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टीम इंडिया के नए कोच राहुल द्रविड़ के सामने क्या हैं चुनौतियां ?

टीम इंडिया के पूर्व कप्तान राहुल द्रविड़ इंडियन मेन्स क्रिकेट टीम के मुख्य कोच बनाए गए हैं. BCCI ने बुधवार को इसका ऐलान किया. टी-20 वर्ल्ड चैंपियनशिप के बाद न्यूजीलैंड के खिलाफ होम सीरीज से राहुल अपनी शुरुआत करेंगे. वह 2023 तक टीम के कोच बने रहेंगे. जानिए इन दो सालों में द्रविड़ के सामने क्या-क्या चुनौतियां आएंगी.

team india head coach rahul dravid
team india head coach rahul dravid

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Published : Nov 5, 2021, 8:13 PM IST

Updated : Nov 5, 2021, 8:42 PM IST

हैदराबाद : 2006 में एक ट्रायंगुलर टूर्नामेंट हुआ था, जिसका नाम था डीएलएफ कप. तत्कालीन कप्तान राहुल द्रविड़ की टीम इस टूर्नामेंट के फाइनल तक नहीं पहुंच सकी. तब ऑलराउंडर रवि शास्त्री ने द्रविड़ की कड़ी आलोचना की थी. रवि शास्त्री ने कहा था द्रविड़ बतौर कप्तान पर्याप्त रूप से मुखर नहीं थे, इस कारण कोच ग्रेग चैपल ने कई निर्णय लिए. राहुल द्रविड़ ने प्रतिक्रिया के तौर पर शास्त्री की इस आलोचना का स्वागत किया था, मगर टीम की आंतरिक निर्णय लेने की प्रक्रिया को लेकर टिप्पणी पर आपत्ति जताई थी.

संयोग यह है कि इस घटना के करीब 15 साल बाद रवि शास्त्री भारतीय पुरुष टीम के मुख्य कोच हैं. राहुल द्रविड़ उन्हें रिप्लेस करने वाले हैं और ड्रेसिंग रूम की कहानियां आज भी लीक होती हैं. कप्तान विराट कोहली और रवि शास्त्री की जोड़ी करीब चार साल बाद टूटने जा रही है. ऐसे में 'टीम की निजता' बनाए रखना नए कोच राहुल द्रविड़ की पहली चुनौती होगी.

रिपोर्टस के मुताबिक. शास्त्री और कोहली की जुगलबंदी के कारण अनिल कुंबले को कोच का पद छोड़ना पड़ा था.

विराट कोहली से तालमेल बनाने की चुनौती :विराट कोहली का कोच के साथ मतभेद कोई नई बात नहीं है. कोच के साथ उनके मतभेद की खबरें उसी समय शुरू हो गई थी, जब वह कप्तान बने थे. भारतीय टीम के पूर्व कप्तान अनिल कुंबले 2016-17 के बीच एक साल के लिए भारतीय टीम के कोच थे. कुंबले को सचिन तेंदुलकर, लक्ष्मण और गांगुली की अध्यक्षता वाली क्रिकेट सलाहकार समति ने चुना था. उस दौर में रवि शास्त्री भी कोच के दावेदार थे. कोहली से मतभेद का रिजल्ट यह रहा कि कुंबले ने चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में पाकिस्तान से हारने के बाद अपना इस्तीफा दे दिया था.

बताया जाता है कि अनिल कुंबले अनुशासन वाले सख्त कोच थे. वह टीम के किसी सदस्य को उसकी ऊंची कद के कारण छूट नहीं देते थे. बताया जाता है कि टीम के सिलेक्शन और गेम प्लान के सवाल पर कई बार कोहली और कुंबले के बीच मतभेद सामने आए. यही चुनौती द्रविड़ के सामने भी रहेगी. राहुल भी बतौर कोच सख्त तेवर के लिए जाने जाते हैं.

राहुल द्रविड़ को उनके परफॉर्मेंस को कारण 'द वॉल' का खिताब दिया गया है.

