हैदराबाद :21 अक्टूबर को भारत सरकार ने अपने नागरिकों को कोरोना वैक्सीन की100 करोड़ डोज लगा दी. 100 करोड़ टीका लगाने की उपलब्धि देश ने 9 महीने में हासिल की. वैक्सिनेशन अभियान के इतने बड़े सफर में कभी भी अफरातफरी नहीं मची. इसका श्रेय कोविन (Cowin) को जाता है. देश में 16 जनवरी से कोरोना टीकाकरण की शुरुआत हुई थी. तभी से कोविन पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन को अनिवार्य किया गया था. कोविन प्लेटफॉर्म को आरोग्य सेतु और उमंग ऐप से भी जोड़ा गया है.
एक्सपर्ट के अनुसार, कोविन जैसे प्लेटफॉर्म का विकास दिखाता है कि भारत में इस तरह की बड़ी डिजिटल प्रणाली विकसित करने की क्षमता है, जिसमें 130 करोड़ लोगों की सर्विस दी जा सकती है और उनके डेटा को मैनेज किया जा सकता है. आज भारत के 87,725 केंद्रों पर रोजाना औसतन 70 लाख लोगों को वैक्सीन दी जा रही है. Cowin के जरिये वैक्सीन के हर डोज का हिसाब रखा जा रहा है. अगर ऐसी व्यवस्था नहीं होती तो वैक्सीन की चोरी, कालाबाजारी और शार्टेज जैसी दिक्कतों का सामना करना पड़ता. कोरोना काल में यह देश के लिए बड़ी प्रॉब्लम बन जाती.
आज कोविन (cowin) एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जहां से भारत में कोविड-19 वैक्सिनेशन से जुड़ी हर जानकारी मौजूद है. वैक्सीन के लिए रजिस्ट्रेशन से लेकर सर्टिफिकेट जारी होने तक सभी तरह की सहूलियत इस पर मिल जाती है. जब वैक्सीनेशन संख्या बढ़ी तो इसमें जरूरत के हिसाब से बदलाव किए गए.
वैक्सीनेशन के चैलेंज, जो कोविन ने दूर किए :कई लोगों ने बताया कि वह रजिस्ट्रेशन के बाद वैक्सीन की डोज लेने केंद्र पर नहीं पहुंचे मगर उनके पास टीकाकरण का मैसेज आ गया. इसके अलावा कई लोगों ने फोन नंबर के दुरुपयोग की शिकायत की. इन शिकायतों को दूर करने के लिए मई में सिक्युरिटी कोड को अनिवार्य किया गया.
वैक्सीनेशन के शुरूआती दौर में लोगों को यह पता नहीं होता था कि उन्हें भारत में उपलब्ध कौन सी वैक्सीन लगाई जा रही है. यानी लोगों के पास वैक्सीन चुनने का विकल्प नहीं था. तब कोविन पोर्टल के डैशबोर्ड में बदलाव किया गया. लोगों को वैक्सीनेशन सेंटर के साथ वैक्सीन सिलेक्ट करने का मौका मिला.