हैदराबाद: दुनियाभर के सेलिब्रिटीज़ की तरह भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान विराट कोहली भी इंस्टाग्राम पर हैं लेकिन बीते दिनों एक पोस्ट करने को लेकर किंग कोहली विवादों में घिर गए. दरअसल इंस्टाग्राम कई सेलिब्रिटीज़ की कमाई का बड़ा जरिया है और विराट कोहली इस मामले में भारत में पहले नंबर पर हैं.
आखिर क्यों विवादों में घिरे विराट कोहली ? इंस्टाग्राम से कैसे कमाई होती है ? कोहली इंस्टाग्राम से कितनी कमाते हैं और दुनिया में इंस्टाग्राम से कमाई करने वाला अव्वल सितारा कौन सा है ? ऐसे हर सवाल का जवाब आपको मिलेगा ईटीवी भारत एक्सप्लेनर में (etv bharat explainer). लेकिन सबसे पहले जानते हैं कि
क्यों विवादों में फंस गए विरोट कोहली ?
विराट कोहली ने एक पोस्ट शेयर की थी जिसमें 3 तस्वीरें थी, जो एक निजी विश्वविद्यालय के बारे में थी. इस पोस्ट में कोहली ने उस विश्वविद्यालय के उन छात्रों के बारे में बताया जो टोक्यो ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व कर रहे थे. पहली तस्वीर में कोहली ने लिखा "ओलंपिक में भारत की ओर से गए कुल खिलाड़ियों में से 10 फीसदी इसी यूनिवर्सिटी के हैं. ये एक रिकॉर्ड है उम्मीद करता हूं कि विश्वविद्यालय के छात्र भारतीय क्रिकेट टीम का भी हिस्सा बनेंगे". इसके बाद की दो तस्वीरों में विश्वविद्यालय के पोस्टर थे, इनमें उन 11 खिलाड़ियों के नाम हैं जो टोक्यो ओलंपिक में भारतीय दल का हिस्सा थे.
इसमें विवाद क्या है ?
दरअसल कोहली की इस पोस्ट पर एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (advertising standards council of india) ने कोहली को नोटिस भेज दिया. कोहली ने इस पोस्ट में यूनिवर्सिटी का भी जिक्र किया है. जो कि एक पेड पोस्ट है यानि इसके लिए विराट कोहली को पैसे मिले हैं. इसे इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग कहते हैं. ASCI की गाइडलाइन के मुताबिक सोशल मीडिया इंफ्लुएंसेर अगर पेड पोस्ट करता है तो उन्हें उसमें बताना होगा कि ये एक तरह का विज्ञापन है लेकिन कोहली ने अपनी पोस्ट में कहीं भी इस बात का जिक्र नहीं किया.
फिर क्या हुआ ?
एडवरटाइजिंग स्टैंडर्ड काउंसिल ऑफ इंडिया (ASCI) ने कोहली को नोटिस भेजा तो उन्हें अपनी ये पोस्ट एडिट करनी पड़ गई. कोहली ने इसे एडिट करके इसमें हैशटैग पार्टनरशिप (#partnership) लिख दिया.
क्या है ये इन्फ्लुएंसर और इन्फ्लुएंसर मार्केटिंग ? (influencer marketing)
आज सोशल मीडिया के कई प्लेटफॉर्म हैं, जहां फॉलोअर बनाने की होड़ लगी होती है और जिन लोगों के ज्यादा फॉलोअर होते हैं वो इंफ्लुएंसर की कैटेगरी में आ जाते हैं. इंफ्लुएंसर यानि वो लोग जो प्रभावित कर सकते हैं. कंपनियां ऐसे लोगों को पैसे देकर अपना प्रमोशन करवाती है. कई बार पोस्ट के बदले कंपनी पैसे नहीं बल्कि अपने उत्पाद मुफ्त या उनपर छूट देती है.
दरअसल जिन लोगों के फॉलोअर काफी संख्या में होते हैं वो अपनी पोस्ट से फॉलो करने वालों को प्रभावित कर सकते हैं, उन्हें सोशल मीडिया इंफ्लुएंसर कहा जाता है. ऐसे लोग किसी उत्पाद, कंपनी या संगठन के बारे में पोस्ट करते हैं तो फॉलो करने वाले लोग प्रभावित हो सकते हैं, जिसका फायदा कंपनी को पहुंच सकता है. ये डिजिटल मार्केटिंग या एडवरटाइजमेंट का नया तरीका है जिसे इंफ्लुएंसर मार्केटिंग कहते हैं.
इंफ्लुएंसर मार्केंटिंग के लिए नियम कायदे क्यों बनाए गए ?
जब कोई इंफ्लुएंसर किसी उत्पाद, संगठन या कंपनी का जिक्र अपनी पोस्ट में करता है तो उसके फॉलोअर्स ये नहीं जानते कि ये उस इंफ्लुएंसर की सच्ची राय है या फिर उसे ऐसा करने के बदले पैसे मिले हैं. दरअसल देश और दुनिया में खिलाड़ियों से लेकर फिल्म स्टार और आम लोगों तक के भी हजारों, लाखों और करोड़ों में फॉलोअर हैं. जो इंफ्लुएंसर की किसी पोस्ट से प्रभावित हो सकते हैं, ये फॉलोवर्स इंफ्लुएंसर की किसी पोस्ट को लेकर अंधेरे में ना रहें इसके लिए नियम कायदे तय किए गए हैं.
इंफ्लुएंसर मार्केंटिंग के क्या हैं नियम कायदे ?
यू-ट्यूब से लेकर ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम समेत सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को लेकर इंफ्लुएंसर मार्केंटिंग के नियम कायदे तय किए गए. जिसके मुताबिक लोग या फॉलोवर किसी पोस्ट को लेकर गुमराह ना हों इसके लिए इन्फ्लुएंसर को अपनी पोस्ट में बताना होगा कि ये नॉर्मल पोस्ट है या स्पॉन्सर्ड. ये गाइडलाइन एडवरटाइजिंग स्टैंडर्डस काउंसिल ऑफ इंडिया की तरफ से जारी किए गए हैं. जो इस साल जून से लागू हुई हैं.
- सोशल मीडिया यूजर को पता होना चाहिए कि जो पोस्ट की गई है वो विज्ञापन है या नहीं यानि पता चलना चाहिए कि इस पोस्ट के लिए इंफ्लुएंसर को पैसे मिले हैं.
- अगर पोस्ट विज्ञापन के रूप में की गई है तो पहली या दूसरी लाइन में इसका जिक्र किया जाना चाहिए. इसका जिक्र अंग्रेजी या फिर विज्ञापन की भाषा में किया जाना चाहिए.
- कोई तस्वीर अगर विज्ञापन के उद्देश्य से पोस्ट की गई है तो उसपर लेबल लगाकर बताना होगा कि ये विज्ञापन है.
- कोई वीडियो पोस्ट किया गया है तो उसमें भी लेबल लगाना होगा जिससे पता चले कि ये एक तरह का विज्ञापन है.
- 15 सेकेंड या उससे छोटे वीडियो में कम से कम दो सेकेंड और 15 सेकेंड से 2 मिनटतक को वीडियों में एक तिहाई हिस्से में विज्ञापन का लेबल होना जरूरी है.
- अगर वीडियो 2 मिनट से अधिक का है तो यह लेबल पूरे वीडियो पर लगाना अनिवार्य होगा.