नई दिल्ली :राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के तिहाड़ जेल समेत रोहिणी और मंडोली जेल में कैदियों द्वारा धड़ल्ले से मोबाइल का इस्तेमाल (inmates using phone inside delhi jails) होता है. कुछ कैदी जहां अपने परिवार से बातचीत के लिए छिपाकर मोबाइल रखते हैं तो कुछ कैदी आपराधिक वारदातों को अंजाम देने के लिए जेल में मोबाइल का इस्तेमाल करते हैं. इससे रंगदारी मांगने, गवाह को धमकाने, विरोधी गैंग पर हमले की साजिश रचने आदि को अंजाम दिया जाता है.
तिहाड़ जेल में 35 साल तक कार्यरत रहे पूर्व लॉ ऑफिसर सुनील गुप्ता ने बताया कि जेल में कैदी काफी समय से अवैध तरीके से मोबाइल फोन इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन पहले ऐसे मामले बहुत ही कम होते थे. जेल के भीतर मोबाइल लेकर जाना मुश्किल था. वहीं कैदियों पर सर्विलांस ज्यादा रहता था. इसकी वजह से जेल के भीतर कैदियों के मोबाइल फोन इस्तेमाल के मामले बहुत सीमित थे. लेकिन बीते कुछ वर्षों में जेल के भीतर कैदियों द्वारा मोबाइल फोन इस्तेमाल के मामले तेजी से बढ़े हैं. वहां न केवल बड़े गैंगस्टर बल्कि सामान्य कैदी भी मोबाइल फोन इस्तेमाल कर रहे हैं. ऐसा भी देखने में आता है कि कैदी जेल के भीतर वीडियो बनाकर उसे वायरल कर देते हैं. इसे रोकना जेल प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है.
सुनील गुप्ता ने बताया कि जेल के भीतर मुख्य रूप से चार तरीकों से मोबाइल फोन जाते हैं. पहले तरीके में जेल के कर्मचारियों की मिलीभगत होती है. वह पैसे लेकर कैदियों को मोबाइल फोन मुहैया करा देते हैं. सुकेश के मामले में तो जेल के वरिष्ठ अधिकारियों ने ही उसे जेल में मोबाइल फोन रखने दिया. दूसरे तरीके में जेल के भीतर आने वाले कैदी के कपड़ों में मोबाइल को छिपाकर भेज दिया जाता है. इसे बेहद खास तरह से छिपाया जाता है, जिसके चलते वह जांच के दौरान पकड़ में नहीं आते.
उन्होंने कहा कि तीसरे तरीके में रोहिणी एवं मंडोली जेल की दीवार के बाहर से मोबाइल को अंदर फेंक दिया जाता है, जहां से कैदी उसे उठा लेते हैं. चौथे तरीके में कैदी पेशी के दौरान अपने शरीर के अंदर मोबाइल छिपाकर जेल में ले आते हैं.
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