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जानिए कैसे बनती है ऑक्सीजन, कितना होता है हवा का तापमान

देश में कोरोना केस लगातार बढ़ रहा है. दूसरी तरफ ऑक्सीजन की भारी कमी सामने आ रही है. ऑक्सीजन की कमी से देश के अस्पतालों में कोरोना संक्रमित मरीज दम तोड़ रहे हैं. कोरोना संक्रमित मरीजों के लिए संजीवनी बन चुकी ऑक्सीजन कैसे बनती है, ईटीवी भारत आपको ऑक्सीजन बनने की पूरी प्रक्रिया समझाने जा रहा है.

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Published : Apr 25, 2021, 5:40 PM IST

अलवर : देश में कोरोना का संक्रमण कई गुना तेजी से फैल रहा है. हालात बेकाबू होने लगे हैं. कोरोना संक्रमित मरीज को सबसे पहले हालत खराब होने पर सांस लेने में दिक्कत होती है. ऐसे में ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. देश में ऑक्सीजन के लिए हाहाकार मचा हुआ है. आज हम बताएंगे कि आखिर ये ऑक्सीजन बनती कैसे है.

देशभर में कोरोना संक्रमण के तेजी से बढ़ते केस के बीच ऑक्सीजन सिलेंडर की डिमांड बढ़ गई है. देश में ऑक्सीजन सिलेंडर की किल्लत सामने आ रही है. वहीं राजस्थान के अलवर स्थित ऑक्सीजन प्लांट से राज्य सहित अन्यों राज्यों में भी ऑक्सीजन की सप्लाई की जा रही है. इसी बीच अलवर का एक स्टील प्लांट आगे बढ़कर अपने प्लांट में बनने वाले ऑक्सीजन की सप्लाई कर रहा है. ऑक्सीजन पर हो रहे घमासान के बीच ईटीवी भारत की टीम अलवर के एमआईए स्थित सनर्जी स्टील फैक्ट्री में ऑक्सीजन प्लांट में पहुंची. इस दौरान प्लांट के इंजीनियर से ईटीवी भारत ने ऑक्सीजन बनने की प्रक्रिया समझी और इस पूरी प्रक्रिया को जाना.

ऑक्सीजन बनने की पूरी प्रक्रिया.

कैसे बनती है ऑक्सीजन

ऑक्सीजन प्लांट में लगी बड़ी-बड़ी सक्शन मशीन हमारे आस-पास मौजूद वातावरण से हवा को खिंचती है. ऑक्सीजन प्लांट में मौजूद एयर सेपरेशन की तकनीक से हवा से ऑक्सीजन को अलग कर लिया जाता है. इसमें हवा को पहले कंप्रेस किया जाता है और फिर फिल्टर की मदद से इसमें से अशुद्धियां निकाल दी जाती हैं. अब फिल्टर हुई हवा को ठंडा करने के बाद डिस्टिल किया जाता है, जिससे ऑक्सीजन को बाकी गैसों से आसानी से अलग किया जा सके. इस पूरी प्रक्रिया में हवा में मौजूद ऑक्सीजन लिक्विड में तबदील हो जाती है और इसे स्टोर किया जाता है. इस पूरी प्रक्रिया के बाद स्टोर की जाने वाली ऑक्सीजन को ही मेडिकल ऑक्सीजन कहा जाता है.

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प्लांट के इंजीनियरों ने बताया बड़े ऑक्सीजन प्लांट में बड़ी सक्शन मशीन लगी होती है. जो वातावरण से हवा को सक करती है. उसके बाद आगे सभी में समान प्रक्रिया होती है. कुछ प्लांट लिक्विड फॉर्म में ऑक्सीजन बनाते हैं. जबकि कुछ गैस फॉर्म में गैस तैयार करते हैं. अलग-अलग प्लांट में स्टोरेज क्षमता भी अलग-अलग होती है. समय के साथ निजी अस्पताल अब छोटा ऑक्सीजन प्लांट अपने यहां लगवाने लगे हैं.

हवा में 21% ऑक्सीजन

ऑक्सीजन हवा और पानी दोनों में मौजूद होती है. हवा में 21% ऑक्सीजन, 78% नाइट्रोजन और 1% अन्य गैसें मौजूद होती हैं. जैसे हाइड्रोजन, नियोन, जीनोन, हीलियम और कार्बन डाईऑक्साइड होती हैं. वहीं पानी में घुली ऑक्सीजन की मात्रा अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग होती है जिस वजह से इंसान पानी में आसानी से सांस नहीं ले पाता है. पानी में मौजूद 10 लाख मॉलिक्यूल्स में से ऑक्सीजन के 10 मॉलिक्यूल्स होते हैं.

अलवर में हाल ही में दो निजी अस्पतालों ने ऑक्सीजन प्लांट लगाए हैं. इसके अलावा अलवर के राजीव गांधी सामान्य अस्पताल में ऑक्सीजन के दो प्लांट लगाए गए हैं. प्रदेश सरकार का छोटा प्लांट शुरू हो चुका है. जबकि बड़ा प्लांट केंद्र सरकार की तरफ से बनाया गया है. यह प्लांट अभी शुरू नहीं हुआ है. जब देश ऑक्सीजन की किल्लत से गुजर रहा है, तो ये प्लांट कमी को दूर करने के लिए दिन रात ऑक्सीजन प्रोड्यूस करने में लगे हैं.

इंसान को कितनी ऑक्सीजन की ज़रूरत होती है?

एक वयस्क को आराम करते वक्त भी 24 घंटे में करीब 550 लीटर शुद्ध ऑक्सीजन की जरूरत होती है और मेहनत का काम या वर्जिश करने पर अधिक मात्रा में ऑक्सीजन चाहिए होती है. एक स्वस्थ वयस्क एक मिनट में 12 से 20 बार सांस लेता है. यदि कोई व्यक्ति एक मिनट में 12 से कम या 20 से ज्यादा बार सांस लेता है, तो वह किसी परेशानी से ग्रसित है. एक स्वस्थ्य व्यक्ति के ब्लड में ऑक्सीजन का सैचुरेशन लेवल 95 से 100 फीसदी के बीच होता है. कोविड-19 महामारी के दौर में अगर किसी व्यक्ति का ऑक्सीजन लेवल 92 फीसदी से नीचे है तो उसकी हालत गंभीर है.

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