नई दिल्लीःकिसी ने खूब कहा है कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती और अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा और हौसला इंसान के अंदर हो, तो वह कुछ भी कर सकता है और कोई समस्या उसके आड़े नहीं आती. आज हम बात कर रहे हैं, ऐसे बच्चों की जो देख नहीं सकते हैं, लेकिन मुकाम पाने का हौसला बरकरार है.
वहीं, दुनिया में कुछ लोग ऐसे हैं, जो आंखों से कुछ भी देख नहीं सकते, फिर भी उनके हौसले बुलंद हैं और अपनी कामयाबी से सभी को सीख दे रहे हैं. वहीं इन नेत्रहीन बच्चों के हौसले को भी आप सैल्यूट करेंगे और आप यह भी जानेंगे कि नेत्रहीन बच्चे इस कोरोना काल में दीपावली को कैसे मना रहे हैं.
दीपावली के शुभ असवर पर ईटीवी भारत की टीम दिल्ली में लाजपत नगर के इंस्टीट्यूशन ऑफ द ब्लाइंड में पहुंची, तो वहां पर देखा कि तीन बच्चे तबला और हार्मोनियम बजा रहे हैं. यह बच्चे देख तो नहीं सकते हैं, लेकिन संगीत की धुन ऐसी कि जो भी सुने वो भी मुग्ध हो जाए.
'मेहनत से हर काम हो सकता है'
राहुल ने बताया कि वह बचपन से नेत्रहीन हैं और साल 2016 में उन्होंने यहां एडिमिशन लिया था. म्यूजिक हार्मोनियम बजाने के साथ वह पढ़ाई भी कर रहे हैं. कम्प्यूटर सीख रहे हैं और आगे वह अध्यापक बनना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि मेहनत की जरूरत होती है और मेहनत करने से आदमी हर मुकाम हासिल कर सकता है.