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Cow Dung Chip: ऐसा चिप जो मोबाइल के हानिकारक रेडिएशन को करेगा कम, जानिए क्या है वो - गोबर का प्रयोग

भारतीय संस्कृति में गाय के गोबर का काफी महत्व है. आज भी पूजा पाठ या शुभ अनुष्ठान में गोबर का प्रयोग किया जाता है. ग्रामीण इलाकों में लोग आज भी अपने घरों और आंगन को गोबर से लीपते हैं. इसके अलावा आधुनिक युग में गोबर से गैस और खाद का निर्माण खेती के लिए किया जा रहा है. ऐसे में ये गुणकारी गोबर अब लोगों को रेडिएशन से भी बचाएगा, कैसे, पढ़िए ईटीवी भारत की स्पेशल रिपोर्ट में.

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Published : May 27, 2023, 8:27 PM IST

देखें स्पेशल रिपोर्ट

रांचीः सनातन संस्कृति में गाय को भगवान का दर्जा देते हुए माता की तरह पूजा जाता है. जीवनदायिनी गौ हमें दूध देती है, इसके अलावा खेती में भी हमारी बराबर की भागीदार बनती हैं. इतना ही नहीं गंभीर बीमारियों को दूर करने में गौ-मूत्र काफी कारगर साबित होता है. इसी तरह गाय का गोबर भी काफी उपयोगी है. प्राचीन काल से गोबर से खाद बनाकर खेत में डाला जाता है. इसके अलावा उसे सुखाकर उसके उपले (गोयेठा) बनाकर खाना बनाने के लिए ईंधन की तरह प्रयोग किया जाता है. लेकिन आज ईटीवी भारत आपको गोबर से हुए एक नये आविष्कार के बारे में बता रहा है. रांची के गौशाला में गाय के गोबर से ऐसे चिप बनाए जा रहे हैं, जो मोबाइल के हानिकारक रेडिएशन को कम करेगा.

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राजधानी रांची के सुकुरहुट्टू गौशाला में मौजूद गाय के गोबर से वहां पर कार्यरत निर्मल कृष्ण चंद्रा ने एक अनोखा अविष्कार किया है. निर्मल का ये दावा है कि उनका ये चिप मोबाइल से निकलने वाले हानिकारक रेडिएशन को कम करता है. सुकुरहुटू स्थित गौशाला समिति के संयोजक निर्मल कृष्ण चंद्र अपने आविष्कार को लेकर बताते हैं कि ये प्रक्रिया पहले भी की जा चुकी है. लेकिन उनके द्वारा इसको थोड़ा इंप्रोवाइज किया गया है. निर्मल कृष्ण चंद्रा ने बताया कि उनके इस चिप में तुलसी के अर्क के साथ साथ विभिन्न तत्वों का उपयोग किया गया है.

देहाती गाय के गोबर से ही बन सकता है चिपः उन्होंने बताया कि झारखंड के देहाती गाय के गोबर से ही इस चिप को बनाया जा सकता है. किसी अन्य नस्ल की गाय के गोबर से इस चिप का निर्माण नहीं किया जा सकता. इसलिए उनके द्वारा बनाया गया गोबर का चिप मोबाइल रेडिएशन में असरदार साबित होगा.

अच्छा काम कर है डेमो चिपः निर्मल कृष्ण चंद्रा के सहयोगी भीम सिंह बैठा ने बताया कि उनके गौशाला में कार्यरत सभी कर्मचारी अपने मोबाइल में इस नए चिप का उपयोग कर रहे हैं. इस डेमो चिप का लाभ भी लोगों को मिल रहा है. उन्होंने बताया कि जो भी कर्मचारी अपने मोबाइल में इस चिप का उपयोग कर रहे हैं, उन सभी लोगों का मोबाइल हैंग भी कम हो रहा है और तेजी से गर्म भी नहीं होता है.

एंटी रेडिएशन चिप कैसे काम करता हैः गाय के गोबर से चिप बनाने वाले निर्मल कृष्ण चंद्रा ने बताया कि पुराने जमाने में हमारे पूर्वज धूप और गर्मी की तपिश के बचने के लिए घरों के बाहर और दीवारों पर मिट्टी और गोबर का लेप लगाते थे. इससे उनका घर और आंगन ठंडा रहता था. हालांकि उस वक्त उन्हें ऐसे रेडिएशन की जानकारी नहीं थी. उन्होंने बताया कि वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में ये बात सामने आई है कि गोबर से रेडिएशन को कम किया जा सकता है. इसलिए उन्होंने मोबाइल से निकलने वाले हानिकारक रेडिएशन को कम करने के लिए इस चिप का निर्माण करने की बात सोची और इसे बनाया.

चिप को बाजार में लाने की तैयारीः उन्होंने बताया कि जल्द ही इस चिप को बाजार में उतारा जाएगा. इसको बाजार में लाने की प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. बाजार में उतारने के लिए विभिन्न अधिकारियों से बातचीत का दौर जारी है. फिलहाल गौशाला के अधिकारी इसको लेकर तत्परता से काम कर रहे हैं.

मोबाइल में ऐसे लगेगा चिप: गाय के गोबर से बनने वाला यह चिप मोबाइल में लगने वाले सिम की तरह होता है. लेकिन ये चिप मोबाइल के बाहरी हिस्से में लगाया जाता है. इस चिप को लगाने के लिए एक विशेष स्टिकर भी बनायी गई. जो मोबाइल के बैक साइड में इस चिप को चिपका देता है.

चिप के निर्माण से रोजगार और आर्थिक लाभ में होगी वृद्धि: एक चिप की कीमत बाजार में लगभग 25 से 30 रुपये होगी. जबकि एक ट्रैक्टर गोबर की कीमत बाजार में लगभग पंद्रह सौ से दो हजार रुपये तक होती है. गौशाला के लोगों ने बताया कि एक ट्रैक्टर गोबर में 500 पीस चिप बनाए जा सकते हैं. इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि अगर गोबर से बना चिप सफलतापूर्वक बाजार में आ जाता है तो निश्चित रूप से यह आविष्कार लोगों को रोजगार देने में भी सफल हो पाएगा. अब देखने वाली बात होगी कि यह चिप बाजार में कब तक आता है और लोगों को इससे कितना लाभ पहुंचता है.

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