी की प्रतिमा के नियमित दर्शन की मांग को लेकर वाराणसी के सिविल कोर्ट सीनियर डिवीजन में 5 महिलाओं ने याचिका दायर की.
इस याचिका में श्रृंगार गौरी के नियमित दर्शन की मांग रखी गई और फिर शुरू हो गया एक नया विवाद. 8 अप्रैल 2022 के आदेश के बाद विश्वनाथ मंदिर ज्ञानवापी परिसर में स्थित मां श्रृंगार गौरी मंदिर प्रकरण में कोर्ट के आदेश पर 6 मई 2022 से सर्वे और वीडियोग्राफी का काम शुरू हुआ. आइए आज हम आपको इस पूरे विवाद से जुड़े हर पहलू के बारे में बताते हैं.
जानिए क्या है पूरा विवाद
द्वादश ज्योतिर्लिंगों में मुख्य श्री काशी विश्वनाथ मंदिर और उसी परिक्षेत्र में स्थित ज्ञानवापी मस्जिद का केस वर्ष 1991 से वाराणसी की स्थानीय अदालत में चल रहा है. अब हाईकोर्ट के आदेश के बाद मामले की सुनवाई इलाहाबाद हाईकोर्ट में जारी है. हालांकि, मां श्रृंगार गौरी का केस महज साढ़े 7 महीने ही पुराना है. 18 अगस्त 2021 को वाराणसी की पांच महिलाओं जिनमें राखी सिंह, सीता साहू, मंजू व्यास, रेखा पाठक और लक्ष्मी देवी ने बतौर वादी वाराणसी के सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में श्रृंगार गौरी मंदिर में रोजाना दर्शन-पूजन की मांग सहित अन्य मांगों के साथ एक वाद दर्ज कराया था. इस मांग में इन सभी ने कोर्ट से यह गुहार लगाई है कि मां श्रृंगार गौरी के मंदिर में पूर्व की तरह दर्शन पूजन शुरू हों. गणेश, हनुमान, नंदी जो प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष देवता परिक्षेत्र में विद्यमान हैं, उनकी स्थिति जानने के लिए एक कमीशन बनाया जाए.
कोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए जमीनी हकीकत जानने के लिए वकीलों का एक कमीशन गठित करने के लिए अधिवक्ता कमिश्नर के रूप में अजय कुमार मिश्रा को नियुक्त किया. कोर्ट ने कमीशन और वीडियोग्राफी की कार्यवाही करके 10 मई से पहले रिपोर्ट मांगी है और सुनवाई की तारीख भी 10 मई नियत की है. इसके बाद कोर्ट के आदेश पर 6 मई को पहली बार अंदर वीडियोग्राफी की कार्यवाही शुरू हुई और भारी विरोध के बीच कमीशन के लिए नियुक्त किए गए वकील और अन्य लोग अंदर दाखिल हुए.
हालांकि, यह कार्यवाही आज और सोमवार को भी जारी रहने की उम्मीद है. इसका विरोध भी एक पक्ष कर रहा है. मुस्लिम पक्ष का कहना है कि कार्यवाही सिर्फ हिंदू पक्ष के समर्थन में अधिवक्ता कमिश्नर द्वारा पूरी की जा रही है, जबकि हिंदू पक्ष कोर्ट के आदेश के बाद भी मुस्लिम पक्षकारों पर आरोप लगाते हुए अंदर दाखिल न होने की बात कह रहा है.
विश्वनाथ मंदिर प्रांगण के इसी ज्ञानवापी मस्जिद के परिसर में श्रृंगार गौरी की प्रतिमा है. इसको लेकर हर साल विवाद होता है.
साल में एक दिन चैत्र नवरात्रि की चतुर्थी तिथि को दर्शन-पूजन के लिए खुलता है, लेकिन अब 5 महिलाओं ने प्रतिदिन इसके दर्शन-पूजन के लिए याचिका दायर की है. याचिका दायर करने वाली 5 महिलाओं में से सीता साहू का कहना है कि याचिका हम लोगों ने इसलिए दायर की है कि मां श्रृंगार गौरी की हम लोग प्रतिदिन पूजा-पाठ करना चाहते हैं. साथ में जो कॉरिडोर का हिस्सा है उसमें स्थित मंदिरों में हम लोग जाना चाहते हैं. उसमें हमारी मूर्तियां हैं. वहां जो मूर्तियां हैं उसकी फोटोग्राफी चाहते हैं. उन्होंने कहा कि वह देखना चाहती हैं कि वहां मंदिरों की क्या स्थिति है.
इस याचिका की सुनवाई करते हुए वाराणसी की अदालत ने 6 और 7 मई को ज्ञानवापी मस्जिद परिसर स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर में वीडियोग्राफी का आदेश दिया था. साथ ही कोर्ट ने कहा कि इसमें दोनों पक्ष से लोग शामिल रहेंगे. शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिला प्रशासन पूरी सुरक्षा व्यवस्था मुहैया कराएगा, लेकिन मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी की बात पर मस्जिद कमेटी के लोग विरोध कर रहे हैं. उनके वकील कह रहे हैं कि कोर्ट ने मस्जिद के अंदर वीडियोग्राफी का आदेश नहीं दिया. इस पूरे मामले में अंजुमन इंतजा मियां मसाजिद कमेटी के सेक्रेटरी यासीन का कहना है कि अदालत ने कमीशन की मांग स्वीकार कर ली है. लेकिन, इस आदेश में कहीं नहीं लिखा है कि मस्जिद के अंदर या बैरीकेडिंग के अंदर जाएंगे.
उन्होंने कहा कि उनका मानना है कि संविधान के दायरे में रहकर विरोध करेंगे. क्योंकि आप मस्जिद के अंदर और बैरिकेडिंग के अंदर नहीं जा सकते. मस्जिद के अंदर केवल सुरक्षाकर्मी और मुसलमान ही जा सकते हैं. वहीं, मुस्लिम पक्षकारों के वकील अभय नाथ यादव का कहना है कि कोर्ट ने आदेश किया है कि इस कार्यवाही में एक पक्षीय काम किया जा रहा है जो कहीं से सही नहीं है. कोर्ट के आदेश के मुताबिक, अंदर कोई तोड़फोड़ या नुकसान नहीं पहुंचाना है. लेकिन, हिंदू पक्ष के सहयोग में नियुक्त किए गए अधिवक्ता कमिश्नर काम कर रहे हैं, जिसके लिए हम सभी कोर्ट में जाएंगे.