आईसीसी टूर्नामेंट जीतना :राहुल द्रविड़ के कार्यकाल के दौरान ही अगले साल टी-20 वर्ल्डकप और 2023 में 50 ओवर वाला वर्ल्ड कप होने वाला है. शास्त्री और कोहली की जोड़ी ने विदेशी दौरों और घरेलू पिच पर कई बड़े कारनामे किए, मगर वे आईसीसी से जुड़ी चैंपियनशिप नहीं जीत सके हैं. बतौर कोच राहुल द्रविड़ को यह मिथक तोड़ना होगा. उनके खाते में आईसीसी अंडर-19 वर्ल्ड कप जीताने का कमाल दर्ज है.

राहुल को कई कप्तानों से तालमेल करना होगा :विराट कोहली टी-20 वर्ल्डकप से पहले ही क्रिकेट के इस छोटे प्रारूप की कप्तानी छोड़ने का एलान कर चुके हैं. यानी भारत को इस कैटेगरी के लिए नया कप्तान ढूंढना होगा. अगले एक साल में टीम इंडिया को ज्यादातर टी-20 ही खेलने हैं, ऐसे में द्रविड़ को दो कप्तानों से बीच टीम के लिए रणनीति बनानी होगी.

वर्ल्ड कप के लिए तैयार करनी होगी परफेक्ट टीम :2023 के वर्ल्ड कप टूर्नामेंट में अभी करीब दो साल बाकी हैं. बतौर कोच राहुल द्रविड़ को एक ऐसी विजेता टीम बनानी होगी, जो लंबे समय तक बेहतर परफॉर्म कर सके. इसके लिए उन्हें कप्तान विराट कोहली और उपकप्तान रोहित शर्मा के बीच चल रहे मनमुटाव की खबरों पर विराम भी लगाना होगा.

राहुल द्रविड़ ने अंडर-19 में कई खिलाड़ियों को तराशा है, जो अब टीम इंडिया के नायाब हीरे साबित हो रहे हैं.

2019 में तय हुई कोच की योग्यता, जिसमें फिट बैठे द्रविड़ :इंडियन क्रिकेट टीम के हेड कोच बनने के लिए बीसीसीआई ने 2019 में योग्यता तय की थी. बीसीसीआई के मुताबिक, भारत की नैशनल क्रिकेट टीम के कोच का आवेदन करने वाले की उम्र 60 साल से कम होना जरूरी है. उसके पास कम से कम दो साल तक इंटरनैशनल क्रिकेट खेलने का अनुभव हो. साथ ही, वह कम से कम 30 इंटरनेशनल टेस्ट मैच या 50 वन डे खेल चुका हो. इसी तरह सपोर्टिव कोच के लिए 10 इंटरनैशनल टेस्ट मैच या 25 वन डे का अनुभव होना जरूरी है.

इंडियन क्रिकेट में 90 के दशक से पहले हेड कोच नहीं होते थे. टीम मैनेजर टूर्नामेंट के दौरान कोचिंग का दायित्व भी निभाते थे. 1971 से 1991 तक इंडियन क्रिकेट टीम के साथ 11 मैनेजरों ने काम किया. 1992 में अजित वाडेकर पहले पूर्वकालिक कोच बने. उनके कार्यकाल में कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन के नेतृत्व में भारतीय टीम घरेलू मैदानों पर एक ताकतवर टीम के रूप में उभरी.

रवि शास्त्री 60 साल वाली लिमिट को क्रॉस करने वाले हैं. इस कारण नए कोच की खोज शुरू हुई. राहुल द्रविड़ के चयन में भी इस प्रक्रिया का पालन हुआ. बीसीसीआई के मुताबिक, क्रिकेट सलाहकार समिति ने सर्वसम्मति से राहुल द्रविड़ को हेड कोच बनाने का फैसला किया. इस समिति में शामिल सुलक्षणा नाइक और आरपी सिंह ने सर्वसम्मति से द्रविड़ के नाम की मंजूरी दी.

Last Updated : Nov 5, 2021, 8:42 PM IST

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